छह महीने पहले दी नगर निगम में घोटाले की शिकायत, लेकिन जांच की बजाय फिजूल के सवाल पूछ रहा विजिलेंस डिपार्टमेंट
– आम आदमी पार्टी के वाइस प्रेसिडेंट संदीप भारद्वाज ने नगर निगम के हॉर्टिकल्चर विंग के खिलाफ दी थी शिकायत
– शिकायत के बाद छह महीने बाद विजिलेंस पूछ कर रही ये शिकायत आप ही की है या नहीं…
चंडीगढ़। ” नगर निगम ने शहर की सड़कों के किनारों पर सवा करोड़ रुपए खर्च कर पौधे लगाए थे। लेकिन ये पौधे सूख गए और किसी ने इसकी परवाह तक नहीं की। ये एक बड़ा घोटाला है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। चंडीगढ़ प्रशासन का विजिलेंस डिपार्टमेंट इस मामले की जांच करने की बजाय उल्टा मामले को दबाने में लगा हुआ है।” ये कहना है आम आदमी पार्टी के वाइस प्रेसिडेंट संदीप भारद्वाज का। भारद्वाज ने नगर निगम के हॉर्टिकल्चर विंग के खिलाफ छह महीने पहले विजिलेंस को शिकायत दी थी लेकिन डिपार्टमेंट ने जांच करने की बजाय फिजूल के सवालाें में ही समय गवां दिया।
भारद्वाज ने कहा कि कभी उनसे एड्रेस पूछा जा रहा है तो कभी शिकायत को स्वीकार करने के बारे में पूछा जा रहा है। भारद्वाज ने कहा कि वे 2 बार अपना एड्रेस भेज भी चुके हैं।
भारद्वाज ने कहा कि नगर निगम ने एक प्राइवेट कंपनी को पौधे लगाने का ठेका दिया था। उस कंपनी ने पौधे तो लगा दिए लेकिन उसकी देखभाल नहीं की जिस कारण वे सूख गए। भारद्वाज ने कहा कि जब मैंने इसकी शिकायत की तो कंपनी ने कई जगहों पर पौधे उखाड़ कर नए लगवा दिए। यहां तक कि बरसात के दौरान भी सूखे पौधों को पानी देने का ड्रामा किया गया। भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने कंपनी के इस पूरे फर्जीवाड़े की तस्वीरों समेत शिकायत दी थी लेकिन विजिलेंस ने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया।
विजिलेंस ने ऐसे दबाया मामला…
– 13 मई को भारद्वाज ने नगर निगम के खिलाफ विजिलेंस को शिकायत दी
– 1 जून को विजलेंस ने कंप्लीट एड्रेस मांगा
– 1 जून को भारद्वाज ने अपना सही पता भेज दिया
– 1 सितम्बर को भारद्वाज ने शिकायत का स्टेटस पूछा
– 14 सितंबर को विजिलेंस ने जवाब दिया, आपका एड्रेस सही नहीं है
– 14 सितंबर ही भारद्वाज ने विजिलेंस को सही एड्रेस भेज दिया
– 24 सितंबर को विजिलेंस ने पूछा, आप इस शिकायत को स्वीकार करते हो या नहीं…
– 4 अक्टूबर को भारद्वाज ने फिर विजिलेंस को जवाब दिया और कार्रवाई के लिए लिखा
भाजपा नेता के रिश्तेदार की है कंपनी : भारद्वाज
भारद्वाज ने कहा कि ये एक बड़ा घोटाला है जिसमें भाजपा के नेताओं की भी मिलीभगत है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को ये काम दिया गया था वह कंपनी भाजपा के एक बड़े नेता के रिश्तेदार की है। इसलिए इस पूरे मामले पर पर्दा डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले भी भाजपा के नेता अपने रिश्तेदारों को नगर निगम में शहर की डेवलपमेंट से जुड़े प्रोजेक्ट्स के कांट्रेक्ट दिलवाते रहे हैं। इसलिए शहर में ये बड़े घोटाले हो रहे हैं और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।