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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 114वीं जयंती गांधी स्मारक भवन, चंडीगढ़ में मनाई गई।

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शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 114वीं जयंती गांधी स्मारक भवन, चंडीगढ़ में मनाई गई।

माता पिता को चाहिए बच्चों में देश प्रेम के संस्कार पैदा करें-ओमबीर बिशनोई , डी.जी.पी चंडीगढ़ पुलिस
चंडीगढ़, 28 सितम्बर -शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह की 114वीं जयन्ती आज स्थानीय सैक्टर-16 स्थित गांधी स्मारक भवन में पूर्ण उल्लास एवं श्रद्धा से मनाई गई। इस अवसर पर चंडीगढ़ पुलिस के डी.जी.पी. ओमबीर बिशनोई, आई.पी.एस. मुख्य अतिथि थे। शहीद-ए-आजम के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के उपरांत मुख्य अतिथि श्री बिशनोई जी ने कहा कि भगत सिंह को देश प्रेम के संस्कार उनके परिवार से मिले और उन्होंने इसलिए देश की आजादी के लिए हंसते हंसते फांसी के फन्दे को चूम लिया। आज वर्तमान पीढ़ी में देश-प्रेम की भावना जागृत करने हेतु, माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांतिकारी देशभक्तों की जीवनियां पढ़ने को दें ताकि बच्चों में देश प्रेम के संस्कार उत्पन्न हो सकें।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए हरियाणा के सेवानिवृत एडीशनल डी.जी.पी श्री वी. के कपूर ने कहा कि युवा ही देश का भविष्य है। इसलिए युवाओं को अपनी उर्जा एवं शक्ति का प्रयोग देश-हित व समाज-हित में करना चाहिए जैसा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने किया ।
समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट, चंडीगढ़ के 67 वर्षीय एडवोकेट एवं भगत सिंह स्कूल आफ लर्निंग, सैक्टर-21, पंचकूला के फाउंडर सेक्रेटरी जनरल अरूण जौहर बिशनोई ने सरदार भगत सिंह के जीवन एवं फिलास्फी पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए युवाओं का आहवान किया कि उन्हें भगत सिंह की जेल डायरी अवश्य पढ़नी चाहिए। श्री जौहर ने अपनी एक ओजस्वी कविता ’ऐ नौजवानों , प्रण यही अब करना होगा’ से जनसमूह में जोश भर दिया।
गांधी स्मारक भवन चंडीगढ़ के निदेशक देवराज त्यागी ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सरदार भगत सिंह कहते थे कि जब तक मनुष्य द्वारा मनुष्य तथा एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र का शोषण, समाप्त नहीं कर दिया जाता तब तक मानवता को उसके क्लेशों से छुटकारा मिलना असम्भव है और तब तक युद्धों को समाप्त कर विश्व शान्ति के युग का प्रादुर्भाव करने की सारी बातें महज ढोंग के अतिरिक्त ओर कुछ भी नहीं है।
कार्यक्रम में विनोद कश्यप, डा. अनीश गर्ग, डेजी बेदी जुनेजा, तरसेम पाल, बी.डी.शर्मा, डा. मीरा शर्मा, ममता त्यागी एवं आशा शर्मा ने अपनी कविताओं से श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही बलवंत तक्षक, योगेश बहल, दिनेश गोयल, अश्वनि कुमार शर्मा, ईश्वर अग्रवाल, अशोक मायर, मोहिंदर कौर, वीना चैहान, ब्रज मोहन त्यागी, रमेश कुमार, सोनम, बालकृष्ण गुप्ता, एम.पी.डोगरा, नवीन कुमार, भुपिंदर शर्मा, कपिल देव शर्मा ने विशेष रूप से भाग लिया।