संस्कृति और साहित्य जीवन के अभिन्न अंग हैं: प्रो. फूलचंद मानव
चण्डीगढ़ : साहित्य संगम ट्राइसिटी द्वारा प्रो. फूलचंद मानव की अध्यक्षता में एक समागम का आयोजन किया जिसमें जंग बहादुर गोयल, दीपक मनमोहन सिंह ने पटियाला के महिंद्रा कालेज के दिनों को स्मरण करते हुए अपनी-अपनी गुलाबो और चमेली के अपने-अपने प्रसंग सुनाए। दिलीप कौर टिवाणा और प्रो. प्रीतम सिंह के जमातों के कमरों का भीतरी बाहरी मौसम बयान किया जा रहा है। कैशोर्य युवावस्था में एमए बीए या साइंस के पाठ्यक्रम और लड़के-लड़कियों के सपने मानो 50-55 साल पीछे चला गया है समय। समागम में साहित्य और संस्कृति का यह अनूठा संगम देखने को मिला। यह समारोह पंजाबी कवियत्रि सुरजीत कौर बैंस के आग्रह पर प्रत्येक महीने के दूसरे शनिवार को साहित्य संगम द्वारा करवाया जाता है। साहित्य के साथ ही संस्कृति, नृत्य, लोकगीत, संगीत का कार्यक्रम भी सुचारू रहा। मोरारी लाल अरोड़ा, नीना दीप, प्रो. योगेश्वर कौर और फूलचंद मानव ने अपनी अपनी हिंदी रचनाओं के द्वारा मनुष्य, समाज, सौन्दर्य, प्रकृति की बात करते हुए समय सार्थक किया। वहीं शिवनाथ, सुरजीत कौर बैंस, गुरमान सैनी, जीतेंदर ककराली, निर्मल सिंह बासी, भूपेंदर सिंह आदि ने भी पंजाबी कविताओं, गीतों और गजलों द्वारा प्रस्तुति देकर तालियां बटोरी। प्रि.. गुरदेव कौर, प्रि. साधना संगर, शिन्दर पाल सिंह, संजीवन सिंह, हरभजन कौर ढिल्लों, अमरजीत कौर और कृष्णा ने भी कहां चुप रहना था। इनमें से प्रत्येक ने अपनी अपनी कला, शब्द शक्ति और गायन के माध्यम से सक्रिय हिस्सा लिया। नीलम गोयल, पीसी सिंगला, नीरज शर्मा साक्षी होते हुए समारोह की रौनक बढ़ा रहे थे। सामूहिक तौर पर कलाकार और रचनाकार मिलकर साहित्य और संस्कृति के बारे में चर्चा करते रहें तो समाज में फिरकापरस्ती से ऊपर उठकर कुछ ठोस हो सकेगा। यह बात प्रो. फूलचंद मानव ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कही।