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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

आज किरया हो चुकी होती, पर कोई रिश्तेदार फूल चुगने तक नहीं आया

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  • 5 अप्रैल को कोरोना से हुई राजरानी की मौत, परिवार आइसोलेट
  • मौत हर्नियां से हुई, भयग्रस्त लोगों ने पार्थिव शरीर गांव में लाने नहीं दिया

दैनिक भास्कर

Apr 17, 2020, 05:00 AM IST

पठानकोट. सुजानपुर के मोहल्ला शेखां की राजरानी (75) की 5 अप्रैल को कोरोना संक्रमण से मौत हुई थी। उनका 9 लोगों का पूरा परिवार आइसोलेट है। संस्कार भी प्रशासन ने कराया था। राजरानी के भाई-भतीजे पहुंचे थे लेकिन उन्होंने संस्कार नहीं किया था। रश्में होतीं, तो आज किरया हो गई। लेकिन कोरोना के भय ने संवेदनाएं इतनी मार दी हैं कि संस्कार के बाद से 11 दिन हो चुके हैं फूल चुनने की रश्म तक किसी रिश्तेदार ने नहीं निभाई।

बेटे ने कहा- आइसोलेशन से आकर सारी रस्में पूरी करूंगा
सिविल हास्पिटल में आइसोलेशन में भर्ती राजरानी से बेटे ने भास्कर को बताया कि जब वह ठीक होकर घर आएगा तो अपनी मां की अस्थियां चुगकर सारी रश्में निभाएगा और अस्थियों का जल प्रवाह करेगा। प्रशासन इजाजद दे तो अब भी जाने को तैयार है। लेकिन ऐसी अनुमति मिलना मुश्किल है। उधर, सुजानपुर नगर कौंसिल के ईओ विजय सागर मेहता ने कहा कि हमारी संस्कार करवाने की जिम्मेदारी है न कि राख उठाने की। राख उठाने की जिम्मेदारी परिवार की है।  

संस्कार के साथ ही खत्म हो जाता है पूरी तरह कोरोना

एसएमओ डाॅ. भुपिंदर सिंह का कहना है कि राख में किसी प्रकार का वायरस नहीं बचता। मास्क-ग्लब्स पहन राख उठानी चाहिए। कोरोना का वायरस मनुष्य के शरीर को टच करने से दूसरे में पहुंचता है। कोरोना के संक्रमित की मौत के बाद जैसे ही उसकी लाश को जला देते हैं तो संस्कार के साथ ही कोरोना पूरी तरह खत्म हो जाता है।

3 घंटे बेरिकेड्स पर पड़ा रहा शव, संस्कार में भी कोई नहीं गया

भोआ एरिया के पहाडोचक निवासी अंचल दास (62) की हार्निया की बीमारी से वीरवार को मौत हो गई। कोरोना का भय एेसा कि गांव का कोई व्यक्ति कंधा देने तक नहीं पहुंचा। गांव के बाहर लगाए बैरिकेट से अंदर भी लाश को नहीं लाने दिया। 3 घंटे तक लाश धूप में पड़ी रही। परिवार में सिर्फ उनकी पत्नी हैं। सरपंच की सूचना पर हेल्थ वर्करों ने चारपाई को हाथों से उठाकर ले जाकर श्मसान घाट में अंतिम संस्कार किया।

सरपंच के फोन पर पुलिस और सेहत विभाग ने किया संस्कार
अंचल दास की हार्निया की बीमारी के चलते हालत बिगड़ने पर उन्हें एंबुलेंस में दीनानगर ले जा रहे थे। आधे रास्ते में ही मौत होने पर एबुलेंस लौट आई। ग्रामीणों ने नाका से आगे नहीं जाने दिया। जबकि सब जानते थे कि उसकी मौत हार्निया से हुई है। बुजुर्ग की पत्नी घर से उठाकर चारपाई लाई और लाश को रखवाया। सरपंच राधा रानी की सूचना पर हेल्थ विभाग से कुछ लोग आए और शव शमशान घाट ले जाकर संस्कार किया। सरपंच ने कहा कि गांव के कई लोगों को फोन किए गए लेकिन सबने टाल दिया।