संस्कृत विभाग द्वारा केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान), जनकपुरी, नई दिल्ली के सौजन्य से 3-9 फरवरी, 2021 को छन्द एवं अलंकार की उपयोगविधि पर एक सप्तदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में लगभग 50 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें कॉलेज, विश्वविद्यालय के अध्यापक, शोधच्छात्र और पी.जी. के छात्र भी थे। ऑनलाइन के साथ साथ विभाग के उन प्रतिभागियों ने भी कोरोना नियमों का पालन करते हुए इसमें ऑफलाइन भी भाग लिया, जिनके पास विशेष रूप से हरियाणा में नेटवर्क की समस्या के कारण ऑनलाइन कक्षा में बाधा आ रही थी। प्रथम दिन राष्ट्रपति सम्मानित, पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने दो विशिष्ट व्य़ाख्यानों में संस्कृत की समृद्ध काव्यपरम्परा और आधुनिक काव्यलेखन का विस्तृत विवरण सामने रखा। इसके पश्चात् डॉ. नरेश बत्रा (अम्बाला), डॉ. विक्रम कुमार (चण्डीगढ), प्रो. सतीश कुमार कपूर (जम्मू), प्रो. रबीन्द्र कुमार पण्डा (बड़ौदा, गुजरात) तथा प्रो. जगदीश प्रसाद सेमवाल (होश्यारपुर) के विशेष व्याख्यान व संवाद हुए। प्रो. वी. के. अलंकार ने प्रतिदिन व्याख्यान के साथ अभ्यास सत्र में प्रतिभागियों को छन्द व पद्य लेखन का अभ्यास कराया और अलंकारों के लोकभाषा में प्रयोग के उदाहरणों से वाक्य में प्रयुक्त अलंकारों का अभ्यास कराया।
समापन भाषण कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा, झारखण्ड के कुलपति प्रो. गंगाधर पण्डा द्वारा दिया गया। प्रो. पण्डा ने कालिदास साहित्य के उदाहरणों से अलंकारों की विस्तृत व्य़ाख्या की।
छात्रों ने इस कार्यशाला के दौरान प्रतिदिन श्लोक लिखकर दिखाए और अलग अलग अलंकारों का प्रयोग करके दिखाया।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने इस कार्यशाला की स्वीकृति मार्च 2020 में दी थी, किन्तु कोरोना के कारण तब सम्भव नहीं हो पाया था। संस्कृत विभाग सहयोग के लिए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जनकपुरी, नई दिल्ली का आभारी है।