‘बेहड़ा बाबुल दा’ नीलम नारंग की पुस्तक का विमोचन व चर्चा
राष्ट्रीय कवि संगम व भाषा विभाग मोहाली के संयुक्त तत्वावधान में कवयित्री नीलम नारंग के पंजाबी काव्य संग्रह का विमोचन भाषा विभाग मोहाली के प्रांगण में किया गया।
काव्य संग्रह ‘वेहड़ा बाबुल दा ‘ के विमोचन में ट्राई सिटी चंडीगढ़ के अनेक कवियों ने भाग लिया। इस समारोह में अखिल भारतीय साहित्य परिषद हरियाणा की उपाध्यक्ष श्रीमती संतोष गर्ग मुख्य अतिथि के रूप में पधारीं। चंडीगढ़ लेखक सभा के अध्यक्ष श्री बलकार सिंह सिद्धू जी व डा.दविंदर सिंह बोहा जिला भाषा अफसर, मोहाली ने इस समारोह की अध्यक्षता निभाई। बाल साहित्यकार सरदार मनमोहन सिंह दाऊं जी इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे। सबसे पहले राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष रंजन मगोत्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
कवयित्री दिलप्रीत चाहल ने बड़ी ही खूबसूरती से मंच का संचालन करते हुए कवि संगम, इकाई की महासचिव लेखिका नीलम नारंग को एक अच्छी कवयित्री व सुलझी हुई महिला बताया। भाषा विभाग अफसर
डॉक्टर दविंदर सिंह बोहा ने कविताओं की सराहना करते हुए कहा कि नीलम की कविताएं प्यार से रिश्तों को सहेजने और जीने का हुनर सिखाने वाली हैं। डॉ मनमोहन सिंह दाऊं जी ने कहा कि यह कविताएं अतीत और भविष्य के बीच पुल बनाने का काम करती हैं। श्रीमती संतोष गर्ग ने कहा कि नीलम की कविताएं अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों को भी निभाना सिखाती हैं। यह कविताएं समाज में जागृति लाने का काम करेंगी।
इस अवसर पर पंचकूला इकाई अध्यक्ष सविता गर्ग, महासचिव सीमा गुप्ता, बाबूराम दीवाना, सुरजीत सिंह धीर, बलविंदर ढिल्लों, प्रभजोत कौर ने अपनी खूबसूरत कविताएं पेश कीं। इनके साथ ही पंचकूला की कवयित्री कृष्णा गोयल, परमिंदर सोनी, कवि सागर सिंह भूरिया, विनोद शर्मा, गुरविंदर कौर, नेहा शर्मा, सुधा जैन,आशा रानी, रेनू अब्बी, रजनी पाठक, जगतार सिंह, ध्यान सिंह आदि कवि भी विशेष रूप में उपस्थित थे।
‘वेहड़ा बाबुल दा’ काव्य संग्रह की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ कवयित्री सतबीर कौर ने कहा कि नीलम की बचपन पर लिखी कविताएं सहज स्वभाव ही हर किसी को अपने बचपन के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती हैं। उनकी कविताएं निज की कविता न रहकर पूरे समाज की कविता बन गई हैं।
बलकार सिद्धू ने कहा कि नीलम की कविताएं विभिन्नता लिए हुए हैं, सभ्याचार को और रिश्तों को सहेजने का काम करती हैं। रंजन मंगोत्रा ने नीलम को उनके प्रथम पंजाबी काव्य संग्रह की बधाई देते हुए कहा कि उनकी कविताएं बहुत ही सहज और सरल भाषा में लिखी गई है। पाठकों के हृदय पर यह गहरी छाप छोड़ेंगी।
अंत में काव्य संग्रह की लेखिका नीलम नारंग ने
अपनी रचनात्मक प्रक्रिया के बारे में कहा कि मेरी दो पुस्तकें हिंदी भाषा में प्रकाशित हो चुकी हैं लेकिन मुझे अपनी मातृभाषा पंजाबी में लिखने की कमी महसूस हुई और इसी कारण मैं यह काव्य संग्रह बेहड़ा बाबुल दा लिख पाई। यह मेरी पहली पुस्तक है। इस पुस्तक में बाबुल के घर की मेरी सच्ची भावनाओं द्वारा रची गई कविताएं शामिल हैं।