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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

गुरशरन सिंह नाटक उत्सव के साथ होगी जीवंत रंगमंच की वापसी

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नाटक उत्सव 11 से 13 दिसंबर तक पंजाब कला भवन में आयोजित होगा
चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। सुचेतक रंगमंच मोहाली की तरफ से हर साल होने वाला गुरशरन सिंह नाटक उत्सव चंडीगढ़ में जीवंत रंगमंच की वापसी का संयोग बनने जा रहा है। यह पाँच दिना थियेटर फेस्टिवल हर साल नवंबर में किया जाता रहा है, परन्तु करोना काल दौरान शहर के तमाम आडीटोरियम बंद होने के कारण वें गुरशरन सिंह नाटक उत्सव 11 से 13 दिसंबर को पंजाब कला भवन में होने जा रहा है। इस नाटय उत्सव के बारे बातचीत करते सुचेतक रंगमंच की प्रधान अनीता शब्दीश ने बताया कि इस बार रंगमंच के लिए सहयोग करन वालों सभी सांस्कृतिक संस्थायों का कामकाज ठप्प पड़ा है और कोई भी अदारा वित्तीय सहयोग नहीं दे सकता। इन हालात में सांस्कृतिक मामले विभाग ने सिर्फ एक दिन के लिए हाल देने दिया है। हमारी रंगमंचीय सरगर्मियों के लिए सहायक होने वाले बहुत से दोस्त भी किसान आंदोलन की सहायता कर रहे हैं। इसी कारण हम पाँच दिनों के नाटय उत्सव को तीन दिन तक सीमित कर रहे हैं। उन का कहना था कि बहुत से रंगकर्मी साथी भी नाटय उत्सव न करने के लिए बोल रहे हैं, जब करोना काल में भी उत्सव करने के बारे पूछा गया तो उन का सवाल था, जब बहुत सी राजनैतिक- सामाजिक सरगर्मियाँ हो रही हैं तो रंगमंचीय सक्रियता को रोके रखना क्यों जरूरी है? अनीता शबदीश ने कहा कि गुरशरन सिंह जी अपने वक्त के हर आंदोलन में शमूलियत करन वाले कलाकार थे। इसी लिए हमारा नाटक उत्सव किसान आंदोलन को समर्पित रहेगा। इसका आगाज डा. सहिब सिंह के चर्चित नाटक संमाँ वाली डांग के साथ होगा और आखिरी दिन भी किसान आंदोलन के सरोकारें को सांझा करती कवितायों का मंचन जे हुण भी ना बोले नाटक के रूप में किया जायेगा। इस में करोना काल के साथ जुड़े और सवाल भी उठाए गए हैं। गुरशरन सिंह स्त्री और दलित समाज प्रति भी गहरी हमदर्दी रखते थे। इसी लिए 12 दिसंबर को मन मिट्टी दा बोलिया नाटक पेश किया जायेगा। उनहोंने यह भी कहा कि इस बार सिर्फ नाटक ही नहीं होंगे, बल्कि हर दिन पाँच बजे से पौने छह बजे तक चल रहे किसानी आंदोलन को लेकर संक्षिप्त चर्चा भी की जायेगी। यह चर्चा पंजाब कला भवन के आंगन में होगी और छह बजे नाटकों का मंचन होगा। दर्शक करोना महामारी की हिदायतें की पालना करन में सहयोग देंगे।