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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

अच्छे स्वास्थ के लिए पीजीआई और नाबी के विशेषज्ञों ने ‘डाईट डायवरसिफिकेशन’ पर बल दिया  पंचकोष आटा लांच किया 

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चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। निरोग और सेहतमंद शरीर के लिये मैटाबोलिज्म सिंड्रोम के लिये आहार विविधीकरण ‘डाईट डायवरसिफिकेशन’ आवश्यक है। सेक्टर 27 स्थित चंडीगढ़ प्रैेस कल्ब में आयाोजित एक चर्चा केे दौरान विशेषज्ञों ने इस बात पर बल दिया कि आमतौर पर हमारी निर्भरता अनाज जैसे गेहूं और चावल पर ही रहती जिसमें हम उसमें भी स्वाद को सर्वोपरि रखते हैं । परिणामस्वरुप मानव शरीर अन्य अनाजों के लाभों से वंचित रह जाता है । साथ ही बदलते लाईफस्टाईल के चलते बीमारियां शरीर में घर करनी शुरु हो जाती है। शरीर में ऐसे ही पौष्टिक तत्वों की कमी को पूरी करने की दिशा में मोहाली स्थित नैश्नल ऐग्री फूड बायोटेकनोलोजी इंस्टीच्यूट (नाबी) में फूड एंड न्यूट्रिश्नल बायोटेकनोलोजी के साईटिंस्ट डॉ महेन्द्र बिशनौई और पीजीआई स्थित इंडोक्रोनोलोजी विभाग में अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ संजय भडाडा ने पंचकोष नामक आटा लांच किया जिसके व्यक्ति डाईट डाईवरफिकेशन के चलते आवश्यक पौष्टिक तत्वों का दिनचर्या में सेवन कर सके । इस आटे में रागी, ज्वार, चना, बाजरा सोया आदि का संयुक्त मिश्रण है और रोजाना दर पर इसका सेवन किया जा सकता है। इस अवसर पर बोलते हुये डॉ महेन्द्र बिशनौई ने बताया कि देश में डायबिटिज सहित अन्य रोगों के बढ़ते चलन के बीच होल ग्रेन आटा के महत्वता को समझ इसका रोजाना सेवन करने की आवश्यकता है। पीजीआई के डा संजय भडाडा ने कहा कि देश में करीब आठ करोड़ लोग डायबिटिज से ग्रस्त हैं जिसका सीधा कारण हमारी जीवन शैली और खान पान है। खान पान ककी स्थिति यह है कि आज हमारा खाना चैबिस घंटे उपलब्ध है। डायबिटिज जैसी बीमारी के लिये बचाव और जागरुकता बहुत जरुरी है। उन्होंनें पंचकोष आटा के उपयोग के लिये  ऐसी बीमारियों के लड़ने और नियंत्रण में रखने के लिये सार्थक बताया।