Chandigarh Today

Dear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org

Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

एक परिसर में गुरुद्वारा-मस्जिद; ग्रंथी करते हैं मस्जिद की सफाई, नमाज के बाद मुस्लिम गुरुद्वारे में नवाते हैं शीश

0
65

  • फतेहगढ़ साहिब के महदियां गांव में आज भी मौजूद है मुगल काल में बनी 350 साल पुरानी मस्जिद
  • 100 साल पहले मस्जिद के अंदर ही होता था गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश
     

Dainik Bhaskar

Dec 30, 2019, 07:02 AM IST

फतेहगढ़ साहिब (स्वर्णजीत सिंह अश्क). उड़ते परिंदों का कोई धर्म नहीं होता। वे उड़कर गुरुद्वारे के गुंबद में भी बैठते हैं और मस्जिद पर भी। यहां इन परिंदों का झुंड इतिहास के पन्नों में दर्ज सिखों और मुगलों के संग्राम की दुखद दास्तान की यादों में संजोए दर्द को भुलाता है। फतेहगढ़ साहिब की पवित्र धरती पर भाईचारे और धार्मिक सौहार्द्र की ऐसी ही मिसाल महदियां गांव में देखने को मिलती है। यहां एक ही परिसर में मस्तगढ़ साहिब गुरुद्वारा भी है और 300 साल पुरानी सफेद चितयां मस्जिद भी। मस्जिद की सफाई का काम गुरुद्वारे के ग्रंथी जीत सिंह ही संभालते हैं। 

मस्जिद के रखरखाव के लिए आसपास के 52 गांवों के लोग निकालते हैं दसवंद
मस्जिद की सफाई से लेकर मरम्मत तक का काम गुरुद्वारे के ग्रंथी जीत सिंह खुद देखते हैं। मस्जिद का हर साल रंग रोगन  करवाया जाता है। आसपास के 52 गांव की जमीन बाबा अर्जुन सिंह जी ने महाराजा पटियाला से वापस दिलवाई थी। इन सभी गांव के लोग मस्जिद की देखभाल और रखरखाव के लिए अपनी कमाई का दसवां हिस्सा (दसवंद)निकालते हैं। 

2018 से नए गुरुद्वारे में हो रहा गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाश 

ग्रंथी ने बताया कि सिखों के धार्मिक नेता अर्जुन सिंह सोढी ने मस्जिद के भीतर श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का प्रकाश कर इसे खुला छोड़ दिया। मस्जिद में गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाश 21वीं शताब्दी तक रहा। फिर वहां कमरा बना गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाश होने लगा। 2018 में नए गुरुद्वारे में गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाश हो रहा है।

छह साल पहले तक बदहाल थी मस्जिद 

मस्तगढ़ साहिब चितियां गुरुद्वारे के ग्रंथी जीत सिंह ने बताया कि मैं जानता हूं मुगलों के इतिहास को। उन्होंने सिख कौम पर अत्याचार किए थे। लेकिन छह साल पहले जब में भगडाना गांव से यहां ग्रंथी बनकर आया तो मस्जिद बदहाल थी। मैंने रोज मस्जिद के भीतर की सफाई करवाई। अब देखभाल करता हूं।

शाहजहां के काल की है मस्जिद : इतिहासकार
फरीदकोट के एक इतिहासकार और ‘हिस्टरी एंड आर्किटेक्चरल रिमेंस ऑफ सरहिंद’ के लेखक प्रो सुभाष परिहार कहते हैं कि मस्जिद मुगल बादशाह शाहजहां के काल में 1628-1658 के बीच बनाई गई। सिखों और मुगलों की लड़ाई में भी मस्जिद बची रही। सिखों ने 1710 में वजीर खान को हराकर इलाके पर कब्जा जमाया।