खेल डेस्क. पहले टेस्ट में इंग्लैंड की श्रीलंका पर बड़ी जीत पिछले सप्ताह क्रिकेट जगत की बड़ी घटना रही। वैसे विराट कोहली की अपने एप लॉन्च के समय फैन के साथ वाद-विवाद ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं। गाले को श्रीलंका का किला कहा जाता है। इंग्लैंड की टीम पिछले 13 टेस्ट मैच से विदेश में जीत हासिल नहीं कर पाई थी। आखिरी टेस्ट खेल रहे रंगना हेराथ इस स्टेडियम में खूब सफल रहे हैं। हर बात इशारा कर रही थी कि श्रीलंका जीतेगा, लेकिन इंग्लैंड ने बाजी पलट दी और श्रीलंका को उसी के जाल में उलझा दिया।
स्पिनरों की मददगार घरेलू पिचों पर श्रीलंका ने दूसरी टीमों को खुशी के बहुत कम मौके दिए हैं। 2016 में ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों ने वहां संघर्ष किया और इस साल दक्षिण अफ्रीका की टीम बुरी तरह हारी। केवल भारत ही जिसके पास टर्निंग ट्रैक के लिए सबसे अच्छे बल्लेबाज हैं, श्रीलंका को चुनौती दे पाई थी।
इंग्लैंड की जीत भारत के लिए सीख
यह सही है कि मौजूदा समय में श्रीलंकाई टीम, प्रशासन और खिलाड़ी बुरी स्थिति से गुजर रहे हैं, लेकिन इन सब के बावजूद पहले टेस्ट में इंग्लैंड की जीत चौंकाने वाली रही है। मैं इंग्लैंड की इस जीत पर इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि इससे असरदार प्लानिंग और सही चयन के महत्व का पता चलता है। यह दूसरी टीमों विशेषकर भारत के लिए सीख है। पिछले कई सप्ताह से चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट का मुख्य फोकस यह था कि श्रीलंका को उसके घर में कैसे हराया जाए।
कीटन जेनिंग्स में स्पिन को खेलने की क्षमता
अगर यही फोकस वहां से किसी तरह बच निकलने पर होता तो इंग्लैंड को सफलता नहीं मिलती। इंग्लैंड का टीम कॉम्बिनेशन बेहतरीन था जिसका असर परिणाम पर भी रहा। घरेलू सीजन में लगातार फेल होने वाले कीटन जेनिंग्स ने दूसरी पारी में बेहतरीन शतक जमाया। चयनकर्ताओं ने उन पर इसलिए भरोसा कायम रखा क्योंकि स्पिन के खिलाफ उनकी क्षमता अच्छी है और सोच में भी स्मार्ट हैं। जेनिंग्स की सफलता से पता चलता है कि युवाओं पर भरोसा बनाए रखने और लगातार मौके देने से क्या परिणाम मिल सकते हैं।
बेन फोक्स ने डेब्यू टेस्ट में शतक लगाया
बेन फोक्स को टीम में शामिल करना मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ। अपने डेब्यू मैच में 25 साल के खिलाड़ी ने 107 और 37 रनों की पारी खेली। इसके अलावा उन्होंने तेज गेंदबाजी और स्पिन दोनों के खिलाफ बेहतरीन विकेटकीपिंग भी की। यह चयनकर्ता एड स्मिथ का बेहतरीन फैसला रहा। जॉनी बेयरस्टो के चोटिल होने के बाद सब उम्मीद कर रहे थे कि जोस बटलर विकेटकीपिंग करेंगे।
बटलर ने वनडे के बाद टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन किया
बटलर के विकेटकीपिंग करने से इंग्लैंड को एक अतिरिक्त बल्लेबाज चुनने और अपने टॉप ऑर्डर को मजबूती देने का मौका मिलता, लेकिन फोक्स को इसलिए मौका दिया गया क्योंकि बतौर विकेटकीपर वे बेहतर माने जाते हैं और इस स्किल की ऐसी पिचों पर ज्यादा जरूरत होती है। एड स्मिथ ही जोस बटलर को भी टेस्ट टीम में लेकर आए थे। बटलर सीमित ओवर की क्रिकेट के खिलाड़ी माने जाते थे, लेकिन स्मिथ को यकीन था कि वे टेस्ट मैचों में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
रूट के फेल होने पर भी जीत सकती है टीम
बटलर ने अब तक उनकी उम्मीद को गलत साबित नहीं किया है। अब जो स्थिति है उसे देखते हुए बेयरस्टो को भी विकेटकीपिंग स्लॉट वापस हासिल करने में मुश्किल होगी। हालांकि, वे बतौर बल्लेबाज वापसी कर सकते हैं। इंग्लैंड के नजरिए से महत्वपूर्ण है कि वह अपने सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज जो रूट के बड़े योगदान के बिना भी जीत सकता है। स्टोक्स और मोइन अली की मौजूदगी से बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों मजबूत होती है। इससे कप्तान को बल्लेबाजी और गेंदबाजी में काफी लचीलापन मिलता है।
अभी सीरीज खत्म नहीं हुई है और श्रीलंका की टीम जोरदार वापसी कर सकती है। ऐसे में इंग्लैंड को फॉर्म और जोश बनाए रखना होगा। गॉल के प्रदर्शन से साफ है कि उम्दा प्लानिंग, मजबूत मोटिवेशन और सही चयन सफलता की रेसिपी है। टीम में सिर्फ स्टार रखने से जीत नहीं मिलती है।
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