1730 में पर्यावरण की रक्षा के लिए बिश्नोई समाज के बलिदान को भाजपा सरकार कर रही अनदेखा : चन्द्रमोहन
— वन शहीद दिवस पर पूर्व डिप्टी सीएम चन्द्रमोहन ने कहा,जंगलो की रक्षा के लिए नीति व नियत जरूरी
पंचकूला ब्यूरो(11 सितम्बर 2021)। आज से तीन शतक पहले वर्ष 1730 में 11 सितम्बर को राजस्थान के जोधपुर में एक पेड़ को कटने से बचाने के लिए बिश्नोई परिवार की एक मां और उनकी तीन बेटियों के बलिदान समेत समस्त 363 से ज्यादा बिश्नोई समाज के लोगो द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए बलिदान दिया गया जिसके बाद से 11 सितम्बर को वन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है।श्री चन्द्रमोहन ने कहा कि उनके द्वारा निरन्तर पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ लगाने के साथ साथ अन्य पर्यावरण हित मे कार्य किया जाता रहा है।
श्री चन्द्रमोहन जी(पूर्व डिप्टी सीएम,हरियाणा) का कहना है कि बड़ा दुखदायी है कि जब से भाजपा सरकार शासन में आई है तब से निरन्तर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर पेड़ो को काटकर बिश्नोई समाज के बलिदान को अनदेखा किया जा रहा है।
पूर्व डिप्टी सीएम चन्द्रमोहन का कहना है कि हरियाणा में जंगलो को अवैध माइनिंग व भू माफिया से बचाने में विफल साबित हो रही है।आलम यह है कि अब हरियाणा के जंगलों-वन की अस्मिता पर आंच आ गई है और अवैध माइनिंग व अवैध कब्जों से वन क्षेत्र में कटाव होता जा रहा है जिससे निरन्तर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर पेड़ो को काटकर बिश्नोई समाज के बलिदान को अनदेखा किया जा रहा है। ऐसे में वन शहीद दिवस का औचित्य केवल मात्र विज्ञापनों तक ही सीमित किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि मोरनी शिवालिक की पहाड़ियों में बसा वन क्षेत्र है जोकि अब खत्म होता जा रहा है।