अनुभवी आयुर्वेदाचार्य ही कर सकते हैं किडनी, लीवर और दिल की बीमारी का इलाज : आचार्य स्वामी राजेश्वरानंद
कहा, आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन चिकित्सक परामर्श से करना चाहिए
चंडीगढ़ 28 जुलाई 2023ः आयुर्वेद का लक्ष्य बीमारी के मूल कारण का इलाज करना होता है। आयुर्वेदिक डायग्नोसिस में शरीर में आधारभूत असंतुलन का सावधानीपूर्वक अवलोकन, परीक्षण और समझ शामिल है। एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक आपकी स्थिति का सटीक डायग्नोस कर सकता है और किसी भी स्वास्थ्य समस्या के मूल कारणों की पहचान कर सकता है। आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन चिकित्सक परामर्श से ही करना चाहिए। एक अनुभवी आयुर्वेदाचार्य ही किडनी, लीवर और दिल की बीमारी का इलाज कर सकते हैं। यह बात आयुर्वेद के सुप्रसिद्ध प्रणेता अरिहंत साइंस ऑफ लाइफ के संस्थापक – आचार्य स्वामी राजेश्वरानंद ने सेक्टर 36 स्थित प्राचीन गुग्गा माड़ी मंदिर में आयोजित एक प्रैस वार्ता के दौरान कही।
औषधीय प्रणालियों की तुलना में आयुर्वेद के क्या फायदे हैं और यह कैसे काम करता है, पर चर्चा करते हुए आचार्य स्वामी राजेश्वरानंद ने बताया कि सबसे पहले यह जान लेना आवश्यक है कि आयुर्वेद क्या है, आयुर्वेद का अर्थ है जीवन का विज्ञान। यदि हम मेडिकल साईंस की बात करें तो कोई 200 साल पुराना है कोई 400 साल पुराना है लेकिन आयुर्वेद तब से है जब से मानव सृष्टि में है। यह कहना सही नही होगा कि आयुर्वेद 5000 वर्षो से है बल्कि इसके लेख मिलते हैं यह करोड़ो वर्षो से है क्योंकि जब भी उस समय बीमार होता था तो इसे ही उपयोग में लाया जाता था। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद से उपचार बहुत ही प्रभावशाली होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी बीमारी का इलाज मेडिकल साइंस नही कर पाई है चाहे वह डायबिटीज हो या फिर अर्थराइड्स। यह दवाएं या तो दर्द निवारक होती है या इनमें को न कोई नशीला प्रदार्थ होता है । कोई भी मेडिकल दवा यदि हम लेते है तो वह कभी न कभी शरीर में दुष्प्रभाव छोड़ती है।
आयुर्वेद एक प्राचीन समग्र उपचार प्रणाली है प्रत्येक व्यक्ति की कॉन्स्टिट्यूशन या बनावट विशिष्ट और अनोखी होती है। कुछ आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के विपरीत जो अक्सर केवल लक्षणों के इलाज पर ध्यान केंद्रित करती हैं, आयुर्वेद निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर महत्वपूर्ण जोर देता है। सफाई और विषहरण, आयुर्वेद शरीर से संचित विषाक्त पदार्थों (अमा) को निकालने के लिए नियमित सफाई और विषहरण पर जोर देता है।
आचार्य स्वामी राजेश्वरानंद ने बताया कि स्वास्थ्य के पुराने मामलों में आयुर्वेदिक उपचार की प्रभावशीलता और गति कई कारकों की वजह से भिन्न हो सकती है, जिसमें स्थिति की गंभीरता और जटिलता, व्यक्ति का समग्र स्वास्थ्य, उपचार योजना का अनुपालन और आयुर्वेदिक चिकित्सक की विशेषज्ञता शामिल है। उन्होंने बताया आयुर्वेदिक उपचार में आहार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे स्वास्थ्य और कल्याण के मूलभूत स्तंभों में से एक माना जाता है। आयुर्वेद में, भोजन को केवल पोषण के स्रोत के रूप में नहीं बल्कि एक शक्तिशाली औषधि के रूप में देखा जाता है जो शरीर, मन और आत्मा को प्रभावित कर सकता है। एक संतुलित और उचित आहार स्वास्थ्य को बनाए रखने, बीमारियों को रोकने और शरीर की प्राकृतिक उपचार प्रक्रियाओं का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा कि बीमारी का इलाज एक माहिर आयुर्वेदिक डॉक्टर से ही करवाना चाहिए क्योंकि एक डॉक्टर मरीज की प्रकृति के इलाज को समझ कर इलाज करता है। बिना डॉक्टर के परामर्श से दवा नही लेनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि अरिहंत साइंस ऑफ लाइफ में हर बीमारी का इलाज तरीके से व जड़ से किया जाता है । लीवर फेलियर, हार्ट ब्लोकेज, अस्थमा, या किसी भी प्रकार के असाध्य रोग भी हैं तो उनका भी इलाज संभव है। लेकिन यह आयुर्वेद के गहरे ज्ञान से ही संभव हो सका है। यहां पर कोई भी मरीज जो निराश हो चुका है उसे ठीक किया जाता है।