गैजेट डेस्क. दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स शो इस साल 7 जनवरी से शुरू होगा। इस साल शो का 53वां एडिशन है। 1967 में सिर्फ 250 एग्जिबीटर्स और 17 हजार विजिटर्स के साथ शुरू हुए सीईएस के 52 सालों के इतिहास में अबतक 7 लाख से ज्यादा प्रोडक्ट लॉन्च हो चुके हैं। शो में वीसीआर, टीवी, कैमरे, डिजिटल सैटेलाइट टेक्नोलॉजी, सैटेलाइट रेडियो जैसे कई इनोवेटिव प्रोडक्ट लॉन्च हुए, जिन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी।
इस बार शो में करीब 4500 से ज्यादा कंपनियां शामिल होंगी। 3D प्रिटिंग, रोबोटिक्स, फिटनेस, गेमिंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और 5G कनेक्टिविटी समेत कुल 36 कैटेगरी में कंपनियां अपने इनोवेटिल प्रोडक्ट पेश करेंगी। ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार इस साल 20 हजार से ज्यादा प्रोडक्ट लॉन्च किए जाएंगे।
70 के दशक में
वीडियो कैसेट रिकॉर्डर (वीसीआर): शो में पहली बार वीसीआर पेश किया गया। यह एक इलेक्ट्रोमैकेनिकल डिवाइस था। इसमें लगे रिमूवेबल मैग्नेटिक टैप वीडियो कैसेट में टीवी या अन्य सोर्स के एनालॉग ऑडियो-वीडियो कंटेंट को रिकॉर्ड करते थे। मैग्नेटिक टैप कैसेट में हुई रिकॉर्डिंग को वीसीआर प्लेयर की मदद से देखा-सुना जा सकता था।
लेजर डिस्क प्लेयर: इस प्लेयर की मदद से लेजर डिस्क में स्टोर वीडियो (एनालॉग) और ऑडियो (एनालॉग/डिजिटल) कंटेंट को देखने-सुनने के लिए डिजाइन किया गया था। लेजर डिस्क बाजार में आई पहली ऑप्टिकल डिस्क थी। सबसे पहले इसे एमसीए डिस्को विजन द्वारा पेश किया था।
80 के दशक में
कॉम्पैक्ट डिस्क प्लेयर: सीडी प्लेयर को ऑडियो कॉम्पैक्ट डिस्क का डेटा प्ले करने के लिए बनाया गया था। यह होम स्टीरियो सिस्टम का ही हिस्सा था। इसकी बिक्री 1982 में शुरू हुई। इसे घर में इस्तेमाल होने वाले म्यूजिक सिस्टम समेत कार के ऑडियो सिस्टम, पर्सनल कम्प्यूटर में भी जमकर इस्तेमाल किया गया।
कैमकॉर्डर: कैमकॉर्डर को वास्तव में वीडियो कैमरा और वीडियो कैसेट रिकॉर्डर को मिलकर तैयार किया गया था। सबसे पहले टैप बेस्ड कैमकोर्डर बाजार में आए जिसमें मैग्नेटिक टैप में वीडियो रिकॉडिंग की जाती थीं। 2006 के आते-आते इसमें डिजिटल रिकॉर्डिंग की शुरुआत हुई।
90 के दशक में
डिजिटल सैटेलाइट सिस्टम (डीएसएस): डिजिटल सैटेलाइट सिस्टम को सैटेलाइट टेलीविजन ट्रांसमिशन को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। इसके आने के बाद दुनियाभर में डीटीएच सेवाएं काफी पॉपुलर हुई, जिसमें आज भी नए नए इनोवेशन हो रहे हैं।
डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क (डीवीडी): डीवीडी को डिजिटल ऑप्टिकल डिस्क स्टोरेज फॉर्मेट है। इसमें सीडी की तुलना में हाई स्टोरेज कैपेसिटी मिलती है। इसमें किसी भी तरह डेटा स्टोर किया जा सकता था, जिसमें सॉफ्टवेयर, कम्प्यूटर फाइल्स समेत ऑडियो-वीडियो शामिल हैं।
हाई डेफिनिशन टेलीविजन (एचडीटीवी): एचडी टीवी में हाई डेफिनेशन में पिक्चर क्वालिटी मिलती है। यह स्टैंडर्ड टीवी से अधिक क्लीयर और डिटेल क्वालिटी प्रदान करती है। रेगुलर टीवी की तुलना में इसमें 5 गुना ज्यादा पिक्सल मिलते हैं। 2000 में इसने दुनियाभर में ख्याति प्राप्त की।
2000-2010
सैटेलाइट रेडियो: यह डिजिटल ब्रॉडकास्ट का ही प्रकार है। सैटेलाइट रेडियो, रेगुलर रेडियो की तुलना में अधिक क्लीयर और स्थिरता से ऑडियो सिग्नल ट्रांसमिट करते हैं। यह ग्राउंड बेस स्टेशन से अंतरिक्ष में मौजूद एक से अधिक सैटेलाइट को सिग्नल भेजने का काम करते हैं।
माइक्रोसॉफ्ट एक्सबॉक्स: एक्सबॉक्स माइक्रोसॉफ्ट की वीडियो गेम ब्रांड है। इसी के जरिए माइक्रोसॉफ्ट ने गेमिंग इंडस्ट्री में कदम रखा था। इसके जरिए कंपनी ने सोनी और सेगा जैसे दिग्गज कंपनियों को चुनौती दी थी।
प्लाज्मा टीवी: प्लाज्मा टीवी, टेलीविजन डिस्प्ले टेक्नोलॉजी का ही एक प्रकार है। इसमें स्क्रीन पर हर पिक्सल को प्लाज्मा ( यानी चार्ज्ड गैस) द्वारा प्रकाशित किया जाता है। एलसीडी की तुलना में प्लाज्मा टीवी में भी बेहतर विजिबिलिटी मिलती है।
ब्लू-रे डिस्क: सीडी और डीवीडी की तरह ब्लू-रे डिस्क भी एक तरह का डिजिटल ऑप्टिकल डिस्क डेटा स्टोरेज फॉर्मेट है। इसमें डीवीडी की तुलना में कई घंटा का एचडी वीडियो स्टोर किया जा सकता है। इसे सिर्फ ब्लू-रे डिस्क प्लेयर में ही चलाया जा सकता है।
एचडी रेडियो: एचडी रेडियो इन-बैंड ऑन-चैनल डिजिटल रेडियो टेक्नोलॉजी है जो एएम और एफएम रेडियो स्टेशन्स के लिए इस्तेमाल की जाती है। रेगुलर रेडियो की तुलना में एचडी रेडियो न सिर्फ ऑडियो क्वालिटी देता है बल्कि इसकी रेंज भी ज्यादा होती है। इसे ज्यादातर यूरोपियन देशों में इस्तेमाल किया जाता है।
IP टीवी: आईपी टेलीविजन (आईपीटीवी) इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) नेटवर्क पर टेलीविजन कंटेंट की डिलीवरी करती है। यह पारंपरिक स्थलीय, उपग्रह और केबल टेलीविजन फॉर्मेट से काफी अलग है। यह यूजर को कही भी और कभी भी वीडियो-ऑडियो कंटेंट देखने-सुनने की सुविधा देता है।
आईफोन (1st जनरेशन): सीईएस में एपल ने अपने फर्स्ट जनरेशन आईफोन को पेश किया। जिसके ठीक बाद जून 2007 में इसे अमेरिकी बाजार में लॉन्च किया गया। हालांकि एक साल बाद कंपनी इसे बनाना बंद कर दिया गया था। फोन के कुल 61 लाख यूनिट बिके थे। फोन में सिर्फ 128 एमबी रैम थी।
ओएलईडी टीवी: ओएलईडी एक टेलीविजन डिस्प्ले टेक्नोलॉजी है जो ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड की विशेषताओं पर आधारित है। इसमें दो कंडक्टर के बीच एक पतली ऑर्गेनिक फिल्म लगी होती है और जैसे ही इसमें करंट का प्रभाव शुरू होते है, यह ब्राइट लाइट का उत्सर्जन करती है।
3D एचडीटीवी: सीईएस में पहली बार हाई डेफिनेशन 3D टीवी को पेश किया गया। यह आम टेलीविजन सेट से बिल्कुल अलग था। इसमें स्टीरियोस्कोपिक डिस्प्ले, मल्टी-व्यू डिस्प्ले जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था। 3D टीवी में कंटेंट देखने के लिए एक खास चश्मे का इस्तेमाल करना होता है।
टैबलेट, नोटबुक और एंड्रॉयड डिवाइस: 2010 में पहली बार सीईएस में कई कंपनियों ने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर बेस्ड डिवाइस पेश किए। इसे अलावा शो में टैबलेट और नोटबुक का भी जलवा रहा। टैबलेट जहां फोन की तुलना में काफी बड़ा होता है वहीं नोटबुक, लैपटॉप का ही एक प्रकार है।
2011-2015
कनेक्टेड टीवी: पहली बार दुनिया के सामने ऐसी टीवी पेश की गई जिसमें इंटरनेट इस्तेमाल करने की आजादी मिली। इस टीवी में यूजर को सोशल मीडिया प्लेटफार्म समेत इंटरनेट एक्सेस करने की सुविधा मिली।
ड्राइवरलेस कार टेक्नोलॉजी: 2013 में ड्राइवर लेस तकनीक से लोगों को रूबरू कराया गया। इस तकनीक में कार किसी ड्राइवर नहीं बल्कि सेंसर और ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक की मदद के चलती है। इसे ऑटोनोमस व्हीकल, रोबो कार और कनेक्टेड व्हीकल भी कहा जाता है।
3D प्रिंटर: 2014 तक आते-आते 3D प्रिटिंग तकनीक का विकास हो चुका था। इस तकनीक के जरिए थ्री-डायमेंशनल ऑब्जेक्ट एक खास प्रकार के प्रिंटर से बनाए जाने लगे। यह आम प्रिंटर से बिल्कुल अलग है। इसमें इंक की बजाए अलग-अलग सीमेंट, प्लास्टिक जैसे कई मटेरियल का इस्तेमाल किया सकता है।
वियरेबल टेक्नोलॉजी: वियरेबल टेक्नोलॉजी का विकास भी इसी साल से शुरू हुआ। कई कंपनियों ने ऐसे डिवाइस पेश किए जिन्हें पहना जा सकता है। यह डिवाइस यूजर की हर गतिविधियों को न सिर्फ ट्रैक करती है बल्कि कही चूक होने पर उन्हें अलर्ट भी करती है।
वर्चुअल रियलिटी डिवाइस: वर्चुअल रियलिटी एक तरह की कम्प्यूटर तकनीक है, जिसके जरिए आभासी वातावरण को तैयार करना मुमकिन हुआ। इसे तैयार करने के लिए खास हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की मदद ली जाती है। इसमें एक हेलमेट नुमा डिवाइस होता है जिसे पहनकर यूजर को आभासी दुनिया में होने का एहसास होता है।
फ्रेमलेस टीवी: एचडी, ओएलईडी टीवी के बाद अब फ्रेम लेस टीवी बाजार में डेब्यू करने की तैयारी में हैं। सैमसंग जैसी कंपनी अपनी पहली ट्रूली बेजल लेस स्मार्ट टीवी बाजार में उतारने की तैयारी में है। इसमें थोड़ा सा भी फ्रेम दिखाई नहीं देगा। इसे फोटो फ्रेम की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।