तीन जर्मन यूनिवर्सिटियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एआई के साथ न्यूट्रिशनल च्वाईस को ट्रैक करने के लिये इस प्रोजेक्ट में की पहल: विनीत सिंह, सीईओ, कैल्वरी वेलनेस
चंडीगढ़, भारत सरकार के स्वास्थ्या और परिवार कल्याण मंत्रालय के हैल्थ एंड रिसर्च डिपार्टमेंट की ईकाई हैदराबाद स्थित आईएसएमआर – नैश्नल इंस्टीच्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के अधीन इंडो-जर्मन कोलेबोरेशन के तहत जर्मनी की तीन शोध विश्वविद्यालयों और एसटीपीआई, मोहाली स्थित हैल्थ टेक स्टार्टअप कैल्वरी वेलनेस के सहयोग से शुक्रवार को चंडीगढ़ प्रेस कल्ब में अपनी तरह का न्यूट्रीएड एप लांच किया है जो स्वस्थ्य और न्यूट्रिशन के क्षेत्र में व्यापक क्रांति लाने के लिये डिजाईन किया गया है। इस प्रोजेक्ट में जर्मनी की ऑग्सबर्ग युनिवर्सिटी, जर्मन इंस्टीच्यूट ऑफ हयूमन पॉट्सडैम रेहब्रुक और वुपर्टल इंस्टीच्यूट फॉर क्लाईमेट, एनवायरमेंट, एनर्जी जीजीएमबीएच की भागीदारी है । न्यूट्रीएड का उद्देश्य देश में व्याप्त विभिन्न फूड प्रेक्टिसिस और न्यूट्रिशन संबंधी निर्णय लेने के महत्वपूर्ण पहलूओं की जांच करना और उनके समाधान प्रदान करवाना है।
न्यूट्रीएड एप लोगों के लिये उनकी व्यक्तिगत खाने की आदतों को मापने और बदलने के लिये एक सार्थक उपकरण के रूप में काम करेगा। यह लोगों को एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) फूड रिकग्निशन (पहचान) के टूल के साथ अपने न्यूट्रिशन संबंधित विकल्पों को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है। अपने फोन पर डाउनलोड न्यूट्रिएप के माध्यम से परोसे खाने को स्कैन कर व्यक्ति खाने की कैलेरीज को तुरन्त माप सकता है। इससे एक हेल्दी और अधिक टिकाउ जीवनशैली अपनाने के लिये प्रेरित करता है। आहार विकल्पों यानी फूड च्वाईस के प्रभाव की गहरी समझ की सुविधा प्रदान करके न्यूट्रीएड लोगों को सही फैसले लेने और पॉजिटिव बदलावों को अपनाने का अवसर प्रदान करता है। आधुनिक टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक अनुसंधान रिसर्च का लाभ उठाकर दोनों देशों की संयुक्त टीमों का लक्ष्य समग्र दृष्टिकोण (होलिस्टिक अप्रोच) का पालन करके लोगों की न्यूट्रिशन में सुधार करना है। जनहित में यह एप निशुल्क उपलब्ध है।
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुये जर्मनी स्थित ऑग्सबर्ग सेंटर फॉर क्लाइमेट रेजिलिएंट में अर्बन क्लाइमेट रेसिलिएंट के अध्यक्ष व जाने माने ह्यूमन ज्योग्राफर प्रोफेसर डॉ मार्कस केक जिन्होंने इस प्रोजेक्ट का मसौदा तैयार किया, ने कहा कि यह साझा प्रयास वस्ताव में ट्रांसफॉर्मेटिव साइंस का एक बेहतरीन मौका है जो भारत में पोषण सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देगा। यह पहल भारत में न्यूट्रिशन परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंनें विश्वास जताया कि जाने माने संस्थानों के सामूहिक कौशल के आदान प्रदान के साथ नयूट्रिएड लोगों की खाने की आदतों में पॉजिटिव चेंज लाने के लिये तैयार है।
इस अवसर पर उपस्थित आर्टिफिशल इंटेलिजेंस आधारित फूड और न्यूट्रिशन को पहचान मंच प्रदान करने के लिये टाईकान 2020 पुरस्कार के विजेता और इस प्रोजेक्ट की कल्पना करने वाले कैल्वरी वेलनेस के सीईओ विनीत सिंह ने कहा कि यह एप लोगों का अनहैल्थी और अनसेसटेनेबल डाईट्री पैटर्न को बदलने में बढ़ावा देगा जिसमें अकसर बाजार में प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स का सेवन और चीनी, नमक, प्रोटिंस, कैलोरीज और फेट्स का अत्याधिक सेवन होता है। नयूट्रिश्यिस, लोकल ही पैदा की गई खाद्य सामग्री, कम से कम प्रोसेस्ड और मुख्य रुप से पौधे (वनस्पति) आधारित फूड प्रोडक्ट्स की खपत को प्रोत्साहित करके, न्यूट्रीएड लोगों को उनकी आहार संबंधी डाईट्री आदतों में पोजिटिव बदलाव लाने के लिये मार्गदर्शन करता है।
इस अवसर पर वर्चुअल रूप से शामिल हुये हैदराबाद स्थित आईसीएमआर – एनआईएन में न्यूट्रिशन हेड तथा एफ ग्रेड के वैज्ञानिक डॉ सुब्बाराव गवारवरपु ने कहा न्यूट्रिएड प्रोजेक्ट मल्टी लेवल अपरोच को अपनाती है और शहरी मिडिल क्लास के बीच सेल्फ क्वालिफिकेशन यानि स्वयं निर्धारित पौष्टिक मात्रा के निर्धारण के लाभ और नुकसान की जांच करती है । भारत में लोग अपने को स्वस्थ और निरोग रखने के लिए ऐप तकनीक की क्षमता पर फोकस कर रहे हैं। इसी कड़ी मे विकसित यह एप लोगों को न केवल फूड प्रोडक्ट्स के पोषण संबंधी पहलुओं के बारे में बल्कि उनके फूड इनवायरमेंट को आकार देने वाले कारकों (फेक्टर्स) के विषय में भी सशक्त बनाता और सूचित करता है।
कार्यक्रम में मौजूद एसटीपीआई, मोहाली के निदेशक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि देश में नये युग के आईटी स्टार्टअप के उदय को देखकर वे अत्यंत प्रसन्न हैं जो कि हैल्थ और न्यूट्रिशन के क्षेत्र में क्रांति प्रदान कर रहे हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि यह नये और प्रभावी स्टार्टअप आईटी की अपार संभावनाओं का बखूबी उपयोग कर देश भर में हेल्थकेयर और न्यूट्रिशन के उत्थान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
कैल्वरी वेलनेस के सीबीओ का मानना है कि न्यूट्रिएड एप लोगों से लेकर समूचे समाज की देखभाल करने के लिये एक अद्भुत और नया मंच है। इस प्रयास का उद्देश्य पीढ़ियों के लिये सुरक्षित भविष्य का निर्माण करना है।