Chandigarh Today

Dear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org

Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

प्रीमियम बढ़ा सकता है मनपसंद रेस्त्रां का खाना, कंपनियों की नजर यूजर डेटा पर

0
143

नई दिल्ली. पिज्जा या मनपसंद फूड ऑर्डर का एप्स में स्टोर डेटा और कलाई में बंधे फिटनेस बैंड का वैसे तो आपस में लेना देना नहीं है, लेकिन जल्द ही इससे आपकी हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ सकती है। इसकी वजह है इन दोनों से निकला आपका वह डेटा, जो बताएगा कि भविष्य में आपका स्वास्थ्य कैसा रहेगा? अभी तक कंपनियां सिर्फ मौजूदा स्वास्थ्य के आधार पर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जारी करती हैं। हेल्थ डेटा मिलने के बाद कंपनियों को जिन लोगों की सेहत में ज्यादा जोखिम नजर आएगा, वहां प्रीमियम की दर बढ़ाकर कंपनियां अपना जोखिम कम कर लेंगी।

हेल्थ डेटा पाने के लिए इन तरीकों पर काम कर रहीं इंश्योंरेंस कंपनियां
महंगे इलाज, बढ़ती इनकम और जागरुकता की वजह से हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर सालाना 26 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। फिलहाल स्थिति यह है कि ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के पास अपने ग्राहकों के हेल्थ रिकॉर्ड का कोई डेटा नहीं है। इस वजह से ये कंपनियां ग्राहकों के बदलते स्वास्थ्य को ट्रैक नहीं कर पातीं। ऐसे में इस सेक्टर की कई बड़ी कंपनियां अब हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स, डायग्नोस्टिक लैब, फिटनेस गैजेट और वियरेबल डिवाइस बनाने वाली कंपनियों के अलावा ऑनलाइन हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म से डेटा शेयरिंग पर फोकस कर रही हैं। कंपनियां आने वाले दिनों में फूड डिलिवरी एप्स से भी डेटा ले सकती हैं। इनसे उन्हें आपकी कम्प्लीट हेल्थ प्रोफाइल बनाने में मदद मिलेगी।

हेल्थ

अलग-अलग प्लेटफॉर्म ऐसे खोल सकते हैं सेहत के राज
हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स : जैसे- क्लिनिक, अस्पताल और डायग्नोस्टिक/पैथोलॉजी लैब
किस तरह का डेटा : सामान्य चेकअप, मौजूदा बीमारी, इलाज, दवाओं का डेटा, ब्लड टेस्ट रिपोर्ट, गंभीर बीमारियों से जुड़ी जांच, भविष्य में होने वाली बीमारियों की आशंका।

फिटनेस बैंड/एप/गैजेट : जैसे- फिटबिट, एमआई बैंड, एपल वॉच जैसे गैजेट
किस तरह का डेटा : फिजिकल एक्टिविटी का स्तर, हार्ट रेट, कैलोरी काउंट, ब्लड प्रेशर और नींद से जुड़ी जानकारी।

ऑनलाइन हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म : जैसे- प्रैक्टो, 1एमजी, जियो हेल्थ हब, डॉक्टरइंस्टा, नेटमेड्स, लिब्रेट
किस तरह का डेटा : किस बीमारी के लिए परामर्श लिया है या फिर खास बीमारी के इलाज, दवा या एक्सपर्ट डॉक्टर के बारे में जानकारी ली है।

फूड डिलिवरी एप : जैसे- जोमेटो, उबर ईट्स, फूड पांडा, स्विगी
किस तरह का डेटा : ज्यादातर किस तरह का खाना ऑर्डर करते हैं, पिज्जा, बर्गर जैसे ज्यादा कैलोरी वाला जंक फूड कितना खाते हैं? खाने की आदतों से कुछ खास बीमारियों के होने की आशंका कितनी हो सकती है।

टेक्नोलॉजी से भविष्य में सेहत कैसी रहेगी यह अनुमान लगा सकते हैंः प्रेसिडेंट, बजाज आलियांज
बजाज आलियांज हेल्थ इंश्योरेंस के प्रेसिडेंट साई श्रीनिवास के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के लिए अभी जो जांचें होती है] उनसे सिर्फ इतना ही पता चलता है कि कोई व्यक्ति पॉलिसी लेते वक्त स्वस्थ्य है या नहीं। इसी आधार पर प्रीमियम और कवर तय होता है। हमें यह नहीं पता होता कि बीते कल में उसका स्वास्थ्य कैसा था? या फिर आने वाले कल में उसका स्वास्थ्य कैसा होगा?

श्रीनिवास ने बताया कि किसी बीमारी का क्लेम फाइल होने के बाद भी हम आगे की बीमारियों की आशंकाओं का पता नहीं लगा सकते। लेकिन टेक्नोलॉजी खासतौर पर फिटनेस बैंड जैसे प्रोडक्ट की मदद से हम भविष्य में सेहत कैसी रहेगी इसका अंदाजा लगा सकते हैं। इससे हमें सही पॉलिसी डिजाइन और सही प्रीमियम तय करने में भी मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए मेरे किसी ग्राहक के फिटनेस बैंड का डेटा बताता है कि उसकी सेहत में सुधार हो रहा है और उसका लाइफ स्टाइल हेल्दी है तो रिन्युअल के वक्त उसे कम प्रीमियम देना होगा। अगर किसी की सेहत में गिरावट आ रही है तो उसका प्रीमियम बढ़ जाएगा।

डेटा की प्राइवेसी पर तस्वीर साफ नहीं
हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में यूजर डेटा के इस्तेमाल, इसकी सुरक्षा और प्राइवेसी से जुड़े रेग्युलेशन पर अभी तस्वीर साफ नहीं है। जुलाई 2018 में बीमा क्षेत्र की नियामक संस्था बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने कुछ सिफारिशें जरूर की थीं। लेकिन कोई नियम बनाने जैसे कदम नहीं उठाए हैं। इसके अलावा यूजर के डेटा की गोपनीयता से जुड़े दो अहम बिल अभी तक अटके हुए हैं। इनमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी डिजिटल इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी इन हेल्थकेयर एक्ट (दिशा) का ड्राफ्ट और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल शामिल है।

हेल्थ स्कोरिंग के लिए यूजर डेटा के इस्तेमाल को लेकर फिलहाल कोई कानूनी रूपरेखा नहीं है
इंडस लॉ फर्म में पार्टनर नमिता विश्वनाथ के मुताबिक देश के मौजूदा कानूनी ढांचे में हेल्थ स्कोरिंग के लिए यूजर डेटा के इस्तेमाल को लेकर फिलहाल कोई कानूनी रूपरेखा का प्रावधान नहीं है। हेल्थ इंश्योरेंस के लिए अगर यूजर डेटा के आधार पर कैटेगरी बनाई जाती हैं तो इसके लिए काफी बारीकी और गंभीरता से काम करना होगा। क्योंकि इन्हीं के आधार पर पॉलिसी के तहत मिलने या नहीं मिलने वाली सुविधाएं और प्रीमियम तय होगा। अगर पॉलिसी के तहत सुविधाएं या लाभ न देने का मजबूत आधार नहीं है तो फिर यह भेदभाव की श्रेणी में आएगा, जो न तो यूजर के लिए अच्छा होगा और न ही कंपनी के लिए।

सरकारी हेल्थ डेटाबेस बनने की रफ्तार धीमी
2016-17 में सरकार ने पूरे देश का हेल्थ डेटा एक जगह उपलब्ध कराने के लिए एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफार्म (आईएचआईपी) बनाने की योजना बनाई थी। इसके तहत सभी डॉक्टरों, क्लिनिकों और अस्पतालों का डिजिटल नेटवर्क तैयार करना था, जो एक बड़ी चुनौती है। इसका एक ड्राफ्ट भी तैयार किया गया था। इसमें इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड तैयार करने के मानकों की जानकारी दी गई थी। इसके बाद नीति आय़ोग ने हेल्थ डेटाबेस के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य स्टैक (एनएचएस) बनाने की योजना रखी। यह हेल्थ डेटाबेस साल 2022 तक तैयार होना है। सरकारी डेटाबेस तैयार होने की धीमी चाल को देखते हुए हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर की कंपनियों ने पहले ही कदम बढ़ा दिए हैं और टेक्नोलॉजी के जरिए अपने डेटाबेस बनाने शुरू कर दिए हैं।

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today

Health insurance: food from favorite restaurant can increase the premium
Health insurance: food from favorite restaurant can increase the premium