आज क्राफ्ड की कार्यकारिणी समिति की मीटिंग गांधी भवन सेक्टर 16 में आयोजित की गई। बैठक में लगभग आरडब्ल्यूए के 70 प्रतिनिधियों ने भाग लिया और सभी ने अपने खुलकर विचार रखें। इस मीटिंग में मुख्य मुद्दा पानी के बिल की बढ़ाई गई कीमतें रहा। जिस पर सभी ने रोष व्यक्त किया। और चंडीगढ़ में बिजली का निजीकरण करने का विचार बिल्कुल निरर्थक और गलत है। महासचिव रजत मल्होत्रा जी ने हाउसिंग बोर्ड के मकानों में नीड बेस चेंज की मांग को दोहराते हुए वन टाइम सेटेलमेंट पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ की सांसद श्रीमती किरण खेर जी को आगे आना होगा ताकि 1999 मैं दिल्ली नगर निगम द्वारा “एमनेस्टी स्कीम” के तहत मकानों में जरूरत के हिसाब से किए गए अवैध निर्माण को रेगुलर किये जाने की तर्ज पर चंडीगढ़ में भी यह स्कीम लागू हो।
सैक्टर 38,39,40 की आरडब्ल्यूए ने गार्बेज डंपिंग ग्राउंड को डड्डूमाजरा सेकिसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की मांगों को दोहराया।
डा० अनीश गर्ग, मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि आज शहर की हालत बदतर हो चुकी है। शहर में अपराध भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। स्मार्ट सिटी की आड़ में सिर्फ शहर का ऊपर का आवरण बदला जा रहा है जबकि शहर की अंदर से यथास्थिति है। और आवारा कुत्तों के स्टरलाइजेशन करने का कार्य भी ठंडा पड़ा है।
मेजर डीपी सिंह, सरंक्षक ने कहा कि रोजाना मार्केट कमेटी की तरफ से सब्जियों और फल की कीमतों की लिस्ट जारी होती है परन्तु गलियों में रेहड़ी वाले मनमर्जी से बढ़ाकर ज्यादा भावों पर बेचते हैं। और शहर में अवैध खाने-पीने के अड्डे पर लगने शुरू हो चुके हैं।
सुरिंदर शर्मा, वाइस चेयरमैन ने कहा कि नगर निगम के कर्मचारियों को दी गई घड़ियां भारत के तीन चार शहरों में बखूबी काम कर रही हैं। ऐसे में कर्मचारियों को बिना किसी डर के और बिना किसी विवाद को पैदा किए इन घड़ियों को पहनना चाहिए।
श्री हितेश पुरी चेयरमैन ने कहा कि चंडीगढ़ के निवासियों को 24 घंटे पानी की जरूरत नहीं है। 24 घंटे पानी सप्लाई देने की आड़ में पानी की कीमतों को बढ़ाने जाना सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि डंपिंग ग्राउंड के आसपास रहने वाले सभी सेक्टर वासियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आनी शुरू हो गई हैं। ऐसे में इस ग्राउंड को शीघ्र यहां से किसी और जगह स्थानांतरित करना जरूरी है। और सबसे बड़ी विकट स्थिति यह बन चुकी है कि दूसरे सेक्टरों या शहरों के लोग इन सेक्टरों में अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते। शहर में बिजली का निजीकरण करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जब बिजली विभाग पहले से ही लाभ में चल रहा है तो प्राइवेट करने की जरूरत क्या है। दूसरा शहर में बिजली की आपूर्ति से सभी लोग संतुष्ट हैं।
सैक्टर 21बी की आरडब्ल्यू के प्रधान कुलदीप सिंह गिल ने कहा कि कि पार्को के रखरखाव के लिए दिए जा रहे पुराने रेट बहुत कम है। ऊपर से बिचौलिए अफसर पूरा पैसा नहीं देते। और इन पार्कों में किसी भी कार्यक्रम की अनुमति देने से पहले प्रशासन या निगम को उस पार्क के रखरखाव करने वाली आरडब्ल्यू से एनओसी लेनी चाहिए।