मोबाइल/साइबर क्राइम और रेडिएशन के प्रति सजगता प्रदान करने लिये दूरसंचार विभाग द्वारा कंज्यूमर अवेयरनेस सत्र आयोजित
- विभाग द्वारा शुरु किये गये ‘संचार साथी’ और ‘तरंग संचार’ पोर्टल उपभोक्ता मैत्री, उठाये इसका लाभ : डीओटी अधिकारी
- मोबाईल रेडिएशन हानिकारक नहीं, टावर में अनियमितता पाये जाने मोबाईल कंपनियों पर लगता है भारी जुर्माना
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 12 सितम्बर :
मोबाईल उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और संबंधित जालसाजी के प्रति सजग करने की दृष्टि से मंगलवार को सेक्टर 37 स्थित काम्युनिटी सेंटर में एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र का आयोजन उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिये जागरुक करने की दिशा में प्रयासरत संस्था – सिटिजंस अवैरनेस ग्रुप (सीएजी) ने भारत सरकार की टेलीकॉम सेवायें रेगूलेट करने वाली ईकाई – टेलीकॉम रेगूलेटरी अथोरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (डीओटी) के सहयोग से किया गया था। सीएजी के चेयरमेन सुरेन्द्र वर्मा ने बताया कि सत्र का उद्देश्य टेलीकॉम विभाग और कंपनियों के प्रतिनिधियों और आम नागरिकों व उपभोक्ताओं को मंच प्रदान करवाना था जहां संबंधित कार्यक्षेत्र की चुनौतियों और सरकार द्वारा शुरु की गई पहल से अवगत करवाना था।
मोहाली स्थित डीओटी के डायरेक्टर – सेक्योरिटी एंड डीआई सीबी सिंह ने अपने संबोधन में इसी वर्ष मई में दूरसंचार विभाग द्वारा उपभोक्ता मैत्री पोर्टल ‘संचार साथी’ के विषय में प्रकाश डालते हुये बताया कि सरकार की यह पहल उपभोक्ताओं को उनके मोबाईल उपकरणो के प्रति ओर अधिक सशक्त करने की दृष्टि की गई है ताकि वे किसी भी मोड़ पर अपने आप को ठगा हुआ महसूस न करें। उन्होंनें बताया कि पोर्टल के अधीन तीन प्रकार – सीईआईआर, टेफकॉप और केवाईएम की सेवायें उपलब्ध करवाई जा रही है। सीईआईआर के माध्यम से खोयेे हुये मोबाईल का पता लगाया जा सकता है और यहां तक उपभोक्ता मिसयूस से बचने के लिये घर पर ही अपने मोबाईल को ब्लॉक कर सकता है जबकि टेफकॉप के द्वारा यह जानकारी प्राप्त की जा सकती है उपभोक्ता के नाम पर कितने मोबाईल कुनैक्शन चल रहे है जिससे की किसी भी बड़ी संभावित अपराध में लिप्त होने से बचा जा सकता है। तीसरी सेवा केवाईएम यानी नो यूअर मोबाईल के माध्यम से मोबाइल उपकरण को खरीदने से पहले पता लगाया जा सकता है कि क्या यह मोबाईल ब्लैकलिस्टिड, डुप्लीकेट या पहले से ही इस्तेमाल में लाया गया है की नहीं। पोर्टल सलाह देता है कि ऐसे उपकरणों को कभी न खरीदे।