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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में उर्दू विभाग की ओर से नए विद्यार्थियों के स्वागत के लिए काव्य पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह से भाग लिया, जिसमें कुछ विद्यार्थियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं, और कुछ ने अन्य प्रतिष्ठित कवियों की रचनाओं को अलग-अलग ढंग से प्रस्तुत क़िया।

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Chandigarh September 1, 2022

पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में उर्दू विभाग की ओर से नए विद्यार्थियों के स्वागत के लिए काव्य पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह से भाग लिया, जिसमें कुछ विद्यार्थियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं, और कुछ ने अन्य प्रतिष्ठित कवियों की रचनाओं को अलग-अलग ढंग से प्रस्तुत क़िया।

इस अवसर पर उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. अली अब्बास ने छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा सभी छात्र बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने न केवल अपनी मानक कविताओं का पाठ  किया है बल्कि अन्य कवियों की मानक कविताओं को भी चुनकर पेश किया है।

डॉ. अब्बास ने आगे कहा कि भारत में काव्य सम्मेलनों या मुशायरों की परंपरा को भी ऐतिहासिक दर्जा प्राप्त है, उर्दू में मुशायरा शब्द बहुत बाद में आया जो आज प्रयोग में है, लेकिन उससे पहले इन्हीं काव्य सभाओं को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता था।  जब रेख़्ता उर्दू भाषा का नाम था, तब ऐसी सभाओं को ‘मुराख़्ता’ कहा जाता था, और इसके नियम और क़ानून तय किए जाते थे, और फिर काव्य पाठ के लिए कोई लाइन दी जाती थी और उस समय की काव्य संगोष्ठियों को ‘मुतारिहा’ कहा जाता था, फिर उसके बाद अंजुमन ए पंजाब में कवियों को एक तय विषय पर अपनी रचनाओं  को प्रस्तुत करना होता था और उस समय की काव्य सभाओं को ‘मुनाज़िमा’ कहा जाता था, और क़सीदे की जो सभाएँ होती थीं, उन्हें मुक़ासिदा कहा जाता था।  इसी प्रकार से आज जो शब्द मुशायरा प्रयोग किया जाता है, वह भी उन्हीं काव्य सभाओं के शब्दों से मिलता-जुलता है, और आज का काव्य-सम्मेलन सभी प्रतिबंधों और हर विषय से मुक्त है, इसलिए इसे ‘मुशायरे’ के नाम से जाना जाता है।

डॉ अली ने स्टूडेंट्स के काव्य पाठ की प्रशंसा करते हुए कहा कि शायरी लिखना बड़ी मेहनत का काम है,कवि शब्दों के चयन में बड़ी सूक्ष्मता से काम लेता है तब जाकर वह कविता बनती है, और इसमें कविता कहने से ज़्यादा कविता की समझ ज़्यादा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, इसीलिए विभिन्न आलोचकों और जीवनीकारों के माध्यम से कवियों की मूल रचना का भाव हम तक पहुँचता है।

फ़ारसी विभाग से डॉ. ज़ुल्फ़िक़ार अली ने इस अवसर पर छात्रों की सराहना करते हुए कहा कि आपने कविताओं को बेहतर स्वर और आत्मविश्वास के साथ पढ़ा है, जो बधाई योग्य है।

उर्दू विभाग से डॉ. जरीन फ़ातिमा ने छात्रों को मार्गदर्शक कविताएँ सुनाने के साथ-साथ उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए बधाई दी।

कार्यक्रम का संचालन विभाग के रिसर्च स्कालर पप्पू राम ने बड़ी खूबी से किया।

रिसर्च स्कॉलर मुहम्मद सुल्तान, मोहम्मद शरीफ, शमीम चौदरी और ख़लीक़ुर  रहमान और एम.ए उर्दू के छात्र राशिद अमीन नदवी, अंश सागर, मनीज़ पनेसर, सुदीप सिंह ढिल्लों, जसविंदर कौर,अरविंदर कौर, बलजीत कौर, अमनदीप सिंह, काकुल सिंह, अरविंदर सिंह आदि ने प्रतिभागियों के रूप में कार्यक्रम में भाग लिया और कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।