-कार्डियेक अरेस्ट की स्थिति में व्यक्ति का जीवन बचाने में भूमिका निभाती है सीपीआर तकनीक
-एडीसी ने जागरुकता रथ को झंडी दिखाकर रवाना किया
गुरुग्राम। भारतीय रेड क्रॉस समिति हरियाणा राज्य शाखा चंडीगढ़ की ओर से हरियाणा में सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) प्रशिक्षण जागरुकता अभियान के तहत बुधवार को गुरुग्राम से जागरुकता रथ को एडीसी हितेश कुमार मीणा ने झंडी दिखाकर रवाना किया। 25 जुलाई से चंडीगढ़ से शुरू हुआ यह रथ 9 सितम्बर तक पूरे हरियाणा प्रदेश में सीपीआर के प्रति जागरुक करेगा।
इस जागरुकता अभियान में लोगों को बताया जा रहा है कि सीपीआर एक जीवन रक्षक तकनीक है। आपात स्थिति में हम सबको इस तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय व भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी हरियाणा के महासचिव डा. मुकेश अग्रवाल के दिशा-निर्देशन में यह रथ हरियाणा में सीपीआर के प्रति जागरुक कर रहा है। गुरुग्राम से जागरुकता रथ को शुरू करने से पहले एडीसी हितेश कुमार मीणा ने खुद भी सीपीआर तकनीक करके देखी। उन्होंने कहा कि आपात स्थिति में जीवन रक्षा के लिए यह तकनीक हर व्यक्ति को पता होनी चाहिए। रेड क्रॉस गुरुग्राम के सचिव विकास कुमार व जिला प्रशिक्षण अधिकारी ईशांक कौशिक ने लोगों से अपील की है कि सीपीआर को गहनता से सीखें। गुरुग्राम जिला में सीपीआर के प्रति जागरुकता के लिए कार्य करने में रेड क्रॉस सोसायटी हरियाणा से सूरज मौर्या, संदीप कुमार, गुरुग्राम रेड क्रॉस से लेक्चरर डा. विपिन अरोड़ा, डा. नीतिका शर्मा, अतुल पराशर, कविता सरकार, अजय, जयभगवान शामिल हैं।
डा. विपिन अरोड़ा ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को आकस्मिक तबियत बिगडऩे पर, सडक़ दुर्घटना में व्यक्ति का शरीर अगर कोई रिस्पॉन्स न हीं कर रहा हो तो सीपीआर दी जानी बहुत जरूरी होती है। व्यक्ति की तुरंत मौत नहीं होती। उसका ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है। अगर सीपीआर ठीक से दी जाए तो काफी हद तक उस व्यक्ति की सांसें वापस लायी जा सकती हैं। जैसे-जैसे सीपीआर दी जाएगी, वैसे-वैसे दिमाग में रक्त की आपूर्ति होगी।
डा. अरोड़ा के मुताबिक जब रक्त दिमाग में जाएगा तो व्यक्ति जिवित होगा। सीपीआर देना बहुत मुश्किल काम नहीं है, लेकिन इसके लिए प्रशिक्षण लेना जरूरी है। प्रशिक्षण लेकर ही हम इसे सही तरीके से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक मिनट में 120 बार सीपीआर देना होता है। इसमें दो से ढाई ईंच तक छाती पर दबाव डालते हैं। कार्डियेक अरेस्ट की स्थिति में सीपीआर देना होता है।
उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को लेकर हम अस्पताल के लिए तो चल देते हैं, लेकिन उसको सीपीआर नहीं देते। घर से अस्पताल तक हम बिना कोई उपाए किए व्यक्ति को ले जाते हैं। तब तक उसका जीवन खतरे में पड़ चुका होता है। कईयों की जान भी चली जाती है। हमें समझना चाहिए कि कार्डियेक अरेस्ट आने पर व्यक्ति जिंदा रहता है। हम उसे मरा हुआ समझ लेते हैं। अगर उसी समय सीपीआर देना शुरू कर दें तो उसे बचाया जा सकता है। यही सब बताने के लिए यह रथ दो दिन 23 अगस्त और 24 अगस्त तक गुरुग्राम में घूमेगा। स्कूल, कालेज व अन्य शिक्षण संस्थानों में सीपीआर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। सभी के सामने सीपीआर तकनीक को प्रेक्टिकल करके दिखाया जाएगा।