उमंग अभिव्यक्ति मंच पंचकूला ने बड़ी धूमधाम से ऑनलाइन काव्य गोष्ठी के माध्यम से “फागुन आयो रंग भरा” नाम से होली उत्सव मनाया मंच की फाउंडर श्रीमती नीलम त्रिखा व शिखा श्याम राणा ने बताया ऑनलाइन इस उत्सव में देश के अलग-अलग हिस्सों से बहुत सारे कवित्रीयों ने हिस्सा लेकर अपनी अपनी कविताओं के माध्यम से खूब रंग जमाया और एक दूसरे को होली की मुबारकबाद दी साथ ही साथ यह संदेश भी दिया की कोरोना से बचाव में ही सावधानी है घर पर ही रह कर इस बार भी होली ऑनलाइन के माध्यम से ही मनाएं तो ज्यादा अच्छा रहेगा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें मास्क जरूर लगाएं इस काव्य गोष्ठी में हास्य के खूब रंग जमे और सभी ने हास्य की कविताएं सुनाकर सभी को खूब हंसाया इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कुरुक्षेत्र से डॉ ममता सूद ने की जो की एक वरिष्ठ साहित्यकारा है और सभी को वैर विरोध भूलकर आपस में प्रेम से रहने का खूबसूरत संदेश दिया। क्योंकि होली गिले-शिकवे भूलने का ही त्यौहार है और इस होली पर सभी ने यही प्रण लिया कि हम सब गरीबों के चेहरे पर भी हंसी लेकर आएंगे मानवता को सबसे पहले रखेंगे क्योंकि पिछले एक वर्ष में कोरोना काल ने यह खूब सबको समझा दिया है की सच्ची खुशी धन और दौलत से नहीं अपनों के साथ से मिलती है जब आप अकेले रह जाते हो तो आपके मित्र और सच्चे रिश्ते ही काम आते हैं तब पैसा किसी काम नहीं आता। कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले रचनाकारों के नाम डॉक्टर ममता सूद, नीलम त्रिखा ,संगीता शर्मा कुंद्रा निशा वर्मा, अलका शर्मा, दिलप्रीत दीपाली ,नीरजा शर्मा ,राशि श्रीवास्तव सोनीमा सत्या ,श्रीमती प्रज्ञा शारदा शारदा अलका शर्मा बोस आदि अनेक कवित्रीयों ने हिस्सा लिया।
श्रीमती नीलम त्रिखा ने
अपनी कविता के माध्यम से कुछ इस तरह से कहा
चलो इस होली पर सभी गिले-शिकवे को भुलाया जाए…
दर्द उठता है जो सीने में ना और दबाया जाए…
भूल आपसी वैर विरोध सबको हँसाया जाए…
डॉ ममता सूद ने कुछ यू कहा
यहां वहां होली का हुड़दंग है छाया ….
रंग बिरंगे रंगों में भीगी हुई है काया….
राशि श्रीवास्तव ने कुछ यूं कहा नई पिचकारी नए है रंग …
खेलेंगे होली कान्हा के संग…
नीरजा शर्मा ने अपनी कविता में कुछ यूं कहा फागुन के आते ही बढ़ जाती है मिलने की आस….