पानीपत. बाल विवाह के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़कर अपनी मर्जी से शादी करने वाली एक लड़की की इन दिनों पानीपत में काफी चर्चा हो रही है। दरअसल, 18 साल की शशि की आठ पहले शादी कर दी गई थी। करीब डेढ़ साल पहले ससुराल पक्ष के लोग उसे लेने आए तो उसने जाने से मना कर दिया। इसके बाद मामला कोर्ट में गया। कानूनी लड़ाई लड़ी। फिर सोमवार को अपने पसंद के लड़के से शादी की। इस दौरान शशि का इस लड़ाई में पूरे परिवार ने साथ दिया।
दरअसल, 2008 में परिवार वालों ने शशि की शादी इसलिए कर दी क्योंकि घर में उसके चाचा का रिश्ता कहीं पक्का नहीं हो रहा था। इसलिए बीच का रास्ता निकाला गया और चाचा के साथ होने वाली लड़की के भाई से शशि का रिश्ता पक्का किया गया। तब शशि की उम्र महज आठ साल थी।
शशि ने कहा- मुझे और मेरे परिवार को परेशान किया गया
"मेरी शादी मेरी मर्जी के खिलाफ उस वक्त की गई थी जब में बहुत छोटी थी। मैं तो तब इसके मायने भी नहीं जानती थी, लेकिन बदलते वक्त के साथ पता चल गया था कि मेरा बाल विवाह हुआ था,जिसकी चर्चा भी मुझे पसंद नहीं थी।"
" मैं पिछले साल 11वीं में थी, तभी मेरे स्कूल में बाल विवाह पर सेमिनार हुआ, जिसमें बताया गया कि बाल विवाह कुप्रथा है। इसको तोड़ा भी जा सकता है। तभी तय कर लिया कि उस शादी को नहीं मानूंगी। कुछ ही दिन बाद ससुराल वाले भी अपने घर ले जाने के लिए दबाव बनाने लगे। पर मैंने अपने पिता से साफ कह दिया कि मैं नहीं जाऊंगी।"
शशि ने बताया- लोगों ने कई बार डराया, धमकाया
“मार्च 2017 में पिता के साथ जाकर महिला संरक्षण एवं बाल विवाह में शिकायत की। ससुराल वालों को बुलाया गया, लेकिन वे नहीं माने। मई 2017 में कोर्ट में शादी खत्म करने के लिए केस दायर किया। 14 माह की लड़ाई के बाद 16 जुलाई 2018 को कोर्ट ने बाल विवाह मानते हुए शादी को रद्द कर दिया।"
"कानूनी लड़ाई लड़ने के दौरान कई तरह से दबाव डाले गए। मेरी चाची को तो उसके मायके वाले यह कह कर वापस ले गए कि जब तक मैं नहीं जाऊंगी तब तक वह उसे भेजेंगे नहीं। चाचा से रिश्ता तोड़ने तक की बात कही गई।”
“मेरे पिता के करनाल स्थित घर पर मुझे ससुराल भेजने के लिए पंचायत हुई। मैंने पंचायत की नहीं मानी तो परिवार को समाज से बेदखल कर दिया गया। पुस्तैनी जमीन को भी हड़प लिया गया। इस पूरी लड़ाई में पिता ने पूरा साथ दिया।”
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