लुप्त होते विवाह के रीति-रिवाजों को ऑनलाइन दर्शाया गया
चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री। पंचकूला:
सीनियर सिटीजन काउंसिल की आर्ट एंड लिटरेरी इकाई द्वारा शादी विवाह के अवसर पर पुराने रीति रिवाज और छोटी-छोटी रस्मों को जो आजकल समय की कमी, शोर-शराबे और दिखावे के बीच में लुप्त होती जा रही हैं, उनका ऑनलाइन शानदार प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए काउंसिल के अध्यक्ष आर पी मल्होत्रा ने कहा कि हमारी पीढ़ी का यह दायित्व है विवाह के अवसर पर निभाई जाने वाली रस्में जैसे हल्दी लगाना, थापा लिखना, सैंत, सुरमा डालना, चक्क पूजना, जागो, तमाशे, सिठनियाँ, चैंची डालना, पानी वारना, कंगना खेलना आदि रस्मों को सहेज के नई पीढ़ी को संभलवाना है। इकाई की अध्यक्षा उषा गर्ग ने कहा कि हम अपने विरासत लोकगीत-संगीत को जिंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं। इकाई की सचिव नीरू मित्तल ने अनेकों प्रांतों में निभाई जाने वाली विविध रस्मों के बारे में बड़े रोचक ढंग से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी रस्मों के पीछे वैज्ञानिक व शिक्षाप्रद भावना रहती है।भारत हितेषी ने बताया इस अवसर पर पच्चीस सदस्यों ने भाग लिया और छंद, माइयाँ, बटना, विदाई, सिख्या, मेहंदी, चैंची, छज्ज तोडऩा आदि अवसर पर गाये जाने वाले गीत प्रस्तुत किये।