Chandigarh Today

Dear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org

Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

आत्महत्या करने वालों में अधिकतर वे, जो रहते हैं चुप – खुमेश पाटिल 

0
153
आत्महत्या करने वालों में अधिकतर वे, जो रहते हैं चुप – खुमेश पाटिल 
 
मेंटल हेल्थ भारत में अभी भी स्टिग्मा -पाटिल
 
12 से 27 साल के युवा करते हैं सबसे अधिक आत्महत्या 
 
भारत में 970 मिलयन भारतीय मानसिक रोगों से झूझ रहे हैं
तीन लाख भारतीयों के लिए सिर्फ एक साइकोलॉजिस्ट है 
 
2021में भारत में हुई सबसे अधिक आत्महत्या 1,53000  जिसमें क्रमवार महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश ,कर्नाटका व केरला में सबसे ज्यादा आत्महत्या  हुई ।
 
चंडीगढ़ , 6 जुलाई
 
21 दिनों से महाराष्ट्र से 5000 किलोमीटर पैदल चलने के  ध्येय को लेकर 1550 की पैदल यात्रा कर चंडीगढ़ सेक्टर 28 गुरुद्वारा पहुंचे 20 वर्षीय खुमेश । दो साल पहले अपने चाचा के बेटी की आत्महत्या की घटना ने झिंझोड़ा खुमेश को ,ठान लिया कि विश्व भर से आत्महत्या को मिटायेंगे।
विशेषज्ञों और मनोचिकित्सकों  का मानना है   कि ज्यादातर वैसे लोग आत्महत्या करते हैं, जो चुप रहते हैं यानी जो अपनी समस्या को किसी से शेयर नहीं करते हैं। जरूरी है कि ऐसे लोगों को चिन्हित किया जाए और उनकी समस्याओं को सुना जाए , कहा  *बात करो* के फाउंडर खुमेश पाटिल ने। हमेशा अपने स्टार्टअप *बात करोगे* तहत 5000 किलोमीटर पैदल चलकर देश भर में अपने आत्महत्या रोको अभियान के तहत जागरूकता फैला रहे हैं। एक स्टडी के अनुसार भारत में आत्महत्या करने वालों की संख्या कुल हत्याओं के पांच गुना है ।
विशेषज्ञों का मानना है कि इंसान जितना ज्यादा अपनी बातों को एक-दूसरे से साझा करेगा, उतना कम डिप्रेशन होगा। इससे काफी हद तक आत्महत्या पर अंकुश लगाया जा सकता है।
बात करो का उद्देश्य आत्महत्या जोखिमों के बारे में लोगों को बताना, जागरूकता बढ़ाना और आत्महत्या की रोकथाम गतिविधियों का बढ़ावा देना है।
पाटिल ने बताया कि सुसाइड इनिसिएशन से कमिटमेंट का दौर बहुत नाजुक होता है, जब व्यक्ति ऐसे दौर से गुजर रहा होता है, तब अगर कोई उसकी बात अगर सुन ले या फिर उसकी मंशा को समझ ले तो आत्महत्या रोकी जा सकती है, ऐसा इसलिए भी, क्योंकि 90 प्रतिशत लोग जो आत्महत्या का प्रयास करते हैं, दरअसल वे मरना नहीं चाहते, डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं, इसलिए ऐसे कदम उठा लेते हैं।