Chandigarh Today

Dear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org

Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

राम भक्ति पर सिर्फ भाजपा का कॉपीराइट नहीं : पवन बंस

0
58
राम भक्ति पर सिर्फ भाजपा का कॉपीराइट नहीं : पवन बंसल
राम भक्ति पर सिर्फ भाजपा का कॉपीराइट नहीं है और भगवान राम और हनुमानजी बीजेपी के नेता भी नहीं हैं; बल्कि राम सभी के हैं , पूर्व यूनियन मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन बंसल ने कहा कि मैं भी हिन्दू हूँ, अयोध्या राम मंदिर जरूर जाऊँगा लेकिन भाजपा के कार्यक्रम में मूक दर्शक बनने नहीं,  रामभक्त के रूप में अपने सैकड़ों साथियों के संग जाऊंगा। चार शंकराचार्यों ने राम मंदिर के उद्घाटन का निमंत्रण ठुकरा दिया है जो इस सत्य को उजागर करता है कि मंदिर का इस तरह उद्घाटन राम के लिए नहीं बल्कि चुनाव के लिए हो रहा है।
ये एक राजनीतिक प्रोग्राम है बीजेपी और आरएसएस का, भगवान राम और उनके करोड़ों भक्तों की भावनाओं से जुड़ा नहीं… राम भगवान और राम भगवान के आदर्शों से भाजपा को दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं बस 2024 का चुनाव और वोटों की फ़सल काटने के लिए यह सब क़वायद की जा रही है। हर चीज को बाँटने मे माहिर भाजपा ने आखिर भगवान को भी बाँट दिया।
हिन्दू धर्म कोई भाजपा की जागीर नहीं,  और राम मंदिर कोई भाजपा की कामयाबी नहीं है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से बना है। 22 जनवरी को भाजपा की ही बड़ाई की जाएगी,  इसलिये कांग्रेस नेताओं के मूक दर्शक बनने का कोई औचित्य नहीं है।
1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने भी सुप्रीम कोर्ट जैसा ही प्लान तैयार किया था जिसको विश्व हिंदू परिषद ने उस वक्त नकार दिया था,  जिसमें विवादित स्थल पर आलीशन राम मंदिर व पास ही में मस्जिद के निर्माण की बात कही थी। लेकिन वीएचपी ने 18 किलोमीटर के दायरे में कोई और धार्मिक स्थल ना बनने की बात कह कर उसका विरोध किया था।
यहां तक कि 1988 में राजीव गांधी ने ही राम मंदिर का शिलान्यास किया था, जबकि खुद भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके शाहनवाज़ हुसैन ने संसद में ये बयान दिया था कि रामलला की स्थापना भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी।
ये सिर्फ और सिर्फ राजनीति की जा रही है बस आधे-अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अपने हित और वोट बैंक के लिए किया जा रहा है जो विरोध में हो जाए वही इनका दुश्मन हो जाए, चाहे वो शंकराचार्य हो या कोई और इनको किसी से फर्क नही पड़ता, सत्ता के लिए ये कुछ भी करेंगे।
इसीलिए सोनिया गांधी ,राहुल व शंकराचार्य भी मोदी के भाजपा की बड़ाई की गाथा सुनने नहीं जा रहे हैं। और राम मंदिर बनाने का श्रेय लेकर भाजपा आम चुनावों में वोट हासिल करना चाहती है, वो इनकी ओछी सियासत को ही दर्शाता है।
इलेक्शन तक मोदी जी मंदिरों के विकास पर जोर देंगे, क्योंकि उनके पास 10 साल का हिसाब देने से बचने के लिए सिर्फ यही एक रास्ता बचा है।