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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

शिकारा से डेब्यू कर रहे आदिल और सादिया, रोल के लिए दो साल तक रोजाना 8 घंटे की ट्रेनिंग दी गई

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Dainik Bhaskar

Feb 01, 2020, 08:30 AM IST

बॉलीवुड डेस्क. विधु विनोद चोपड़ा बतौर डायरेक्टर ‘शिकारा’ से लंबे समय बाद वापसी कर रहे हैं। यह कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बेस्ड है। इसमें उन्होंने पलायन की मार झेलने वाले कलाकारों को कास्ट किया। 7 फरवरी को रिलीज हो रही फिल्म शिकारा से दो नए चेहरे आदिल खान और सादिया डेब्यू कर रहे हैं। इन्हें एक्टर्स के तौर पर ट्रेंड करने के लिए दो साल तक रोज 8-8 घंटे तक का समय लगता था।ताकि कश्मीर की वास्तविकता की खुशबू कायम रहे।

विधु ने बताया- ‘यह भारत ही नहीं दुनिया की पहली ऐसी फिल्म है, जिसे पलायन का दर्द झेलने वालों ने मिलकर बनाया है। मैं शुक्रगुजार हूं द्वारकानाथजी, बंसीलाल जी, डेजी, नैंसी पैट्रो का, जिन्होंने मिलकर इस फिल्म को बनाया है। ऐसा दुनिया के इतिहास में न कभी हुआ और न कभी होगा। कश्मीरी पंडित मिसाल हैं, जो बेघर होने के बावजूद हमने सरकार के सामने हाथ नहीं फैलाया कभी।’

बहरहाल, इस फिल्म को बनाना आसान नहीं था। जैसा फिल्म का स्क्रीनप्ले लिखने की टीम में रहे अभिजात जोशी ने बताया। उन्होंने कहा, ‘विधु जी का रिसर्च तो बरसों का था, मगर जब तक राहुल पंडित की किताब हाथ नहीं आई थी, तब तक हम क्लूलेस थे। उनकी किताब ‘ऑवर मून हैज ब्लड क्लॉट्स’ पढ़ने के बाद हम में हिम्मत आई कि इस पर फिल्म बनाते हैं। विधु जी ने 25 साल तक उस कश्मीर को अपने जहन में संजो कर रखा है, जो कितनी खूबसूरत थी, पलायन से पहले की। उसे भी उन्होंने फिल्म में रखा है। रिचर्ड एटनबरो को तो 18 साल लगे थे गांधी बनाने में, मगर विधु जी को 25 साल लगे शिकारा लाने में। कश्मीर के ऐसे लोकेशनों पर फिल्म शूट हुई है, जहां इससे पहले कभी शूट नहीं हुए थे। उन्हें धमकियां मिलती रहीं, मगर विधु फिल्म बनाकर ही माने। मैंने उन्हें पिछले 25 सालों में एक बार भी किसी कौम के खिलाफ कुछ बुरा कहते हुए नहीं पाया।

उन्होंने इस फिल्म में अनदेखे नए कलाकारों के साथ काम किया है। उन नए कलाकारों में आदिल खान और सादिया हैं। उन्होंने कश्मीरी पंडितों का रोल प्ले किया है। वह इसलिए कि जैसे महान यूरोपियन फिल्म ‘अ बायसिकल थीफ’ जब हिट हुई थी तो हॉलीवुड वाले उसकी रीमेक के राइट्स लेने में लग गए थे। बड़े स्टार्स के साथ उसे बनाना चाह रहे थे। पर फिल्म के डायरेक्टर ने मना कर दिया था। उसकी रीमेक नहीं बनने दी ताकि फिल्म की असल खुशबू बनी रहे। यहां भी फिल्म के लिए इससे पहले कभी न देखे हुए कलाकारों को कास्ट किया गया ताकि वास्तविकता की खुशबू कायम रहे। उन दोनों कलाकारों को दो साल तक रोजाना आठ आठ घंटे की ट्रेनिंग दी गई।’