सिटिजंस अवैरनेस ग्रुप द्वारा इंडस्ट्री कंसल्टेंट राउंड टेबल डिस्कशन आयोजित
चंडीगढ़, देश में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की बिक्री में अत्याधिक वृद्धि दर्ज हुई है जिसके परिणामस्वरुप लोगों में नॉन काम्युनिकेबल डिजिस (एससीडी) का व्यापक प्रकोप भी देखने को मिल रहा है जिसपर चेतावनी लेबल /एफओपीएल (फ्रंट ऑफ दी पैक फूड लैबलिंग) के द्वारा अंकुश लगाया जा सकता है। यह निष्कर्ष लोगों में उपभोक्ता अधिकारों के प्रति सजगता प्रदान करवाने में प्रयासरत – सिटिजंस अवैरनेस ग्रुप और नई दिल्ली स्थित कंज्यूमर वॉयस द्वारा सेक्टर 27 स्थित चंडीगढ़ प्रेस कल्ब में आयोजित इंडस्ट्री कंस्लटेंट राउंड टेबल डिस्कशन के दौरान उभर कर आया। इस डिस्कशन को आयोजित करने का उद्देश्य फूड इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों सहित अन्य स्टेकहोल्डर्स को एक तल प्रदान करवा कर मौजूदा परिदृश्य में खाद्य सेवन से जुड़ी चुनौतियों, हानियां और इसके निदान प्रति उन्हें जागरुकता प्रदान करना था। भाग ले रहे फूड इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों, डॉक्टर और सरकारी अधिकारियों ने खाद्य और पेय पदार्थों पर पैक लेबल को सरल, अनिवार्य और इंटरप्रेटिव (व्याख्यात्मक) से पेश करने पर बल दिया। फूड पैक पर लिखी यह चेतावनियां उपभोक्ताओं को सूचित विकल्प चुनने में मदद कर सकती है और स्वस्थ भोजन प्रणाली की दिशा में पहला सार्थक कदम बन सकती है।
अपने संबोधन में पीजीआई की ऐसोसियेट प्रोफेसर डॉ पूनम ने बताया कि नैश्नल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएसएस) 5 के आंकड़ों के अनुसार देश में कुल मौतों का 65 फीसदी अनुभाग एनसीडी से जुडी बीमारियों का है। अनहैल्थी पैकेज्ड फूड के सेवन से शरीर में डायबिटिज, मोटापा, स्ट्रोक, कार्डियोवास्कूलर व अन्य रोगों का निरंतर खतरा बना रहता है क्योंकि आमतौर पर इन खाद्य पदार्थो में नमक, मीठा और चर्बी की मात्रा अत्याधिक पाई गई है।
उन्होंनें बताया कि हमारे देश के पास ‘डायबिटिज कैपिटल ऑफ दी वर्ल्ड’ का दुर्भाग्यपूर्ण खिताब दर्ज है। देश में डायबिटिज के मरीजों का आंकड़ा वर्ष 2025 तक 69.9 मिलियन और 2030 तक 80 मिलियन तक पहुंचने के आसार हैं। एनएफएचएस 5 के अनुसार हर चार व्यक्तियों में एक व्यक्ति मोटापे का शिकार है जिसे सही फूड लैबल की आदत अपनाने से अंकुश लगाया जा सकता है।
खाद्य तेल, एफएमसीजी, कोनफेक्शनरी, स्नैक्स, स्वीट्स आदि के विक्रेताओं का एकमत था कि समय से चलते प्रभावी उपाय देश में पनपने वाली एनसीडी बीमारियों पर अंकुश लगाने के कारगर साबित होंगी जिसके लिये फूड इंडस्ट्री सरकार द्वारा इस दिशा में तय दिशानिर्देशों का सम्मान करने के लिये तैयार है। उनके अनुसार वे अपने ग्राहकों को हैल्थी और मापदंड़ों के अनुरुप फूड परोसने के लिये तत्पर तैयार है।
प्रोसेस्ड फूड की अत्याधिक खपत पर आंशिक अंकुश लगाने के लिये फ्रंट ऑफ दी पैक फूड लैबलिंग को एक शक्तिशाली और सरल तरीका माना गया है। एफएसएसएआई की सेंटल एडवाईजरी कमेटी के सलाहाकार और कंज्यूमर वायस के सीईओ अशीम सन्याल ने अपनी प्रोजेंशन में स्पष्ट किया कि एफओपीएल सेहतमंद जीवन को बढ़ावा देने के लिये एक व्यापक रणनीति है क्योंकि हर साल एनसीडी की वजह से हर साल 5.8 मिलियन लोग अपनी जानें गवांते हैं। परन्तु इसके विपरीत यह आंकड़े पर लगाम कसी जा सकती है यदि लोग अपनी डायट्री आदतों और फूउ सेक्टर अपनी इंडस्ट्री में बदलाव लाये।
मीटे तत्व वाले खाद्य पदार्थ पर ज्यादा टैक्स जैसे उपायों को महत्व को स्वीकार करते हुये सान्याल ने बताया कि एफओपीएल ग्राहकों को हेल्दी फूड आइटम्स को जल्दी समझने और पहचानने में मदद करेगा।
इस अवसर पर मौजूद फूड सेफ्टी आफिसर सुखविंदर सिंह ने कहा जहां एक ओर एफएसएसएएआई प्रयास कर रही है कि ग्राहकों के लिये एफओपीएल हेल्दी फूड चिन्हित किये जाये वहीं दूसरी तरफ फूड सेक्टर में ऐसे इकाइयों को बिल्कुल भी समाप्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि राजस्व के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की सेहत में संतुलन रखना आवश्यक है। इकाइयों सुनिश्चित करें कि चेतावनी लेबल लगाकर वे इन उत्पादों का सतर्कता पूर्ण सेवन करें।
कार्यक्रम के अंत में आये प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त करते हुये सिटिजंस अवैरनेस ग्रुप के चैयरमेन सुरेन्द्र वर्मा ने सभी से आग्रह किया कि वे चेतावनी लेबलिंग के अनुरूप एक सेहतमंद राष्ट्र के निर्माण की नींव रखने में अपना निरंतर योगदान दें।