एनजीओ ने प्रशासन से व्हीलचेयर क्रिकेटर्स के पुनर्वास की प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की, सभी हितधारकों के साथ बैठक बुलायी
चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री । एम्पॉवर – विशेष जरूरतों वाले बच्चों के एनजीओ और कुछ अन्य गैर-सरकारी संगठनों ने मिलकर, व्हीलचेयर क्रिकेट सोसाइटी के क्रिकेटर्स को उनके मौजूदा आवास चेशायर होम, सेक्टर 21 से एक नयी जगह शिफ्ट करने के चंडीगढ़ प्रशासन व समाज कल्याण विभाग के फैसले के खिलाफ सेक्टर 17 में प्रदर्शन किया। विभाग जिन व्हीलचेयर क्रिकेटरों को सेक्टर 21ए से ईडब्ल्यूएस कॉलोनी, मलोया भेजने की कोशिश कर रहा है, वे अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में जीत हासिल करके देश का नाम रोशन कर चुके हैं। इन खिलाडियो को बिना उनकी सहमति और उचित सुविधाओं के – मलोया स्थित एक जीर्ण-शीर्ण आवास में भेजने की तैयारी चल रही है। एक अन्य विकल्प सेक्टर 42 स्टेडियम का दिया जा रहा है, लेकिन वहां भी कई स्थान ऐसे है जहां आने-जाने में शारीरिक रूप से अक्षम इन खिलायिो को परेशानी होगी। उल्लेखनीय है कि प्रशासन ने किसी भी हितधारक को विश्वास में लिए बगैर ही चेशायर होम को मानसिक रूप से बीमार लोगों के आवास में बदलने का निर्णय ले लिया है।वीर संधू, कैप्टन, पंजाब व्हीलचेयर क्रिकेट टीम, जो भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के सदस्य भी हैं, ने कहा, ‘ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स में हमें पानी और बिजली के बिलों के अलावा, हर महीने 3000 रुपये किराया भी देने को कहा गया है। हमारे पास आय का कोई स्रोत नहीं है और खेल के क्षेत्र में अपने प्रदर्शन के माध्यम से देश और चंडीगढ़ में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए दिये गये योगदान के बावजूद, हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है। सेक्टर 42 स्टेडियम वाला दूसरा वैकल्पिक आवास भी व्हीलचेयर अनुकूल नहीं है। व्हीलेयर क्रिकेटर्स और सहयोगी गैर-सरकारी संगठन प्रशासन के उस फैसले से नाराज हैं, जिसके तहत बगैर चेशायर होम बाशिंदों की जानकारी के समाचार पत्रों में आनन-फानन में विज्ञापन देकर गैर-सरकारी संगठनों से मौजूदा आवास का प्रबंधन संभालने के लिए टेंडर निकाले गये हैं। विरोध का एक कारण यह भी है कि यह सब बदलाव कोविड-19 महामारी के बीच हो रहा है। उल्लेखनीय है किचेशायर होम में मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए बनाये जा रहे आवास को चलाने के लिए इच्छुक संगठनों से 15 दिसंबर से पहले आवेदन करने को कहा गया है।शर्मिता भिंडर, संस्थापक, एम्पॉवर एनजीओ, ने कहा, हमारे एनजीओ के साथ-साथ समान सोच वाले अन्य अनेक नागरिकों व परोपकारी लोगों ने इन निवासियों को 2015 से ही खाद्य पदार्थों व आवास के रखरखाव के लिए हर तरह से मदद की है। यूटी प्रशासन ने एकतरफा निर्णय लेकर इन रहवासियों के प्रति उदासीन और अमानवीय व्यवहार दर्शाया है। उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना या बिना उनकी रजामंदी के ही भवन खाली करने को कहा जा रहा है। हम 24 सितंबर, 2020 को भेजे अपने अंतिम पत्र के बाद, प्रशासन की ओर से बातचीत और समाधान प्रदान किये जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे, लेकिन कठिनाइयां कम करने की बजाये अधिकारियों ने व्हीलचेयर क्रिकेटर्स के विचारों को ही सिरे से खारिज कर दिया। जनवरी 2020 तक, समाज कल्याण विभाग द्वारा यहां रहने वालों के लिए बस इतना किया गया कि बिजली की मरम्मत का काम करा दिया। वर्ष 2015 से जनवरी 2020 तक व्हीलचेयर क्रिकेट सोसाइटी को विभिन्न एनजीओ की ओर से भोजन, कपड़े, बिस्तर, सफाई, रंग-रोगन और मरम्मत कार्य के लिए धनराशि मुहैया करायी गयी, जबकि प्रशासन की ओर से ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया।भिडर ने आगे कहा, समाज कल्याण विभाग को इन कार्यो के लिए करोड़ों रुपये की मंजूरी मिलती है, फिर भी चेशायर होम के निवासियों को खुद से और कुछ गैर सरकारी संगठनों के समर्थन से ज्यादातर व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं। जीर्ण-शीर्ण भवन को ठीक कराने के लिए लोगों द्वारा 6 लाख रुपये से अधिक की धनराशि दान में दी जा चुकी है। यदि विभाग अपने फैसले पर अड़ा रहता है और पुनर्वास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है, तो उसे व्हीलचेयर क्रिकेटरों को इस राशि का भुगतान करना चाहिए। साथ ही, ऐसे वैकल्पिक आवास का प्रावधान करना चाहिए जो व्हीलचेयर के अनुकूल हो। दूसरी ओर, मैन्टल हैल्थ होम की मांग करने वाले समूह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सेक्टर 21 की इमारत उनके लिए अपर्याप्त है और इसमें 30 निवासी भी नहीं रह पायेंगे। इमारत में कुल 8 कमरे और 2 हॉल हैं, जबकि नयी जरूरत के हिसाब से वहां डॉक्टर, परामर्श, चिकित्सा, भोजन और मनोरंजन क्षेत्र के लिए कुछ अन्य कमरों की आवश्यकता होगी। इस समूह को 70 निवासियों के लिए आवास की आवश्यकता है।गैर सरकारी संगठन और रोटरी क्लब जीरकपुर के सदस्यों ने सुझाव दिया है कि इंदिरा हॉलीडे होम मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि वहांं कई कमरे, कई मंजिलें, सभागार, हॉल और लॉन आदि पहले से ही मौजूद हैं।भिडर का कहना है कि गैर-सरकारी संगठन को निकाले गये टेंडर और एनजीओ की नियुक्ति को तुरंत रोका जाना चाहिए और प्रशासन और चेशायर होम के निवासियों व उनके मददगारों और मानसिक स्वास्थ्य रोगियों के समूह प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त रूप से एक बैठक बुलानी चाहिए।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020