Chandigarh August 17, 2021
स्वतन्त्रता अमृत महोत्सव
संस्कृत विभाग तथा दयानन्द चेयर द्वारा17-08-2021 को स्वतन्त्रता का अमृत महोत्सव आयोजित किया गया। राष्ट्रीय निष्ठा का संकल्प लेते हुए विभाग के छात्रों व शोधच्छात्रों ने अपने विचार रखे। मन्त्रोच्चारण पूर्वक कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इसमें एम.ए के छात्र गुरजीत प्रजापति ने स्वतन्त्रता व स्वच्छन्दता के विषय पर टिप्पणी करते हुए स्वतन्त्रता के अनेक पहलू पर अपने विचार रखे। एम. ए के छात्रा आरती व दीपाली ने राष्ट्र–चेतना से ओत–प्रोत कविताएँ प्रस्तुत की। यहाँ उपस्थित एम. ए द्वितीय वर्ष के छात्र अंशुल चौधरी ने कहा कि अपने अधिकार क्षेत्र में रहते हुए तथा दूसरों को भी क्षति न पहुँचाकर कार्य करना ही स्वतन्त्रता है। इस प्रकार शोधच्छात्र रोहित शर्मा ने स्वतन्त्रता के विभिन्न परिभाषाओं को बताकर मौलिक अधिकार व मौलिक कर्त्तव्य के विषय में चर्चा की। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. वीरेन्द्र कुमार अलंकार ने अपने सम्बोधन में भारतीय शहीदों के योगदान पर महत्त्वपूर्ण बातें सांझा करते हुए स्वतन्त्र शब्द का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताया कि स्वयं ही अपने तन्त्र अर्थात् अनुशासन का पालन करना स्वतन्त्रता है। संस्कृत में तन्त्र शब्द का मूल तनु विस्तारे धातु है, जिसका अर्थ विकास है। इसलिए अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, अपनी परम्पराओं का विकास करना स्वतन्त्रता है। अन्त में प्रो. अलंकार ने देश के सभी सैनानियों को याद करने के पक्ष में विशेष जोर दिया है, क्योंकि उनके बलिदान व उनकी सुरक्षा के बजह से हम आज सुरक्षित हैं। इस प्रकार राष्ट्रगान के साथ इस कार्यक्रम का समापन किया गया।