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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

सरना के प्रस्ताव पर पंथक नेताओं और संगठनों ने जताया ऐतराज

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अमृतसर.शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के प्रधान परमजीत सिंह सरना द्वारा शुक्रवार को ननकाना साहिब में गुरु नानक देव जी के 549 प्रकाश पर्व समागम के दौरान सिखों के छठवें तख्त की स्थापना को लेकर पेश प्रस्ताव और संगत के समर्थन पर कंट्रोवर्सी शुरू हो गई है।

हालांकि सरना के इस प्रस्ताव का श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी जोगिंदर सिंह वेदांती लेकिन यहां के विभिन्न पंथक संगठनों तथा उनके धार्मिक नेताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया है। उनका कहना है कि यह सिख धर्म में संभव नहीं है और अगर ऐसा हुआ तो विवाद तथा उलझनें और बढ़ेंगी।

पंथ में दुविधा डालने की कोशिश :

एसजीपीसी के प्रधान भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल का कहना है कि सिख पंथ पहले से ही कौमी मसलों में उलझा हुआ है। जो परंपराएं सिख धर्म में चली आ रही हैं हमें उन पर ही खड़ा होना चाहिए। उनको ही आगे पढ़ाएं और प्रफुल्लित करें ताकि पंथ चढ़ दी कला में रहे और आपसी सद्भाव बना रहे। इस तरह के काम करके पंथ में दुविधा डालना पंथ हित में नहीं है।

प्रस्ताव अर्थहीन :

एसजीपीसी के पूर्व प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर ने भी सरना के इस प्रस्ताव का अर्थहीन बताया है। उनका कहना है कि आदमी ऐसे हरकतें उस वक्त करता है जब उसकी मति मारी जाती है और सरना के साथ ऐसा ही हो रहा है। उनका कहना है कि किसी भी तख्त की स्थापना किसी व्यक्ति विशेष के कहने से नहीं होती। इसके लिए पूरी कौम की मंजूरी तथा इसका अपना इतिहास होना चाहिए। उनका कहना है कि ननकाना साहिब पहले गुरु साहिब का जन्म स्थान है और उसका अपना सत्कार तथा महत्व है। उनका कहना है कि किसी भी स्थान को दूसरे स्थान के मुकाबिल खड़ा नहीं किया जा सकता है।

पांच का कांसेप्ट :
सरबत खालसा के मनोनीत जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी बाबा बलजीत सिंह दादूवाल का कहना है कि सिखी में पांच का कांसेप्ट है। मामला चाहे पंज प्यारे का हो, पंज प्रधानी का हो या फिर अन्य। गुरु साहिबान ने जहां से हुक्मनामा सुनाया हो वहीं पर तख्त स्थापित हुए हैं।

पंथ को तोड़ने वाले बाज आएं :

दमदमी टकसाल जत्था भिंडरांवाला के मुखी हरनाम सिंह खालसा ने भी इस प्रस्ताव और समर्थन पर ऐतराज जताया है। उनके प्रवक्ता प्रो. सरचांद सिंह का कहना है कि सरना की यह कार्रवाई पंथ में भ्रम और दुविधा पैदा करने वाली है। पंथ की शक्ति को तार-तार करने से वह बाज आएं। उनका कहना है कि सिख परंपराओं के मुताबित यह संभव नहीं है।

सरना दरार डालने मेंं लगे रहते हैं:

एसजीपीसी मेंबर एडवोकेट भगवंत सिंह स्यालका का कहना है कि सरना हमेशा ही पंथ में दरार डालने की कोशिश में लगे रहते हैं। वह हमेशा कांग्रेस की नीतियों पर चलते हैं, सिख कौम को चाहिए कि ऐसे लोगों की बातों में न आएं और ऐसे लोगों को मुंह न लगाएं। एसजीपीसी के पूर्व मेंबर तथा अकाल की फौज के मुखी जसविंदर सिंह एडोवोकेट ने भी सरना के इस प्रस्ताव का सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि सरना का यह बयान न तो पंथ हित में है और ना ही उनके अपने। यह पंथ में दुविधा डालने की कोशिशइ है।

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