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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से तीन महान शख्सियतों, महान लेखक व पत्रकार बाबू लाल मुकंद गुप्त, जन जन में अपनी रागनियों के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं को स्पंदित करने वाले लोक सूर्य कवि पंडित लखमीचंद जी और संत कवि सूरदास जी भारतीय संत परंपरा एवं कृष्ण काव्य के महाकवि की प्रतिमाओं का लोकार्पण किया।

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पंचकूला, 18 नवंबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से तीन महान शख्सियतों, महान लेखक व पत्रकार बाबू लाल मुकंद गुप्त, जन जन में अपनी रागनियों के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं को स्पंदित करने वाले लोक सूर्य कवि पंडित लखमीचंद जी और संत कवि सूरदास जी भारतीय संत परंपरा एवं कृष्ण काव्य के महाकवि की प्रतिमाओं का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि हरियाणा की पावन भूमि पर तीनों विभूतियों ने जन्म लिया। प्रत्येक हरियाणवी के लिये गर्व की बात है। सूरदास जी जन्म से अंधे होते हुए भी उन्होंने एक लाख से अधिक पदों की रचना की। कलम के तीखे तेवरों से ब्रिटिश समा्रज्यवाद को चुनौति देने वाले बाल मुकुंद गुप्त ने युवाओं में देशभक्ति की भावना पैदा की। जन जन में अपनी रागनियों व सांग के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं को स्पंदित करने वाले लोक कवि पंडित लखमीचंद जी ने हरियाणा की इस माटी की सोंधी गंध में जन्म लिया है। तीनों महाविभूतियों ने समाज को अपने रचनाओं, साहित्य व काव्य और लेखनी से प्ररेणा दी। इन तीनों महाभूतियों को सदियों तक याद रखा जायेगा। आने वाली पीढ़ी के लिये भी ये प्रेरणा के स्त्रोत रहेंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव पब्लिक रिलेशनस धीरा खंडेलवाल ने बताया कि तीनों महान शख्सियत बाल मुकंद गुप्त, लोककवि लखमीचंद व कवि सूरदास जी हरियाणा के सोनीपत, फरीदाबाद और रेवाड़ी में जन्में थे। बाल मुकंद गुप्त जी अनुवादक, संस्थापक, देश प्रेम जगाने वाली शख्सियत थे। उन्होंने कहा कि श्री गुप्त ने हम सभी में जन्म भूमि से प्यार करने की प्रेरणा दी और जीवन में ऐसे कार्य करें, जिससे हम अमर हो जाये। लोक कवि पंडित लखमीचंद जी के सांग और लोकगीत पूरे देश में प्रसिद्ध हुए। सूर्य कवि सूरदास जी कृष्ण महाकाव्य के रचियता है। उन्होंने हिंदी साहित्य को नया आयाम दिया। उन्होंने इस अवसर पर हिंदी पत्रकारिता के मसीहा गुप्त जी, की गुड़ियानी और गुमनामी की पीर नामक पुस्तक का भी विमोचन किया। उन्होंने कहा कि हरियाणवी भाषा आज भारत में ही नहीं विश्व में भी बोली जाती है। बाॅलीवुड की फिल्मों व नाटकों में तो हरियाणवी संस्कृति विशेषतौर पर देखने को मिलती है। उन्होंने तीनों महान विभूतियों की प्रतिमाओं को बनाने वाले रामकुमार वर्मा की भी प्रशंसा की।
इस अवसर पर साहित्य कला अकादमी के निदेशक डाॅ. चंद्र त्रिखा ने पंडित लखमीचंद जी और सूर्य कवि सूरदास जी और बाबू लाल मुकंद गुप्त जी के योगदान का वर्णन किया। उन्होनंे कहा कि तीनों महाविभूतियां हमारे लिये वंदनीय है और तीनों ही हमारे जीवन की धड़कनों में बसती हैं। करोना काल खत्म होते ही साहित्य अकादमी इन तीनों कालजयी साहित्यकारों की जन्मस्थलियों की साहित्यक यात्रा का आयोजन करेगी। मुझे इस बात की खुशी है कि आज सूर्य कवि लखमीचंद जी के पडपोत्र विषणुदत जी और बाबू बाल मुुकंद गुप्त के गांव गुड़ियानी एवं रेवाड़ी से उनके साहित्यिक वंशज सत्यवीर नाहड़िया हमारे बीच उपस्थित है। इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने करोना महामारी के दौर के खत्म होने के बाद तीनों महाविभूतियों के पैतृक गांव में जाने का भी वायदा किया।
इस मौके पर उपायुक्त पंचकूला मुकेश कुमार आहूजा, एसडीएम रिचा राठी, धरोहर संग्रहालय कुरूक्षेत्र के महासिंह पूनिया, केंद्रीय साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक आदि गणमान्य व्यक्ति व साहित्यकार उपस्थित थे।