सागर लफ्ज़़ों का’ में जिंदगी के खट्टे मीठे एहसासों को बयां किया : बबीता सागर
चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री : जिंदगी में इंसान से जुड़े खट्टे मीठे व कड़वे पलों के एहसासों व अनुभवों को लेखिका बबीता सागर ने अपने लेखन की गुणवत्ता से कविता, शायरी व कहानी के माध्यम से ‘सागर लफ्ज़़ों का’ अपनी पहली पुस्तक में अंकित किया है। जिसे हर आयु वर्ग के पाठक पढक़र इस किताब को प्यार व सम्मान देगें। लेखिका बबीता सागर की पुस्तक का बुधवार को विमोचन उनके परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया।’सागर लफ्ज़़ों का’ पुस्तक की लेखिका बबीता सागर, चंडीगढ़ की निवासी हैं तथा मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली है। वे एक खुशमिज़ाज व जिम्मेदार, गहरी सोच रखने वाली, एक साधारण अभिव्यक्ति की महिला है तथा नि:स्वार्थ सेवा, मेहनत में विश्वास रखती हैं।’सागर लफ्ज़़ों का’ पुस्तक की लेखिका बबीता सागर ने कहा कि हर इंसान की जिंदगी में कुछ खट्टे मीठे व कड़वे पल आते है और उन्हें कुछ नये अनुभव व एहसास दे जाते हैं। इस पुस्तक में मैंने उन एहसासों व अनुभवों को अपनी कलम से कविताओं, शायरी व कहानी के जरिये पाठकों के समक्ष रखा है, इन एहसासों को किताब के माध्यम से उतारना मेरा एक प्रयास है जो अवश्य ही सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों के मन में गहरी छाप छोड़ेगा और उन्हें सोचने पर मजबूर करेगा। उन्होंने बताया कि उनकी द्वारा लिखी किताब ‘सागर लफ्ज़़ों का’ समाज व मन के भीतर की उथल पुथल व एहसासों व अनुभवों का दर्पण है जिसे पाठक वर्ग से खूब प्रशंसा मिलेगी। उन्होंने बताया कि पुस्तक का प्रकाशन नोशन प्रैस द्वारा किया गया है जो कि शहर के विभिन्न प्रतिष्ठित बुक हाऊसिस में उपलब्ध रहेगी। इसके अलावा यह पुस्तक एमाज़ोम से भी पाठकगण मंगवा सकते है। उन्होंने बताया कि पुस्तक उनके माता-पिता भाई-बहन व भाभी तथा द सोशल टेप के संस्थापक तथा इस पुस्तक के संपादक राहुल शर्मा तथा बड़े भाई कविदर सिंह को समर्पित है। जिन्होंने उन्हें पुस्तक लिखने के लिए प्रोत्साहित किया तथा इस पुस्तक की सृजनात्मक यात्रा का वे सभी हिस्सा बने। उन्होंने बताया कि वे परिवार में इकलौती बेटी है तथा सभी कलाओं में निपुण है, लेखन का काम उन्होंने बीते दो वर्षो से शुरू किया और इसी दो वर्षो में उनमें लेखन के प्रति उनके भीतर ऊर्जा का संचार हुआ। वे सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती थी तथा सोशल मीडिया में प्रसारित किसी सामाजिक टिप्पणी पर भी अपनी बेहतरीन प्रतिक्रिया या भाव प्रकट करती। उनकी इस प्रकार की प्रतिक्रियाओं पर उन्हें लोगों की सरहाना मिली जिसके फलस्वरूप उन्हें माता पिता, पुस्तक के संपादक राहुल शर्मा जो कि द सोशल टेप के संस्थापक भी हैं तथा बड़े भाई कविदर सिंह से उन्हें लिखने का लगातार प्रोत्साहन मिलता रहा और इसी प्रोत्साहन के जरिये उन्होंने कमल की रफ्तार को कागज पर लाना शुरू कर दिया परिणामस्वरूप वे ‘सागर लफ्ज़़ों का’ नामक पुस्तक की लेखिका बन कर समाज में उभरी। हांलाकि यह बबीता सागर की पहली किताब है लेकिन उनका कहना है कि वे अपने लेखन की इस प्रक्रिया को भविष्य में भी जारी रखेंगी और पाठकों के समक्ष कुछ नया व रोमांचिक लिखने का प्रयास कर उनसे सरहाना प्राप्त करेंगी।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020