चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी इन दिनों एक नई समस्या से जूझ रही है। शिअद-भाजपा सरकार के समय दस वर्षों तक ‘मलाई खाने’ वाले पार्षद चुनाव लड़ने से कतरा रहे हैं। पार्टी ने अब ऐसे नेताओं पर लगाम कसने की तैयारी कर ली है। जो पार्षद चुनाव लड़ने से भागेंगे उन्हें पार्टी अब दस साल के लिए ब्लैकलिस्ट करेगी। यह फैसला पार्टी की इलेक्शन कमेटी ने लिया है।
भाजपा के प्रदेश प्रधान विजय सांपला, अविनाश राय खन्ना, तरुण चुघ, कमल शर्मा, प्रो. राजिंदर भंडारी, मनोरंजन कालिया आदि पर आधारित इलेक्शन कमेटी ने यह फैसला लिया है। यही नहीं ऐसे नेताओं को पार्टी दस वर्षों तक न तो संगठन की जिम्मेदारी सौंपेगी और न ही सरकारी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
अमृतसर और पटियाला में यह समस्या आ रही थी कि करीब एक दर्जन के करीब पार्षद इस बार नगर निगम चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर चुके हैं। भाजपा ने इस मनोवृत्ति को बड़ी गंभीरता से लिया है। राज्य में अब कांग्र्रेस की सरकार होने के कारण ये पार्षद चुनाव लडऩे से पीछे हट रहे हैं, जबकि पिछले वर्षों तक अकाली-भाजपा के शासनकाल में इन पार्षदों ने मलाई खाई है।
पार्टी यह मान रही है कि अगर समय रहते इस पर रोक न लगाई गई तो नेताओं की इस मनोवृत्ति में वृद्धि हो सकती है। यही कारण है कि पार्टी ने फैसला लिया है कि ऐसे पार्षदों को पार्टी से तो नहीं निकाला जाएगा लेकिन उन्हें अगले दस वर्षों के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाएगी। इसके लिए बकायदा पार्टी एक फाइल भी तैयार करेगी जिसमें इन ‘भगौड़ों’ के नाम दर्ज किए जाएंगे।