बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि देश की 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक प्रताड़ना से मुक्ति दिलाने के लिए राजनीतिक नफा-नुकसान की फिक्र किए बगैर एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर तीन तलाक प्रथा का पुरजोर विरोध किया था. 22 अगस्त 2017 के ऐतिहासिक फैसले में न्यायालय ने इस अन्याय को गैरकानूनी बताया था. सरकार ने तीन तलाक पर लोकसभा में बिल पेश कर मुस्लिम महिलाओं से वादा निभाया.
उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि कट्टरपंथी ताकतों के दबाव में कांग्रेस, आरजेडी समेत कई दल मुस्लिम महिलाओं को हर तरह से प्रताड़ित करने वाली तीन तलाक प्रथा का समर्थन करते रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने लोकसभा में बिल पेश कर एक ही बार में तीन बार तलाक कहकर विवाह तोड़ने वालों को सजा दिलाने का इरादा साफ कर दिया है. विपक्ष बताए कि जब दहेज उत्पीड़न में सजा हो सकती है, तब तीन तलाक पर क्यों नहीं?
उन्होंने कहा कि 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने लोकसभा में कांग्रेस के प्रचंड बहुमत का दुरुपयोग कर तलाकशुदा शाहबानों को गुजारा भत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बेअसर कर दिया था. 31 साल बाद राहुल गांधी तीन तलाक को दंडनीय अपराध घोषित करने संबंधी बिल का समर्थन कर अपने पिता के राजनीतिक अपराध का प्रायश्चित कर रहे हैं.
सुशील मोदी ने ट्वीट कर आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार को विकास से वंचित रख 15 साल तक गरीबों-पिछड़ों के साथ अन्याय करने वाले लालू प्रसाद को न्यायालय ने जब चारा घोटाला के एक और मामले में सारे तथ्यों-प्रमाणों के आधार पर दोषी पाया, तब उनकी पार्टी न्यायपालिका पर जातिवादी आरोप लगाने लगी. अब जब 3 जनवरी को सजा तय होनी है, तब न्याय यात्रा के बहाने आरजेडी राज्य भर में जातीय उन्माद और हिंसा भड़काने की तैयारी कर रही है.
मोदी ने चेतावनी देते हुए कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध पर रोक नहीं, लेकिन शरारती तत्वों को बख्शा नहीं जाएगा.
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020