ट्रेड और इंडस्ट्री के लिए मील का पत्थर साबित होगा इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर : दीपक मैनी
– जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुए इस एग्रीमेंट को प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ने सराहाh
– मिडिल ईस्ट और यूरोप के बाजारों तक भारत की होगी सीधी पहुंच, माल भाड़े में आएगी भारी कमी
गुरुग्राम: जी.20 शिखर सम्मेलन में इंडिया.मिडिल ईस्ट–यूरोप–इकोनॉमिक कॉरिडोर (आईएमईसी) की घोषणा का प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) ने स्वागत किया है। पीएफटीआई के चेयरमैन दीपक मैनी का कहना है कि यदि यह परियोजना परवान चढ़ी तो ट्रेड और इंडस्ट्री की दृष्टि से यह मील का पत्थर होगा। देश निर्यातकों को अपने विभिन्न उत्पादों के निर्यात के लिए अधिक धन नहीं खर्च करना पड़ेगा। यह उत्पाद कम लागत में मिडिल ईस्ट के देशों और यूरोप तक पहुंचेगा। वहीं औद्योगिक आयात-निर्यात और पूंजी निवेश की प्रक्रिया में गतिशीलता आएगी। उन्होंने बताया कि गुरुग्राम से गारमेंट, आटोमोबाइल तथा इंजीनियरिंग उपकरणों को अरब और यूरोप के देशों में होता है। वहीं हरियाणा के एग्रो फूड, अनाजों, फार्माश्यूटिकल प्रोडक्ट, मेडिकल प्रोडक्ट आदि वस्तुओं का इन देशों में भारी पैमाने पर निर्यात किया जाता है।
अरब और यूरोप के देशों से विभिन्न प्रकार के कच्चे माल का आयात किया जाता है। इंडिया–मिडिल ईस्ट–यूरोप–इकोनॉमिक कॉरिडोर का काम पूरा होने के बाद आयात-निर्यात के काम में लगने वाले भाड़े में कमी से माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज को भरपूर लाभ होगा और इनका कारोबार भी तेजी से बढ़ेगा। दीपक मैनी ने कहा कि अभी मुंबई या गुजरात पोर्ट से जो भी औद्योगिक उत्पाद मिडिल ईस्ट या यूरोप के देशों से होकर जाता है उसे लंबा रूट तय करना होता है। औद्योगिक उत्पादों को वर्तमान में इन बंदरगाहों से अरब सागर, लाल सागर, स्वेज नहर होते हुए भूमध्य सागर के माध्यम से यूरोप तक ले जाया जाता है। इससे माल ढुलाई का भाड़ा अधिक लगने के साथ-साथ इन्हें पहुंचाने में समय भी अधिक लगता है। कॉरिडोर बन जाने के बाद औद्योगिक उत्पाद अरब सागर से यूएई फिर ट्रेन से सउदी अरब होते हुए ग्रीन तक जाएगा। ग्रीस तक पहुंचने का अर्थ है कि पूरा यूरोप कवर हो जाएगा। मैनी ने कहा कि यह परियोजना इतनी महत्वपूर्ण है कि इससे चीन के बीआरआई परियोजना को बड़ा झटका लगेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और अन्य देशों के नेताओं ने इस प्रोजेक्ट को लेकर जो एमओयू साइन किया है उससे चीन की चुनौती का भी समाधान होगा।