चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। भारत में स्क्रैप आयातों पर नियंत्रण के लिए टैरिफ एवं गैर टैरिफ मोर्चे पर पर्याप्त प्रावधानों की कमी के कारण भारत में एल्युमीनियम स्क्रैप का संकट और तेजी से बढ़ रहा है। चीन की नेशनल स्वार्ड पॉलिसी और वहां स्क्रैप आयात को प्रतिबंधित करने के अन्य उपायों के परिणामस्वरूप पूरी दुनिया से एल्युमीनियम स्क्रैप का रुख भारत की ओर हो गया है। गुणवत्ता, पर्यावरण एवं सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए एल्युमीनियम स्क्रैप के लिए वैश्विक मानदंडों एवं स्क्रैप के आयात, रीसाइकिलिंग एवं प्रयोग पर नियंत्रण को लेकर बीआईएस मानकों की तत्काल आवश्यकता है। भारत की घरेलू एल्युमीनियम उत्पादन क्षमता 4.1 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए)है, जो 3.7 एमटीपीए की अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। हालांकि, देश की 60 प्रतिशत से अधिक एल्युमीनियम मांग अभी भी एल्युमीनियम स्क्रैप के रूप में आयात द्वारा पूरी की जाती है। स्क्रैप रीसाइकिलिंग, उपयोग और आयात के लिए बीआईएस गुणवत्ता मानक नहीं होने और स्क्रैप पर कम आयात शुल्क के कारण यह स्थिति जटिल हुई है। नतीजतन, भारत दुनिया में एल्युमीनियम स्क्रैप के सबसे बड़े आयातक के रूप में चीन से आगे निकल गया है।इसने घरेलू उद्योग पर न केवल प्रतिकूल प्रभाव डाला है, बल्कि गुणवत्ता नियंत्रण की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण से देश में कुछ संवेदनशील कार्यों में प्रयोग होने वाले उत्पादों में भी बिना जांचे हुए और कम गुणवत्ता वाले एल्युमीनियम के प्रयोग का खतरा पैदा हुआ है, जिससे अंततरू अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता प्रभावित होती है।स्क्रैप के लिए कोई भी गुणवत्ता मानक और आयात निगरानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण भारत अन्य देशों से आने वाले स्क्रैप के लिए डंपिंग ग्राउंड बन गया है। प्राइमरी एल्युमीनियम उत्पादन की पर्याप्त क्षमता और घरेलू स्क्रैप की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद भारत में स्क्रैप की खपत लगभग 100 प्रतिशत आयात पर निर्भर है। यह स्थिति प्राइमरी घरेलू एल्युमीनियम उत्पादक उद्योग के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा है। दुर्भाग्य से भारत में घरेलू या आयातित स्क्रैप के समुचित संग्रह, छंटाई और प्रसंस्करण की जांच करने के लिए पर्याप्त संस्थागत तंत्र नहीं है। इसके अलावाए ऐसे स्क्रैप से उत्पादित अंतिम उत्पादों की गुणवत्ता की जांच करने के लिए भी कोई मानक नहीं हैं। चीन और यूरोपीय संघ के अन्य देशों जैसे उच्च एल्युमीनियम खपत वाले देशों ने स्क्रैप आयात और स्क्रैप की प्रोसेसिंग एवं प्री-प्रोसेसिंग के लिए सख्त मानक एवं और दिशानिर्देश तय किए हैं। भारत में आने वाला अधिकांश एल्युमीनियम स्क्रैप अमेरिका का है, जो हमारे देश में बड़े पैमाने पर स्क्रैप भेज रहा है, क्योंकि चीन, यूरोपीय संघ और अन्य विकसित देशों में इस संबंध में कड़े मानक हैं। देश के पर्यावरण संरक्षक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अवैध और अनधिकृत स्क्रैप रीसाइकिलिंग और स्क्रैपिंग इकाइयों के कारण दिल्ली एनसीआर और अन्य स्थानों पर प्रदूषण से जुड़ी चिंताओं को कई बार रेखांकित किया है। एनजीटी ने वैज्ञानिक तरीके से स्क्रैपिंग के लिए अधिकृत रीसाइकिलिंग केंद्रों की स्थापना के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का भी निर्देश दिया है।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020