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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

युवा शक्ति को कुशल व हुनरमन्द बनाने से ही देश का विकास संभव- लेखक श्री बंडारू दत्तात्रेय माननीय राज्यपाल, हरियाणा

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युवा शक्ति को कुशल व हुनरमन्द बनाने से ही देश का विकास संभव-
लेखक श्री बंडारू दत्तात्रेय
माननीय राज्यपाल, हरियाणा

किसी भी देश व व्यक्ति के विकास में कला, कौशल व हुनर का महत्वपूर्ण स्थान है। मानव संसाधनों के उपयोग से कौशलता में और निखार लाकर सत्त विकास की प्रक्रिया को गतिमान बनाया जा सकता है। कहा जाता है कि हुनर कुशल कार्यबल एक धरोहर है। इसी उद्देश्य से विश्व युवा कौशल दिवस -2022 मनाने की दिशा में सत्त विकास के लिए कौशलता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। देश में बढ़ती युवा शक्ति के लिए नीति निर्माता चुनौतियों और अवसरों का लाभ उठा रहे हैै। इनमें प्रौद्योगिकी का बढ़ता उपयोग और श्रम बाजार की बदलती गतिशीलता से युवाओं को रोजगार योग्य और उद्यमशीलता कौशल से लैस करने के सार्थक प्रयास किए गए हैं ताकि वे बदलती दुनिया का सामना कर सकें।

तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (टीवीईटी) संस्थानों की उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका है जो आज समय की मांग भी है। उद्यमिता के क्षेत्र में समय की नजाकत को ध्यान में रखते हुए संस्थानों, फर्मों, कर्मचारी संघों, नियोक्ताओं, नीति निर्माताओं तथा सार्वजनिक नीति विशेषज्ञों सभी को एक मिशन मोड में कौशल संबंधी कार्यक्रमों को लागू करने के लिए एक साथ पटल पर आने की आवश्यकता है।
हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भविष्य की जरूरतों और चुनौतियों के अनुरूप तैयार की गई है। प्रारम्भिक स्तर में ही व्यावसायिक शिक्षा के माध्यम से कौशलता की कमी पूरी करने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। दस जमा दो की शिक्षा पूरी करने से पहले प्रत्येक छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रम पूरा करेगा। अनुमान है कि 2025 तक, 2.23 करोड़ नए रोजगार सृजित होंगे, जिसके लिए ऐसे कर्मचारियों की आवश्यकता होगी जो इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रियल टाइम एनालिटिक्स, 5जी आदि के क्षेत्र में काम करने में कौशलता से लैस हों। इसी के मद्देनजर NEP-2020 में व्यावसायिक प्रशिक्षण पर जोर दिया है।
भारत एक युवा देश है, जिसमें लगभग 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। 15-29 वर्ष के आयु वर्ग के युवा जनसंख्या का 27.5 प्रतिशत हैं। देश में एक मजबूत तंत्र स्थापित हो चुका है जो युवाओं को कौशल और अपस्किलिंग करने में सक्षम है। स्कूल से बाहर के युवा जो रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण संस्थानों में नहीं हैं, उनके लिए कौशल विकास के अवसर प्रदान करने पर विशेष ध्यान आकर्षित करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए  NEP -2020 एक आशा की किरण है।
चौथी औद्योगिक क्रांति में – उद्योग 4.0 – उत्पादकता दक्षता बढ़ाने के लिए स्वचालन और डेटा विनिमय पर जोर दिया गया है। इसमें जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ पर्यावरण से संबंधित विषयों को भी शामिल किया गया है। देश में मेक इन इंडिया से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बड़ा बढ़ावा मिला है। इस क्षेत्र में कुल रोजगार वर्ष 2017-18 में 57 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 62.4 मिलियन हो गया है। विनिर्माण क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 17 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसे बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाना है। इससे कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।
विश्व में कौशल के बेहतर मानकों वाले देशों ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय रोजगार के बाजार में चुनौतियों और अवसरों के लिए अधिक प्रभावी किया गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के विभिन्न क्षेत्रों में टिके रहने के लिए कौशल विकास अत्यंत जरूरी है। एनएसएसओ, 2011-12 की रिपोर्ट भारत में शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की स्थिति के अनुसार 15-59 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में, लगभग 2.2 प्रतिशत लोगों ने औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है और 8.6 प्रतिशत ने अनौपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा शुरू की गई पर्यावरण स्कैन रिपोर्ट, 2016 के अनुसार, कृषि, भवन निर्माण और रियल एस्टेट, खुदरा जैसे दो दर्जन क्षेत्रों में 2017-2022 के दौरान 103 मिलियन की अनुमानित वृद्धि है। परिवहन, भंडारण, कपड़ा-वस्त्र, शिक्षा, कौशल विकास, हथकरघा, हस्तशिल्प, ऑटो, ऑटो घटक, निजी सुरक्षा सेवाएं, खाद्य प्रसंस्करण, घरेलू मदद, पर्यटन, आतिथ्य और यात्रा, रत्न, आभूषण, सौंदर्य, कल्याण, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, बीमा, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, मीडिया और मनोरंजन आदि क्षेत्र शामिल हैं।
यह वास्तव में खुशी की बात है कि कौशल विकास के मोर्चे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में बेहद प्रगति हुई है। देश में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए 2014 में एक अलग कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) की स्थापना की गई। मंत्रालय ने अपनी प्रमुख योजना का तीसरा चरण – प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 3.0 (पीएमकेवीवाई 3.0) पिछले साल जनवरी में शुरू किया, जिसका उद्देश्य पूरे देश में उद्योग की जरूरतों को पूरा करने, बाजार की मांगों को पूरा करने, सेवाओं में कौशल प्रदान करने के लिए कौशल विकास को बढ़ावा देना है।
कोविड महामारी के बाद नए क्षेत्र की सेवाएं महत्वपूर्ण हुई हैं। इनके लिए पी.एम.के.वी.वाई 3.0 के तहत, 3.74 लाख से अधिक लोगों को नामांकित किया गया है, 3.36 लाख से अधिक को प्रशिक्षित किया गया है, 2.23 से अधिक का मूल्यांकन किया गया है और 1.65 लाख से अधिक को प्रमाणित भी किया गया है। 1136 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) भी विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 20,000 उम्मीदवारों को प्रशिक्षण देने में लगे हुए हैं। चूंकि कौशल से रोजगार का रास्ता निकलता है। कौशल युवाओं के लिए अपनी आजीविका अर्जित करने और उनकी आकांक्षाओं को साकार करने का एक साधन है। कौशलता के क्षेत्र में हरियाणा ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए केन्द्र की सहायता से 1100 करोड़ रू से अधिक की राशि से पलवल में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय भी स्थापित किया है। यह देश का अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय है।
राष्ट्रीय युवा नीति-2021 सही मायने में एक ऐसे भविष्य का निर्माण करती है जहां हमारे युवाओं के पास स्थायी रोजगार के अवसर हों। हमारी युवा ज्यादातर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और सहकारी समितियों में उनका एकीकरण उन्हें जरूरत के अनुसार कौशल प्रदान करने में मदद करेगा। यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र को और सुद्वढ़ किया जाना चाहिए ताकि उनका कौशल और अपस्किलिंग ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बाजार की जरूरतों के अनुरूप हो।
केवल सेवा क्षेत्र ही विकास और रोजगार की आशा का एकमात्र अग्रदूत नहीं हो सकता है। सेवा क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान है। विनिर्माण क्षेत्र में अधिक से अधिक कौशल संचालित रोजगार के अवसर पैदा करने के प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता है। IoT, AI, मशीन लर्निंग, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA), एज कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी, ब्लॉकचौन, साइबर सिक्योरिटी और स्पेस टेक्नोलॉजी को भी यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम के साथ जोड़ने की जरूरत है। अंतरिक्ष आधारित सेवाएं प्रदान करने में निजी क्षेत्र की भागीदारी से कई अवसर खुलेंगे। हमें कौशल के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहने की जरूरत है।
मुझे लगता है कि आईटीआई सहित उच्च शिक्षा के हमारे परिसरों को पूरी तरह से उन्नत करना होगा। केवल छात्र ही नहीं, हमारे कॉलेज और विश्वविद्यालयों के संकायों को भी स्वयं को आधुनिक शोध कार्यो पर बल देना होगा और वॉकल फार लोकल के सिद्धांत पर आगे बढ़ना होगा। इसके लिए  NEP -2020 एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।