दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. नरेश कुमार ने आज आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों को पत्र लिखकर उनसे माँग की कि उन्हें नैतिकता के आधार पर अपने पदों से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। उन्होंने लिखा कि आपकी सरकार इस संकट काल में पूरी तरह से असफल रही है और आप सभी विधायक, मंत्री- मुख्यमंत्री अपने- अपने घरों में छिपे बैठे हैं और आपके क्षेत्रों में रोज़ाना मौतें बढ़ रही हैं, नतीजन दिल्ली त्राही त्राही कर रही है। उन्होंने अपने इस पत्र के बारे में दिल्ली के उपराज्यपाल को भी अवगत कराया है। डा. नरेश कुमार ने अपने पत्र में लिखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों को लिखा है कि मैं आपको यह पत्र दिल्ली का एक जिम्मेदार नागरिक की हैसियत से लिख रहा हूँ। कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर से आज दिल्ली चीत्कार कर रही है। हजारों की संख्या में माताओं की गोद सूनी हो गई और सुहागिनों के सुहाग उजड़ गए। ऐसे हजारों परिवार हैं जिनमें आज वृद्ध मां-बाप व बच्चे बच गए हैं। परिवार के बाकी वयस्क लोगों को इस कोरोना ने लील लिया।
आपकी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने सैकड़ों करोड़ रुपये अपने इस विज्ञापन पर फूंक दिया कि दिल्ली का हेल्थ सिस्टम बड़ा अच्छा है, सारी दुनिया में इसकी वाहवाही हो रही है। उन्होंने इस पत्र ने पूछा कि आज कि आज वह हेल्थ सिस्टम कहाँ हवा हो गया। अस्पतालों में ऑक्सीजन के बगैर, बेड के बगैर, इलाज के बगैर, दवा और इंजेक्शन के बगैर तड़प तड़प कर मर गए। आज आपको ईमानदारी से बताना चाहिए कि आपकी सरकार ने दिल्ली में कितने नए अस्पताल बनवाए हैं। अगर हॉस्पिटल नहीं बनवा सकते थे तो कम से कम इन अस्पतालों में ऑक्सिजन के प्लांट तो लगवा दिए होते जिसका खर्चा आपके मुख्यमंत्री के विज्ञापन के कुल ख़र्चे का एक प्रतिशत होता। और जितना खर्च एक दिन में विज्ञापन पर आता है उससे पूरी दिल्ली के लोगों को मुफ़्त मास्क बट जाते और पाँच दिन के विज्ञापन के ख़र्चे में पाँच हज़ार अतरिक्त बेड इन्हीं अस्पतालों में लग जाते और दस दिन के विज्ञापन के ख़र्चे में एक हज़ार वेंटिलेटर अतरिक्त लग जाते।
उन्होंने पत्र ने आगे लिखा कि जब पिछले साल कोरोना महामारी शुरू हुई तो आपके मुखिया अरविंद केजरीवाल जी ने ऐसे दावे किए, मानों वे इस बीमारी को फूंक मारकर उड़ा देंगे। लेकिन जब स्थिति बिगड़ी तो उन्होंने दोनों हाथ खड़े कर दिए। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह भी है कि आपकी सरकार ने कोरोना के पिछले हमले से कोई सबक नहीं लिया और हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और जब हालात बेकाबू हो गए तो लाशों पर राजनीति शुरू कर दी। यह बहुत ही दुःखद व शर्मनाक स्थिति है। इससे भी ज्यादा अफसोस की बात यह है कि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते आज आपको क्षेत्र के पीड़ितों के आंसू पोंछने चाहिए लेकिन आप न जाने कहाँ छिपकर बैठे हो और आपके क्षेत्र में मौतों की भरमार हो रही है।
उन्होंने आगे लिखा कि मुझे मालूम है कि आपका हृदय भी यह स्वीकार करता है कि दिल्ली में आज इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर जो कुछ मौजूद है, वह कांग्रेस ने बनाया है और आपकी सरकार ने कुछ नहीं किया है यह भी सही है कि आपको भी यकीन हो गया है कि आपके मुख्यमंत्री झूठ चाहे जितनी कुशलता से बोलते हों, लेकिन दिल्ली में हुकूमत चलाना उनके वश का काम नहीं है क्योंकि जो मुख्यमंत्री कुछ दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कह रहे थे कि दिल्ली के लोगों को 750 मैक्ट्रिक टन ऑक्सिजन चाहिए। अब आपके मुख्यमंत्री ने कहना शुरू कर दिया कि दिल्ली के लोगों के लिए 550 मैक्ट्रिक टन ऑक्सिजन काफ़ी है बाक़ी ऑक्सिजन दूसरे राज्यों को दे दी जाए। पहले आपके मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि दिल्ली में संक्रमण दर छत्तीस प्रतिशत है अब कह रहे हैं कि बारह प्रतिशत रह गया है। आप और हम सब समझते है कि आँकड़ों में इतना जल्दी बदलाव नहीं हो सकता, आप और हम जानते है कि दिल्ली में मौतों का सिलसिला घट नहीं रहा बल्कि बढ़ रहा है। मेरा मानना है कि कही केंद्र सरकार के दबाव में आके ये नाटक तो नहीं किया जा रहा है और दिल्ली की जनता को गुमराह किया जा रहा है। साथ ही दिल्ली की जनता को भगवान भरोसे मरने के लिए छोड़ दिया गया है। ऐसे में आपसे मेरी विनती है कि आप और आपकी सरकार नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे ताकि दिल्ली की जनता एक बेहतर सरकार को चुन सके। आपके सत्ता सुख की खातिर दिल्ली की दो करोड़ जनता अपनी जान को खतरे में भला क्यों डालेगी।