नई दिल्ली, 6 जून, 2021
दिल्ली प्रदेश नेशनल पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष श्री राजीव जौली खोसला ने आज एक अहम बयान दियाए जिसमें बताया गया कि भारत में मेट्रोपॉलिटन सिटी छोड़कर गांव देहात में झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से ही आज भारत में करोना जैसी महामारी द्वारा मरने वालों की संख्या कम है अन्यथा जिस प्रकार सरकारी अस्पतालों का मरीजों के प्रति व्यवहार है वह तो काफी दर्दनीय है। आज एक डॉक्टर बनने के लिए कम से कम एक से दो करोड़ रुपए का पढ़ाई में खर्च होता है। 12वीं पास करने के बाद डॉक्टर बनने के बाद उनमें मरीजों से बात करने की तहजीब खत्म हो जाती है। सरकारी अस्पतालों में जिस प्रकार डॉक्टरों का मरीजों के साथ व्यवहार होता हैए वह काफी रूपली होता है हम मानते हैं कि उन पर दबाव मरीजों का देखने के लिए बहुत ज्यादा होता है , मगर सहनशीलता का भी उनको पाठ पढ़ाना चाहिए। भारत में झोलाछाप डॉक्टर की तादाद भी लाखों में है जिसमें गांव देहात में जाकर मरीज अपना उपचार करवा लेते हैं और उनके बोलने भर से ही मरीज स्वस्थ हो जाते हैं। दिल्ली के भी बॉर्डरों के चारों तरफ झोलाछाप डॉक्टरों की कमी नहीं है और वे एक ही बात सोचते हैं कि दो या तीन बोतल पानी की यानी कि ग्लूकोस की चढ़ावाने भी चले जाते हैं और वह डॉक्टर भी एक छोटे से बेंच पर लेटा कर उन्हें पानी यानी कि ग्लूकोस की बोतल चढ़ा देते हैं और उन्हें तसल्ली मिल जाती है। पैंथर्स पार्टी यही मांग करती है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के रवैया में सुधार के लिए स्वास्थ्य मंत्री को इस पर भी ध्यान देना चाहिए। मेहनतकश, मजदूर, ईमानदार के लिए झोलाछाप डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं।