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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

डॉ. सविता चडढा पर केंद्रित चार पुस्तकों का हुआ लोकार्पण

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डॉ. सविता चडढा पर केंद्रित चार पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
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दिल्ली। भारत की राजधानी के प्रसिद्ध सभागार हिंदी भवन में श्रीमती किरण चोपड़ा, चेयरपर्सन पंजाब केसरी ने साहित्यकार डॉ सविता चड्ढा पर केंद्रित “ट्रू मीडिया विशेषांक”, संपादक डॉ. ओमप्रकाश प्रजापति, “डॉ सविता चड्ढा: सृजन के विविध आयाम” संपादक डॉ. महेश दिवाकर, डा सविता चड्ढा पर केंद्रित राही राज का काव्य संग्रह” मां” और डा सविता चड्ढा को समर्पित काव्य संग्रह “राहें” का लोकार्पण किया।‌ पदमश्री डा सुरेंद्र शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ पूरनचंद टंडन, पीजीडीवी कालेज के प्रोफेसर डॉ हरीश अरोड़ा भी इस अवसर पर मंचासीन रहे।
इस अवसर पर पंजाब केसरी की चेयर पर्सन किरण चोपड़ा ने सविता चड्ढा को साहित्य को सम्मान पूर्वक जीवित रखने वाली लेखिका के रूप में स्वीकार किया ।उन्होंने कहा कि मैं इनके साहित्यिक अवदान और इनकी प्रतिभा का सम्मान करती हूं। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ महेश दिवाकर ने सविता चड्डा के समग्र लेखन को मानवीय मूल्यों का पुंज कहा, उन्होंने कहा की कि इन्होंने अपनी रचनाधर्मिता से एक उच्च मचान को प्राप्त किया है। उन्होंने कहा ये जितनी समर्थ रचनाकार हैं उससे ऊंचा उनका व्यक्तित्व है। पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा ने लेखिका के आगामी साहित्यिक सफर के लिए अपनी शुभकामनाएं देने के साथ कहा सविता जी एक जागरूक पत्रकार भी हैं और मां भी है और ये दृष्टिकोण इन के लेखन में स्पष्ट प्रकट होते हैं। डॉ. ओमप्रकाश प्रजापति जिन्होंने ट्रू मीडिया विशेषांक का संपादन किया है उन्होंने कहा कि डॉ. सविता चड्डा की आवाज में साहित्यिक खनक है। आपकी मूर्धन्य लेखनी से सृजित विविध विषयों पर जीवन का बोध कराने वाला लेखन विश्वविद्यालयों में शोध का विषय रहा है जो अपने आप में एक श्रेष्ठ उपलब्धि है। ऐसे लोगों की जीवन यात्रा साथ का साक्षी समय होता है और सफलता की कहानी भी स्वयं समय ही लिखता है। इस अवसर पर बेंगलुरु से पधारे लेखक कवि राही राज ने कहा कि उन्हें सविता चड्डा के रूप में साक्षात मां मिल गई है और वे उनके लेखन और उनके एक-एक शब्द को अपने जीवन का मंत्र मानते हैं। इस अवसर पर आमोद कुमार ने सविता चड्ढा के व्यक्तित्व पर बोलते हुए उन्हें दिल्ली की दुलारी साहित्यकार बताया। विनोद पाराशर ने सविता चड्ढा को साहित्य की मौन साधिका कहा, तो डा ममता सिंह ने इन्हें नारी सशक्तिकरण की जीती जागती मिसाल कहा। डा पुष्पा सिंह बिसेन ने इन्हें दुर्लभ व्यक्तित्व की धनी कहां और यह भी कहा कि सविता जी स्वयं की रचनाधर्मिता का ईमानदारी से निर्वाह करते हुए साफगोई से अपनी लोकप्रियता के वर्चस्व को विस्तार देती हैं। डा कल्पना पांडेय ने कहा उतार चढ़ाव में एक सुंदर संतुलन और सामंजस्य स्थापित कर अपने भीतर उजाले की किरण से साहित्य सृजन करने वाली लेखिका हैं सविता चडढा। इस अवसर पर कुसुम लता कुसुम ने कहा डॉ सविता चड्डा हिंदी साहित्य जगत का एक देदीप्यमान सितारा है , साहित्य जगत में प्रेरक लेखनी की धनी, श्रेष्ठ ,सौम्य व विनम्र व्यक्तित्व की स्वामिनी है। विशाखापट्टनम से पधारे डॉक्टर शिवम तिवारी ने कहा कि सविता चड्डा जी अपने व्यक्तित्व से अधिक अपने कृतित्व को पहचान देती हैं और यही कारण है कि उनके चिंतन और दर्शन की सुगंध हर ओर विद्यमान है। झांसी के साहित्यकार निहाल चंद्र शिवहरे ने सविता जी को ममतामयी मां एवं संवेदनशील साहित्यकारा बताया। संजय जैन ने कार्यक्रम का शानदार संचालन किया और लेखिका के लेखन के बारे में बताते हुए कहा” सविता चड्ढा द्वारा लिखित अब तक 47 ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी, कविता लेख उपन्यास, आपने साहित्य की अधिकांश विधाओं पर लेखन कया है। पत्रकारिता विषयक पुस्तकें विभिन्न संस्थानों में पाठ्यक्रम में संस्तुत हैं, कई लेख संग्रह, उपन्यास ,काव्य की विभिन्न पुस्तकें तो प्रकाशित है ही समय-समय पर आप आपकी कहानियों पर टेली फिल्में बनी है, नाटक मंचन हुए हैं, अनुवाद हुए हैं, आपकी कहानियों पर शोध कार्य संपन्न हो चुके हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपके लेखन को समाजोपयोगी स्वीकार किया गया है। आपके साहित्यिक यात्राओं का उल्लेख किया जाए तो विभिन्न संस्थाओं में आपकी सक्रियता और उपस्थिति ने साहित्य को नई ऊंचाइयां प्रदान की है। इस आयोजन में पूरे देश भर से पधारे लेखक, साहित्यकार, कवि, पत्रकार, संपादक उपस्थित थे।