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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने कहा कि  हरियाणा सरकार की तुगलकी सोच और महिलाओं का तिरस्कार और अपमान करने की नकारात्मक सोच और वादाखिलाफी  के विरोध में प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को कड़ाके ठंड में प्रदेश की सड़कों पर उतरने के लिए विवश कर दिया है।

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पंचकूला 17 फरवरी-  हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने कहा कि  हरियाणा सरकार की तुगलकी सोच और महिलाओं का तिरस्कार और अपमान करने की नकारात्मक सोच और वादाखिलाफी  के विरोध में प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को कड़ाके ठंड में प्रदेश की सड़कों पर उतरने के लिए विवश कर दिया है।
चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर दूसरे  राज्यों के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के वेतनमान की तुलना करके अपने वायदे से मुकरने का बहाना तलाश रहे हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा सरकार का लोगों से झूठे वायदे करना और अपने सहयोगी पार्टियों को धोखा देना इनकी पुरानी आदत में शुमार है।
उन्होंने कहा कि  बेटी बचाओ-बेटी पढाओ का नारा देने वाली सरकार अपनी ही बेटियों की  उपेक्षा करके आंगनवाड़ी  कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की अनदेखी  कर रही है और यह बेटियों के प्रति भाजपा- जजपा  सरकार की नकारात्मक सोच का  सजीव और जीवन्त उदाहरण है।  उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 10 सितम्बर 2018 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में 1500 रुपए और आंगनबाड़ी सहायिकाओं के मानदेय में  750 रुपए प्रति महीना  बढ़ोतरी करने  की घोषणा की थी और साढ़े तीन साल बीत जाने के बावजूद इस दिशा में कोई  सार्थक कदम नहीं उठाया गया है और  मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी इस वायदे की पुनरावृत्ति की थी और आज  पिछले 72 दिनों से  प्रदेश की 52,000 आंगनवाड़ी वर्कर्स  सरकार की अनदेखी  के कारण सड़कों पर संघर्ष करने के लिए विवश और लाचार हैं और अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र करनाल में डेरा डाले हुए हैं।
चन्द्र मोहन ने  कहा कि खुद भूखी रहकर अपने परिवार का पेट पालने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाएं बहुत कम मानदेय में किसी तरह अपना  गुजर-बसर कर रही हैं और उन्हें अपना घर चलाना मुश्किल हो रहा है।  उन्होंने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री ने भी मार्च 2018 में कुशल-अकुशल वर्कर्स का मानदेय तय कर उसे महंगाई भत्ते से जोड़ने का वायदा किया था, उसको भी लागू करने से मौजूदा सरकार पीछे हट गई है। उन्होंने कहा कि आंदोलन को दबाने के लिए सरकार तानाशाही रवैया अपनाए हुए है। सरकार द्वारा आन्दोलन को दबाने के लिए सैकड़ों वर्कर्स और हेल्पर्स की सेवाएं समाप्त करके उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं ताकि उनकी आवाज को दबाया जा सके। उन्होंने मांग की है आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की उचित मांगों को मानते हुए अपनी बेटी -अपना धन नामक नारे को चरितार्थ किया जाए अन्यथा प्रदेश की जनता आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और जजपा को माफ़ नहीं करेगी।