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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

नम आंखों से मासूम बच्चों ने कहा हम नहीं देखना चाहते 200 करोना लाश को जलते हुए अपनी आंखों से

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करोना महामारी के बीच सड़क एवं कामकाजी बच्चों की वर्तमान स्थिति को जानने के लिए चेतना संस्था के सक्रिय टीम मेंबर ने ग्राउंड पर जाकर कि उनसे मन की बात!

✍️ चेतना संस्था के सक्रिय कार्यकर्ता ने आज करोना महामारी के बीच सड़क एवं कामकाजी बच्चों के की वर्तमान स्थिति पर चर्चा

▪️ जिला पश्चिमी दिल्ली, पश्चिम पुरी ब्लॉक बी के श्मशान घाट के पास बसे शहीद भगत सिंह झुग्गी बस्ती में रहने वाले तमाम बच्चे एवं अभिभावक ने रो-रो कर सुनाया अपना दिल का हाल!

▪️ 13 वर्षीय बबीता का कहना था कि हमारे आंखों के सामने से प्रतिदिन 100 से 200 तक करोना के लाश एंबुलेंस के द्वारा आता है और श्मशान घाट अंदर लकड़ के माध्यम से जलाया जाता है उसका धुआं और महक घरों के अंदर भारी मात्रा में आता है जिस कारण से हम अपना पंखा भी नहीं चला पाते अगर पंखा चलाते हैं तो धुआं और उसकी महक हमें सांस लेने नहीं देती!

▪️ 45 वर्षीय मुन्नी देवी ने बताया कि शमशान घाट में जब से करोना के लाश को जलाया जा रहा है तब से आधी झुग्गी के अवादी ने अपना झुग्गी खाली कर गांव की ओर जा चुके हैं और लगातार यहां से लोग अपने गांव जा रहे हैं उनका कहना था जब तक ही दिन रोना कैलाश आता है तो उसके साथ ही परिवार आते हैं और जो जोगी से जाने वाला में रास्ता है उसी के साथ सार्वजनिक शौचालय है ओर शौचालय हम उपयोग करते थे लेकिन करोना के लाश के साथ जो व्यक्ति आते हैं वह इसी रोड से गुजरते हैं जिसके कारण हमें बहुत डर और भय नजर आता है और हम इस रास्ते से नहीं आ पाते!

▪️ 13 वर्षीय सोनिया परवर्ती नाम ने बताया यहां पर रोज लाश 100 से 200 तक आता है और हमारे झुग्गी के ही युथ नशे में लिप्त है वह एंबुलेंस से निकाल समशान घाट के पास ले जाकर रखते हैं जिसके बदले में उन्हें कुछ पैसे दिए जाते हैं और वह इसी झुग्गी बस्ती में रहते हैं और कोई सावधानी भी नहीं रखते जिसके कारण यहां के लोग डरे रहते हैं!

▪ पश्चिमी जिला के शकूरबस्ती के झुग्गी बस्ती में रहने वाले तमाम अभिभावकों को बच्चों ने बताया कि हमें लोकदल के डर फिर से सताने लगा है 5 से 6 दिनों में हमारा काम काज ना होने के कारण हमारे घर में भुखमरी जैसा हालात पनप रहे हैं हम अब एक टाइम ही खाना खा कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं!

▪️ शकूरबस्ती के कुछ लोग आज 50 से 60 लोग अपने झुग्गी से गांव की तरफ जाते हुए रो-रो कर अपनी मजबूरी बताई उन्होंने कहा कि हमारे ठेकेदार और मालिक जो हम से मजदूरी कराते थे वह पैसे नहीं दे रहे इस कारण से उनके पैरों में चप्पल नहीं और खाने के कुछ राशन नहीं और वह बिना चप्पल अपने गांव की ओर निकल चुके हैं!