शब्द साखी गान में तू , तुझसे हिंदी सोरठा
काव्य संध्या
विश्व हिंदी दिवस पर राष्ट्रीय कवि संगम चंडीगढ़ प्रांत की ओर से गूगल मीट पर एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त रजिस्ट्रार वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती कृष्णा गोयल ने निभाई। शुभारंभ हांसी हिसार की सुप्रसिद्ध गजल गायिका श्रीमती दर्शना सुभाष पाहवा की सरस्वती वंदना ‘वंदना के फूल से मां मैं करूं सिंगार तेरा’ से हुई।
इसके बाद हिसार, कैथल, पंचकूला, मोहाली, चंडीगढ़ के कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदी भाषा को उच्च स्तर पर पहुंचाने के लिए विभिन्न संदेश दिए।
मंच संचालन संस्था के महासचिव अनिल चिंतक ने शुद्ध हिंदी शब्दों में किया।
वरिष्ठ कवि विनय गर्ग ने कहा कि ‘है गूंज अंग्रेजी की क्षणभंगुर, मातृभाषा चिरंजीवी रहती है।’ पंचकूला की वरिष्ठ कवियत्री सुरेखा यादव ने कहा कि शब्द साखी गान में तू तुझसे दोहा सोरठा।
संस्था की प्रांत अध्यक्ष संतोष गर्ग ने कहा कि आज विश्व स्तर पर सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी का स्थान तीसरे नंबर पर है। विदेशों में भी 132 देशों में भारतीय मूल के लगभग 2 करोड़ लोग अपना कार्य हिंदी में ही निष्पादित करते हैं फिर हम हिंदी बोलने में संकोच क्यों करें।
विशिष्ठ अतिथि कवयित्री प्रो. अलका कांसरा ने कहा कि हमारी मातृभाषा हिंदी ने ही हमारी संस्कृति को संजोकर रखा हुआ है। इसी के साथ ही संगोष्ठी में विश्व के जाने-माने कवि प्रेमचंद जी, मैथिलीशरण गुप्त अमृतलाल नागर, शिवानी, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर और सुभद्रा कुमारी चौहान को भी याद किया गया।
इस संगोष्ठी में हरेंद्र सिन्हा संगीता राय, मंजू बिसला, सोमेश गुप्त, नीरजा शर्मा, दिलप्रीत कौर, कैथल से मधु गोयल आदि कवियों ने भी भाग लिया।