मुंबई. अंपायर्स की कमी के कारण भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को कूच बिहार ट्रॉफी का कार्यक्रम बदलना पड़ा है। कूच बिहार ट्रॉफी के मैचों की तारीख रणजी ट्रॉफी के मुकाबलों से टकरा रही थीं। दोनों टूर्नामेंट को एक साथ कराने के लिए पर्याप्त अंपायर्स और मैच रेफरी नहीं हैं। बीसीसीआई के महाप्रबंधक (क्रिकेट ऑपरेशंस) सैयद सबा करीम ने बताया कि कूच बिहार ट्रॉफी के मुकाबलों को दो-तीन दिन आगे खिसकाया जाता है।
-
कार्यक्रम बदलने के कारण कूच बिहार ट्रॉफी में हिस्सा लेने वाले नौ नए राज्यों का घरेलू क्रिकेट कैलेंडर पूरी तरह गड़बड़ा गया है। संभावना है कि बीसीसीआई राष्ट्रीय स्तर के इस अंडर-19 टूर्नामेंट के मुकाबले दो-तीन दिन देर से शुरू होगा।
-
यह पूछने पर कि क्या अंपायर्स की कमी है, सबा ने कहा, अंपायर की संख्या कोई समस्या नहीं है। यह सिर्फ इसलिए है, क्योंकि बहुत से मुकाबले एक साथ हैं। हमें अंपायरिंग और मैच ऑफिशियल्स की ड्यूटी बदलने की भी जरूरत होती है।
-
कार्यक्रम बदलना बहुत से क्रिकेट प्रशंसकों को रास नहीं आ रहा है। हाल ही में सबा करीम की क्रिकेट ऑपरेशंस टीम ने सौरव गांगुली की अगुआई वाली टेक्निकल कमेटी के लिए कुछ फैसलों को पलट दिया था। तब भी सबा करीम की काफी आलोचना हुई थी।
-
ऑपरेशंस टीम ने घरेलू टूर्नामेंट नियम में कुछ बदलाव किए थे, लेकिन इसके बारे में उसने टेक्निकल कमेटी को बताना उचित नहीं समझा। इससे गांगुली नाराज थे। इस संबंध में बीसीसीआई के कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा कि उनसे कोई चर्चा नहीं की गई।
-
चौधरी ने बताया, ‘अंपायर्स की कमी का मामला बहुत पुराना है। सुप्रीम कोर्ट ने जब नए राज्यों को बीसीसीआई में शामिल करने का आदेश दिया था, तब क्रिकेट ऑपरेशंस टीम को भी इसके लिए तैयार रहना चाहिए था।’
-
इस साल जुलाई से, बीसीसीआई 54 मैच रेफरियों के साथ 97 प्रथम श्रेणी के मुकाबले ही करा पाया है। तय कार्यक्रम के मुताबिक, 2018-19 के घरेलू सत्र में रिकॉर्ड 2017 मुकाबले (लड़के, लड़कियों, पुरुष और महिलाओं) होने हैं।