सुरमयी शाम के रंग, गायको- कवियों संग
सैक्टर चालीस चंडीगढ़ के कम्यूनिटी सैंटर में डा धर्म स्वरूप गुप्त जी की पुण्यतिथि तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शहीदी दिवस की पूर्वसंध्या पर संगीत तथा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
यह आयोजन सृजन – एन इस्टीच्यूंट आफ क्रिएटीविटी की ओर से किया गया जिसकी स्थापना डाक्टर धर्म स्वरूप गुप्त जी ने की।
यह कार्यक्रम संस्था के प्रधान , संगीत विशेषज्ञ और अध्यापक सोमेश गुप्त ने अपने पिता स्वर्गीय श्री डी. एस गुप्त जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजली स्वरूप समर्पित किया।
एरिया कौंसलर और पूर्व मेयर श्रीमती गुरबख्श रावत जी मुख्य अतिथी रही। प्रोग्राम का आगाज़ सोमेश की सरस्वती वंदना से हुआ। श्री डी. एस. गुप्त जी के छोटे भाई बालकिशन गुप्त जी ने उनकी कुछ यादें सांझा की और कविता भी सुनाई। कवि अनिल शर्मा चिंतक ने बखूबी मंच संचालन किया
नसीब कौर के गाए पंजाबी फोक गीत ‘ बाजरे दा सिटा’ और सोमेश के साथ गाए जगजीत सिंह और चित्रा सिंह के गाए पंजाबी टप्पों पर खूब तालिंया बजी। सोमेश ने ‘ वैष्ण्व जन, और दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढ़ाल ‘ गीत बड़ी खूबसूरती से गाए।
संतोष गर्ग ने गुप्त जी की याद में ‘ कर गए जो अच्छे काम, वो थे हमारे बाबूजी’ की प्रस्तुति से उनकी यादें ताजा की।
कौंसलर मैडम ने पंजाबी फोक गीत ‘ मधानिया, हाए ओ मेरे डाडिया रबा’ अपनी अत्यंत खूबसूरत आवाज में गाया।
राणा बुल्लपुरी और रिषी राज की प्रस्तुति भी सराहनीय रही।
कवयित्री निर्मल सूद, विमला गुगलानी का बंसत गीत, रश्मी शर्मा की गजल बहुत पंसद की गई।
हरेंद्र सिन्हा, राजकुमार, आर के भक्त और गुलशन कुमार के अलावा बहुत से कवियों व गायकों ने भाग लिया। गुरबख्श
रावत मैडम ने अश्वासन दिया कि ऐसे सभ्याचारक
प्रोग्रामों के लिए हमेशा उनका सहयोग बना रहेगा।