ट्राइसिटी के दंपत्ति ने आयुर्वेदिक अनूठा स्टार्ट-अप स्थापित किया
कोरोना काल में इम्युनिटी बढ़ाने का संकल्प, तैयार किया आयुस्त्री
महिलाओं के मुश्किल दिनों के लिए विशेष टॉनिक आयुस्त्री
चंडीगढ़ सुनीता शास्त्री। ट्राइसिटी के एक उत्साही युगल ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल के तहत एक अनूठा आयुर्वेदिक स्टार्ट-अप शुरू किया है, जिसका उद्देश्य न सिर्फ आयुर्वेद को बढ़ावा देना है, बल्कि जड़ी बूटियों पर आधारित सदियों पुरानी आयुर्वेदिक पैथी से निर्मित औषधियों को लोकप्रिय बनाना भी है। स्टार्ट-अप की विशेषता यह है कि लंबे अनुसंधान के बाद आयुर्वेदिक औषधियों का स्वाद ऐसा रखा गया है, जो सबको पसंद आता है और गुणवत्ता में भी ये अव्वल हैं। महिलाओं के मुश्किल दिनों के लिए बना विशेष टॉनिक आयुस्त्री इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ही माहवारी की समस्याओं को भी दूर करता है। इस बारे में बीटासिस हैल्थकेअर के संस्थापकों ने आज चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया। नीरज भसीन, एमडी, बीटासिस हैल्थकेअर ने कहा, एलोपैथी दवाएं तत्काल आराम तो पहुंचाती हैं, लेकिन बीमारी को समाप्त नहीं करतीं। जबकि आयुर्वेद में किसी रोग को जड़ से खत्म करने की क्षमता है। हर्बल उत्पाद इसलिए अच्छे हैं क्योंकि ये शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते। कोविड में भारतीयों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ क्योंकि हम लोग हल्दी, तुलसी व जड़ी-बूटियों को किसी न किसी रूप में पहले से ही प्रयोग करते रहे हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसीलिए हमने शुरू से ही आयुर्वेदिक उत्पादों पर फोकस रखा। कोरोना से पहले जहां आयुर्वेदिक उत्पादों की खपत 15 प्रतिशत थी, वहीं अब यह 90 प्रतिशत हो गयी है बीटासिस की डायरेक्टर सुश्री समृद्धि भसीन ने कहा कि माहवारी के दिनों में कामकाजी महिलाओं को खास तौर पर काफी कठिनाइयां होती हैं, जिसके लिए हमने आयुस्त्री टॉनिक पेश किया है, जो सभी शारीरिक मुश्किलों में आराम पहुंचाता है। इसमें जो तत्व शामिल हैं वे हार्मोन से लेकर अन्य सभी पहलुओं को संबोधित करते हैं।नीरज जहां आईटी बैकग्राउंड से हैं, वहीं समृद्धि राजनीति शास्त्र पढ़ी हैं। आयुर्वेद के प्रति लगाव ने पति-पत्नी को इस दिशा में कार्य तेज करने को प्रेरित किया और ये स्वास्थ्य रक्षा के लिए समर्पित भाव से जुट गये। वे कहते हैं कि कंपनी ने उत्पादों की एक पूरी रेंज तैयार की है, जिनमें हल्दी ड्रॉप्स, तुलसी ड्रॉप्स, लीवर टॉनिक, जोड़ों के दर्द की दवा, खांसी की दवा और बालों का उपचार शामिल है। इन औषधियों का स्वाद अच्छा है, जिसे रिसर्च के बाद विकसित किया है। तुलसी व हल्दी स्वादिष्ट ड्रॉप्स के रूप में है, जो एक खासियत है।आयुर्वेद का बाजार 2018 में रु. 300 अरब था, जो 2024 तक रु. 710.87 अरब होने का अनुमान है। बीटासिस की उन्नति में पूरी टीम का पूरा योगदान रहा है, जिसमें विपुल शर्मा, डॉ. नीलम, डॉ. आशीष शर्मा और करिश्मा भगत के अलावा उत्पादन, मार्केटिंग, डिस्पले, डिजाइनिंग व सेल्स टीम आदि प्रमुख है। उत्पाद एमेजॉन, फ्लिपकार्ट और कंपनी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं। सभी औषधियां आयुष से एप्रूव्ड हैं और इनसे कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। बीटासिस की उत्पादन इकाई डैराबस्सी में स्थित है।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020