पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन जी ने आज पूर्व प्रधानमंत्री व आयरन लेडी भारत रत्न इन्दिरा गांधी की 38 वीं पुण्यतिथि गांधी कालोनी में उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी व राष्ट्रीय एकता दिवस के रुप में मनाया
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पंचकूला 31अक्तुबर – हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री भाई
चन्द्र मोहन जी ने कहा कि आज हमारे लिए एक महान् दिवस देश की दो महान विभूतियों को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आज जहां पूर्व प्रधानमंत्री और आयरन लेडी भारत रत्न इन्दिरा गांधी की 38 वीं पुण्यतिथि है वहीं देश के पहले उपप्रधानमंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 147 वीं जन्म जयंती भी है।
भाई चन्द्र मोहन आज गांधी कालोनी मनसा देवी पचकुलां में इन्दिरा गांधी की पुण्यतिथि और सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
इन्दिरा गांधी की दूरदर्शिता ,कुशल और सक्षम नेतृत्व ने देश को एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया। यह श्रीमती इंदिरा गांधी का सक्षम नेतृत्व ही था, जिसने सन् 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े करके एक नया देश बंगला देश बना दिया । विश्व के सारे देश उनके नेतृत्व को एक करिश्माई समझते थे और यही कारण है कि भारत की विदेश नीति के सभी कायल थे।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी और ऐसे में सियासी उतार-चढ़ाव को वह बखूबी समझती थीं। यही वजह रही कि उनके सामने न सिर्फ देश, बल्कि विदेश के नेता भी उन्नीस नजर आने लगते थे। अत: पिता के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी का ग्राफ अचानक काफी ऊपर पहुंचा और लोग उनमें पार्टी एवं देश का नेता देखने लगे। वह सबसे पहले लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं। शास्त्री जी के निधन के बाद 1966 में वह देश के सबसे शक्तिशाली पद ‘प्रधानमंत्री’ पर आसीन हुईं।
भाई चन्द्रमोहन जी ने कहा देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, लेकिन देश की आन-बान और शान पर कभी भी आंच नहीं आने दी। देश प्रेम का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता है कि उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले आखरी भाषण में कहा था कि उनकी मृत्यु के पश्चात् उनकी अस्थियों को सारे देश में फैला देना ताकि देश की एकता और अखंडता संप्रभुता को अक्षुण्ण बनाए रखा जा सके। आज सारे देश में राष्ट्रीय एकता दिवस भी मनाया जा रहा है। जो देश को एकता के सूत्र में बांधने का एक मात्र मूल मंत्र है।
चन्द्रमोहन ने कहा कि बलिदान की परम्परा नेहरू-गांधी परिवार को विरासत में मिली है । इन्दिरा गांधी के पश्चात राजीव गांधी ने भी देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया है
आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म जयंती भी है , जिन्होंने देश को सुदृढ़ करने में अंहम योगदान दिया।
31 अक्टूबर 1875 को पिता झावेर भाई पटेल और मां लाडबा पटेल के घर पैदा हुए पटेल 1917 में महात्मा गांधी जी के सम्पर्क में आए और बिर्टिश राज्य के विरोध में अहिंसक नागरिक अवज्ञा आन्दोलन चलाया। जिसके सार्थक परिणाम सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि पटेल को सरदार की उपाधि से गुजरात के बारदोली ताल्लुका के जनमानस ने सरदार नाम की उपाधि देकर उपकृत किया और उनका नाम सरदार वल्लभ भाई पटेल पड़ गया। इसी प्रकार उनके द्वारा देश को एक जूट करने में अमूल्य योगदान रहा है।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने देश को एकता के सूत्र में बांधने के साथ साथ आपस में मिल जूल कर रहने की भी वकालत की थी,आख़ीर में गांधी कालोनी प्रधान सोम पाल ने सब का धन्यवाद किया
इस अवसर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे
राजनीतिक सचिव हेमंत किंगर, कांग्रेस पार्षद पद के उम्मीदवार रहै एडवोकेट नवीन बंसल जी, गांधी कालोनी प्रधान सोम पाल ,पूर्व पार्षद कमलेश लोहाट, सचान सुंद बालमीकि,शमशेर सिंह,