अपने लक्ष्य के प्रति संकल्पबद्ध रहें युवा- राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
नार्थ कैप यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राओं को दी स्कोलरशिप
युवाओं से देश को विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया राज्यपाल ने
चंडीगढ़, 5 मार्च —- प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति को लागू कर देश के युवाओं को रोजगारपरक एवं गुणवत्तापरक शिक्षा हासिल करने की नई राह दिखाई है। वर्ष 2025 तक हरियाणा के सभी विश्वविद्यालयों में इस शिक्षा नीति को पूर्णतया लागू कर दिया जाएगा।
गुरुग्राम की नॉर्थ कैप यूनिवर्सिटी के 13 वें छात्रवृत्ति वितरण समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए राज्यपाल ने आज यह बात कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान युवा पीढ़ी ही देश को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी। इसके लिए युवाओं का कौशल विकास होना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसीलिए नई शिक्षा नीति-2020 का प्रतिपादन किया है। जिसे धीरे-धीरे विश्वविद्यालयों में क्रियान्वित किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2025 तक यह नीति हरियाणा प्रदेश में पूरी तरह से लागू हो जाएगी। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि नवाचार व अनुसंधान की दिशा में विद्यार्थियों को अधिक से अधिक काम करना चाहिए। जीवन में कोई भी श्रेष्ठ संकल्प धारण कर युवाओं को उसके लिए प्रतिबद्घ रहना चाहिए। हम संकल्प से ही सिद्धि की ओर आगे बढ़ सकते हैं।
बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का उदाहरण देते हुए राज्यपाल ने कहा कि पर्याप्त संसाधन ना होते हुए भी डा. भीमराव ने सर्वोच्च शिक्षा प्राप्त की। वे पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, जर्मनी व कैलिफोर्निया की यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। इसलिए विद्यार्थी अपनी परिस्थितियों से हार नहीं माने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहें। उन्हें तकनीकी दक्षता प्राप्त करनी चाहिए।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नुपुर प्रकाश ने नॉर्थ कैप यूनिवर्सिटी की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं ने विश्वविद्यालय को प्लेटिनम, डायमंड व गोल्ड बैज से सम्मानित किया है। समारोह में 350 से अधिक छात्र-छात्राओं को मेरिट के आधार पर स्कोलरशिप प्रदान की गई। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने इन सभी विद्यार्थियों को अपनी ओर से शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संस्थापक अवधेश मिश्रा, शिवचरण मेहरा, जोरावर दौलत सिंह, प्रो. प्रेमव्रत, रजिस्ट्रार कॉमोडर दिवाकर तोमर इत्यादि मौजूद रहे।