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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

अंतरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ हरियाणा में वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने में कमियों को सामने लाए

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अंतरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ हरियाणा में वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने में कमियों को सामने लाए
 
ऐसे सेंटर वाहनों को फिटनेस सर्टीफिकेट जारी कर रहे हैं जो कि केन्द्र सरकार के नियमों के तहत अधिकृत ही नहीं हैं
चंडीगढ़, 26 अक्टूबर, 2021: डॉ. कमल सोई, अंतरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ, जो राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य भी हैं, ने आज वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में वैधानिक नियम को लागू करने में सामने आ रही कमियों को उजागर किया। उनके अनुसार, इन कमियों कारण मोटर वाहन अधिनियम, 1998 की धारा 56 को प्रभावी ढंग से लागू करने में बाधाएं पैदा की हैं।
आज यहां एक एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा, परिवहन आयुक्त द्वारा जारी 23 जून, 2021 के एक आदेश के अनुसार, हरियाणा राज्य भर के सभी डीटीओ और आरटीए को निर्देश दिया है कि वे ओईएम के डीलरों को वाहनों की फिटनेस का परीक्षण करने के लिए ‘अधिकृत परीक्षण स्टेशनों’ (ऑथोराइज्ड टेस्टिंग स्टेशंस)के रूप में संचालित करने के लिए अधिकृत करें। प्रत्येक अधिकृत परीक्षण स्टेशन उन वाहनों के निर्माण के साल के अनुसार वाहनों को जांचने में सक्षम होगा जिन्हें डीलर अधिकृत डीलर के रूप में बेचता है।
मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019, अनिवार्य करता है कि सभी वाणिज्यिक वाहनों की ‘फिटनेस टेस्टिंग’ ऑटोमेटेड व्हीकल आई एंड सी सेंटर्स के माध्यम से की जानी है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) द्वारा अधिनियम के इस प्रावधान के कार्यान्वयन के लिए ‘तारीख’ की घोषणा की जानी है।
दोनों एमओआरटीएच ड्राफ्ट अधिसूचना दिनांक 8 अप्रैल, 2021 और एमओआरटीएच फाइनल अधिसूचना दिनांक 23 सितंबर, 2021 यह स्पष्ट रूप से निम्नलिखित बताती है:
हितों में विरोधाभास (एक ऐसी स्थिति जिसमें सरकारी अधिकारी का निर्णय उसकी व्यक्तिगत रूचि से प्रभावित हो) –
1) संचालन के दौरान कोई हितों का टकराव नहीं होगा जो एक ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन के ऑपरेटर के वित्तीय या व्यावसायिक हित और इन नियमों के तहत उनके दायित्वों के कारण उत्पन्न होता है या हो सकता है।
स्पष्टीकरण – इस नियम के प्रयोजनों के लिए, वित्तीय या व्यावसायिक हित का अर्थ किसी भी व्यक्तिगत, वित्तीय या अन्य कारणों से है जो एक ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन के ऑपरेटर के पेशेवर व्यवहार को प्रभावित या समझौता करने की क्षमता रखता है।
2) ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन केवल परीक्षण सुविधा के रूप में कार्य करेगा और वाहनों की मरम्मत या ऑटो पुर्जों की बिक्री या निर्माण से संबंधित कोई भी सेवा प्रदान नहीं करेगा।
3) परीक्षण अधिकारियों को वाहन बनाने और प्रकार से संबंधित परीक्षण परिणामों के संबंध में जानकारी की सख्त गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता होगी।
4) एक ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन का संचालक, हर समय, पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से कार्य करेगा और प्रपत्र 60 में निर्दिष्ट उप-नियमों (1), (2) और (3) के प्रावधानों के संबंध में एक वचनबद्धता पर हस्ताक्षर करेगा। .
डॉ.सोई ने कहा कि केन्द्रीय मोटर वाहन नियमों (सीएमवीआर) में इन परिवर्तनों के बावजूद परिवहन विभाग ने आगे बढ़कर मारुति, टाटा, अशोक लीलैंड, आइशर इत्यादि जैसे ओईएम के विभिन्न डीलरों को वाहनों के फिटनेस परीक्षण करने और इन वाहनों के फिटनेस प्रमाणपत्र (सर्टीफिकेट) जारी करने के लिए लगभग 30 से 35 अथॉरिटी पत्र भी जारी किए हैं।
उन्होंने कहा कि ‘‘आगे इन डीलरों को वाहनों के विवरण तक पहुंचने के साथ-साथ वाहनों को जारी किए गए फिटनेस प्रमाण पत्र को अपलोड करने के लिए वाहन की पहुंच (एक्सेस) प्रदान की गई है। इन डीलरों के पास सीएमवीआर में निर्धारित आवश्यक परीक्षण उपकरण नहीं हैं और उन्होंने अभी से उन वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करना शुरू कर दिया है जो कि भारत सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का पूरी तरह से  उल्लंघन हैं। एक बड़ा मुद्दा यह है कि यह पूरी योजना हरियाणा परिवहन विभाग द्वारा लागू की गई है और इस प्रक्रिया में संभव है कि सीएमवीआर नियम संख्या 176 ‘हितों का टकराव’ का पूरी तरह से उल्लंघन है।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘मैंने इस बारे में 30 सितंबर, 2021 को माननीय परिवहन मंत्री, हरियाणा और परिवहन आयुक्त हरियाणा को लिखा था और अप्रैल और सितंबर 2021 की दोनों एमओआरटीएच अधिसूचनाओं के उल्लंघन के मामले को उनके संज्ञान में लाया था।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘एक अंतरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ के रूप में वर्तमान में मेरी प्रमुख चिंता यह है कि सड़कों पर अनुपयुक्त मोटर वाहनों का चलना हाल के समय में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में से एक है। सड़क सुरक्षा के लिए एक बहुत ही गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि इससे हमारे प्यारे देश की सड़कों पर समझौता किए गए अनुपयुक्त वाहनों को चलने देकर आम जनता के जीवन को खतरे में डाल दिया जाएगा।’’
यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि फिटनेस सेंटरों के संबंध में इस नीति के कार्यान्वयन और निष्पादन को चेक और बैलेंस की एक प्रणाली के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल फिट वाहन ही सड़क पर चले। मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि कृपया इस मामले में हस्तक्षेप करें और आदेश दें कि वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने के लिए केवल सही और न्यायसंगत प्रणाली प्रचलित है और मैं आगे मंत्री से अनुरोध करता हूं कि वे वाहन ओईएम के डीलरों को वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत करने के आदेश और प्राधिकरण को पूरी तरह से रद्द करें।