नई दिल्ली, 20 जुलाई, 2021
प्रेस-विज्ञप्ति
शहीद बटुकेश्वर दत्त की शहादत दिवस
पर पैंथर्स ने दी श्रद्धांजलि-खोसला
दिल्ली प्रदेश नेशनल पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष श्री राजीव जौली खोसला ने पैंथर्स कार्यालय के 61 बी.के. दत्त कॉलोनी में ही बी.के. दत्त को श्रद्धांजलि दी और कहा कि दत्त का निधन 20 जुलाई, 1965 को हुआ और राजीव जौली खोसला का जन्म 15 दिन बाद 4 अगस्त, 1965 को दिल्ली में हुआ। खोसला का मानना है कि क्रांतिकारी गरम दल क्रांतिकारियों की काफी विचार खोसला में मौजूद हैं, इसलिए हर क्रांतिकारी वीर का जन्मदिन और शहादत दिवस पर पैंथर परिवार की ओर से पुष्पांजलि और श्रद्धांजलि दी जाती है। देश के सभी युवाओं से निवेदन है कि गरम दल क्रांतिकारी वीरों की गाथाओं को पढ़ें और उस पर अमल करें कि किस प्रकार भारत को आजाद कराने के लिए हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई सबने एक होकर अंग्रेजों को भगाकर भारत को आजाद करवाया। पैंथर्स पार्टी का गठन प्रोफेसर भीम सिंह ने 23 मार्च, 1982 को शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के शहीदी दिवस पर किया।
बटुकेश्वर दत्त का जन्म 18 नवम्बर, 1910 को बंगाली कायस्थ परिवार में ग्राम.ओँयाडि़ए जिला नानी बेदवान; बंगाल में हुआ था। 1924 में कानपुर में इनकी भगत सिंह से भेंट हुई। इसके बाद इन्होंने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के लिए कानपुर में कार्य करना प्रारंभ किया। इसी क्रम में बम बनाना भी सीखा। 8 अप्रैल, 2012 को ऐसा ही कार्यक्रम पैंथर्स परिवार संसद मार्ग थाने में कर चुका है।
8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली स्थित केंद्रीय विधानसभा (वर्तमान में संसद भवन) में भगत सिंह के साथ बम विस्फोट कर ब्रिटिश राज्य की तानाशाही का विरोध किया। बम विस्फोट बिना किसी को नुकसान पहुँचाए सिर्फ पर्चों के माध्यम से अपनी बात को प्रचारित करने के लिए किया गया था। उस दिन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार की ओर से पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट बिल लाया गया था, जो इन लोगों के विरोध के कारण एक वोट से पारित नहीं हो पाया।
इस घटना के बाद बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। 12 जून, 1929 को इन दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। सजा सुनाने के बाद इन लोगों को लाहौर फोर्ट जेल में डाल दिया गया। यहाँ पर भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त पर लाहौर षडयंत्र केस चलाया गया। उल्लेखनीय है कि साइमन कमीशन के विरोध-प्रदर्शन करते हुए लाहौर में लाला लाजपत राय को अंग्रेजों के इशारे पर अंग्रेजी राज के सिपाहियों द्वारा इतना पीटा गया कि उनकी मृत्यु हो गई। इस मृत्यु का बदला अंग्रेजी राज के जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मारकर चुकाने का निर्णय क्रांतिकारियों द्वारा लिया गया था। इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप लाहौर षड़यंत्र केस चलाए जिसमें भगत सिंहए राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा दी गई थी। बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास काटने के लिए काला पानी जेल भेज दिया गया। जेल में ही उन्होंने 1933 और 1937 में ऐतिहासिक भूख हड़ताल की। सेल्यूलर जेल से 1937 में बांकीपुर केन्द्रीय कारागार पटना में लाए गए और 1938 में रिहा कर दिए गए। काला पानी से गंभीर बीमारी लेकर लौटे दत्त फिर गिरफ्तार कर लिए गए और चार वर्षों के बाद 1945 में रिहा किए गए।
आजादी के बाद नवम्बर, 1947 में अंजली दत्त से विवाह करने के बाद वे पटना में रहने लगे। बिहार विधान परिषद ने बटुकेश्वर दत्त को अपना सदस्य बनाने का गौरव 1963 में प्राप्त किया। दत्त की मृत्यु 20 जुलाई, 1965 को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुई। मृत्यु के बाद इनका दाह संस्कार इनके अन्य क्रांतिकारी साथियों भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की समाधि स्थल पंजाब के हुसैनी वाला में किया गया। बटुकेश्वर दत्त के विधान परिषद में सहयोगी रहे इन्द्र कुमार कहते हैं कि स्व॰ दत्त राजनैतिक महत्वाकांक्षा से दूर शांतचित्त एवं देश की खुशहाली के लिए हमेशा चिन्तित रहने वाले क्रांतिकारी थे।