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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

फोर्टिस मोहाली के डॉक्टर रोबोट-सहायक सर्जरी के माध्यम से जटिल ईएनटी विकारों से पीड़ित मरीजों को नया जीवन किया प्रदान

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फोर्टिस मोहाली के डॉक्टर रोबोट-सहायक सर्जरी के माध्यम से जटिल ईएनटी विकारों से पीड़ित मरीजों को नया जीवन किया प्रदान

— फोर्टिस मोहाली ने पंजाब में ‘बहरापन-मुक्त भारत’ अभियान शुरू किया –

— डॉ. अशोक गुप्ता ने अब तक 1006 कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी भी की हैं —

चंडीगढ़, 29 मार्च, 2024ः फोर्टिस अस्पताल, मोहाली के ईएनटी विभाग ने दुनिया के सबसे उन्नत चैथी पीढ़ी के रोबोट – दा विंची एक्सआई के माध्यम से जटिल कान, नाक और गले (ईएनटी) विकारों से पीड़ित कई रोगियों का इलाज किया है। कान, स्ट्रेप थ्रोट, साइनसाइटिस और स्लीप एपनिया के जटिल संक्रमणों में रोबोट-सहायक सर्जरी को स्वर्ण मानक उपचार माना जाता है।

डॉ. अशोक गुप्ता, निदेशक, ईएनटी और हेड एंड नेक सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली, के नेतृत्व में ईएनटी विभाग, जिन्होंने अब तक 1006 कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी भी सफलतापूर्वक की हैं, ने पंजाब में एक अभूतपूर्व ‘बहरापन-मुक्त भारत’ अभियान शुरू किया है, और इसका लक्ष्य है देश के कोने-कोने तक अपनी पहुंच बढ़ाना है। अभियान के हिस्से के रूप में, ट्राइसिटी (चंडीगढ़, पंचकुला और मोहाली) में बहरेपन और सुनने की हानि को संबोधित करने के लिए जागरूकता सत्र आयोजित किए जाएंगे, और इसे पूरे पंजाब में दोहराया जाएगा।

डॉ. गुप्ता ने जटिल ईएनटी विकारों वाले कई रोगियों का भी इलाज किया है और उन्हें संक्रमण से पूरी तरह ठीक किया है। ऐसे ही एक मामले में, एक 6 वर्षीय लड़की द्विपक्षीय बहरापन (जन्मजात श्रवण हानि जो दोनों कानों को प्रभावित करती है), टिनिटस (कानों में बजना) से पीड़ित थी और उसके कान से स्राव हो रहा था। मरीज के माता-पिता उसे फोर्टिस मोहाली ले आए जहां डॉ. गुप्ता ने उसकी जांच की और कॉक्लियर इम्प्लांटेशन सर्जरी कराने का फैसला किया।

कोक्लीअ आंतरिक कान का हिस्सा है जो सुनने में शामिल होता है और इसकी कोशिकाओं को किसी भी तरह की क्षति होने से सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है। कॉक्लियर इंप्लांटेशन दुनिया की एकमात्र तकनीक है जो सुनने की क्षमता को बहाल करने और वाणी और भाषा के विकास में मदद करती है।

डॉ. गुप्ता ने युवा रोगी पर कॉक्लियर इंप्लांटेशन किया, जहां एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को कान (कोक्लीअ) के भीतर इम्प्लांट किया गया और एक डिवाइस (प्रोसेसर) को बाहर रखा गया। कॉक्लियर इम्प्लांट श्रवण तंत्रिका को उत्तेजित करता है और रोगी को ध्वनि और भाषण को समझने में मदद करता है। सर्जरी के दो दिन बाद ही मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह बेहतर ढंग से सुनने और आवाज समझने में सक्षम हो गया है।

एक अन्य मामले में, रोगी सन्नी गोयल, उम्र 28 वर्ष, सांस लेने में समस्या और अत्यधिक सुस्ती के साथ फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में आये। डॉ. गुप्ता ने मरीज की जांच की और चिकित्सकीय जांच से पता चला कि वह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओबीएस) – एक नींद विकार से पीड़ित था, जिसमें नींद के दौरान थोड़े समय के लिए सांस अनैच्छिक रूप से रुक जाती है और फिर शुरू हो जाती है। यह स्थिति तब होती है जब ऊपरी गले की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं और वायुमार्ग को अवरुद्ध कर देती हैं। इससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है और नींद का चक्र बाधित हो जाता है।

डॉ. गुप्ता के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम में एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. अनुरागिनी गुप्ता भी शामिल थीं और ईएनटी विभाग की डॉ. नेहा शर्मा ने ट्रांसोरल रोबोट-असिस्टेड यूवुलोप्लाटोफैरिंजोप्लास्टी (यूवीपीपी)- गले में अतिरिक्त ऊतक को बाहर निकालकर ऊपरी वायुमार्ग को खोलने के लिए एक सर्जरी, का संचालन किया डॉ. गुप्ता ने मरीज के वायुमार्ग का पुनर्निर्माण किया जिसमें सांस लेने को आसान बनाने के लिए श्वासनली को चैड़ा किया गया। सर्जरी के दो दिन बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह पूरी तरह से ठीक है।

मामलों पर चर्चा करते हुए, डॉ. गुप्ता ने कहा, “कॉक्लियर इम्प्लांटेशन उन लोगों के लिए एक वरदान है जिन्हें सुनने में कठिनाई होती है क्योंकि इम्प्लांट से सुनने की क्षमता में सुधार होता है। इसके अलावा, स्लीप एपनिया से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। रोबोट-सहायक सर्जरी मिनिमल इनवेसिव सर्जरी का नवीनतम रूप है और रोगी के शरीर में डाले गए एक विशेष कैमरे के माध्यम से ऑपरेटिव क्षेत्र का 3डी दृश्य प्रदान करती है। शरीर के जिन हिस्सों तक मानव हाथ से पहुंचना मुश्किल है, उन तक रोबोट-सहायक उपकरण के माध्यम से पहुंचा जा सकता है जो 360 डिग्री तक घूम सकते हैं और कई प्रकार की गतिविधियां प्रदान कर सकते हैं।